BHOPAL. मध्यप्रदेश में पीएम आवास ( pm awas yojana ) के तहत बने मकान का कब्जा ( Possession ) अब तक हितग्राहियों ( beneficiary ) को नहीं मिला है । जिन लाभार्थी ने मकान बनवाने के लिए होम लोन ( home lone) लिए थे, वो भी बुरी तरह से फंसते नजर आ रहे हैं। पूरे प्रदेश में सबसे बुरे हाल जबलपुर के हैं। यहां 3984 मकानों की बुकिंग हुई, लेकिन अब तक सिर्फ 119 लोगों को ही कब्जा मिल पाया है। इंदौर में 12 हजार 448 में सिर्फ 3700 और भोपाल में 7755 मकानों की बुकिंग में सिर्फ 2521 मकानों के पजेशन ( Possession ) हो पाए हैं। जिन ठेकेदारों को निर्माण का जिम्मा दिया गया था, उनके काम की सुस्त गति को देखते हुए ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट ( blacklist ) कर दिया गया है। अब फिर अधूरे निर्माण को पूरा करने के लिए नई कंपनियों को ठेकेदार दिया गया है। नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि दिसंबर 2024 तक अधूरे मकानों को पूरा कर लिया जाएगा, लेकिन लोगों को इस पर भरोसा नहीं हो रहा है।
क्या कहते हैं लाभार्थी ?
एक शख्स ने प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) में भोपाल के 12 नंबर योजना में फ्लैट बुक किया था। उस समय नगर निगम अधिकारियों ने भरोसा दिलाया था कि एक साल में फ्लैट का पजेशन मिल जाएगा। जिसके उसने बैंक से लोन लेकर 20 लाख रुपए नगर निगम को दिए। 4 साल से ज्यादा हो चुके हैं, न तो बिल्डिंग बनी ना ही निगम के अधिकारी जवाब दे रहे हैं कि कब तक मकान का पजेशन मिलेगा। ये शख्स ऐसे अकेले नहीं हैं। नगर निगम के 40 शहरों में प्रोजेक्ट चल रहे हैं। हर शहर में आवासों की क्वालिटी को लेकर हितग्राही लगातार आपत्ति जताते रहे हैं। लोकेन्द्र श्रीवास्तव कहते हैं, 2017 में नगर निगम ने बड़े-बड़े दावे कर फ्लैट्स की बुकिंग शुरू की थी। 2018 में मैंने 12 नंबर प्रोजेक्ट में आवास बुक कराया था। उस वक्त 18 माह में प्रोजेक्ट पूरा करने का दावा किया था, लेकिन 6 साल बाद भी आवास कब तक बनेंगे, ये खुद निगम अधिकारी नहीं बता पा रहे।
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MP में अधर में लटकी पीएम मोदी की योजना
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में शुमार पीएम आवास योजना पर जिम्मेदार अधिकारी पलीता लगा रहे हैं । दरअसल 2015 में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) लॉन्च की थी। मकसद ये था कि शहरों में सभी के पास मकान हो, लेकिन एमपी में निगम के ठेकेदारों व निगम अफसरों ने प्रधानमंत्री मोदी की इस महत्वाकांक्षी योजना को अधर में लटका दिया।
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कॉन्ट्रैक्टर कंपनी को हटाया गया, नई कंपनियों को जिम्मेदारी
MP में प्रोजेक्ट पिछड़े तो इसकी समय सीमा बढ़ाकर दिसंबर-24 कर दी गई। कई निकायों के सामने इस समय सीमा में भी इन प्रोजेक्ट को पूरा करना बड़ी चुनौती है। भोपाल के 3, विदिशा का एक, इटारसी का एक और टीकमगढ़ का एक प्रोजेक्ट कई सालों से अधूरा था, ठेकेदार इन्हें समय पर बनाने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे थे, तो निगमों को इन ठेकेदारों को ब्लैक लिस्ट कर इन्हें हटा दिया। अब नए कंपनी के माध्यम से इन प्रोजेक्ट को पूरा कराया जाएगा।
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