PM मोदी का चुनाव अभियान झाबुआ से, BJP का आदिवासी अंचल पर फोकस

आदिवासी सीट धार, रतलाम-झाबुआ व खरगोन की बात करें तो विधानसभा सीट के हिसाब से अभी धार व खरगोन में कांग्रेस आगे है, हालांकि रतलाम-झाबुआ सीट पर बीजेपी आगे हैं।

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Pooja Kumari
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संजय गुप्ता, INDORE. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव में इस बार मिशन 400 सीट पर है। इसी मिशन के लिए मध्यप्रदेश में पूरी 29 सीट निशाने पर है। इसकी शुरूआत 11 फरवरी को आदिवासी अंचल झाबुआ से हो रही है। इस क्षेत्र में तीन आदिवासी सीट धार, रतलाम-झाबुआ और खरगोन है। वहीं गुजरात व राजस्थान के बॉर्डर भी है जो आदिवासी खासकर भील बाहुल्य है। पीएम मोदी इस अभियान में विधानसभा की तरह ही आदिवासी अंचल पर पूरी तरह फोकस किए हुए हैं, यही बीजेपी की अभी भी एक दुखती रग है जो विधानसभा चुनाव के दौरान भी सामने आई थी। 

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इन आदिवासी सीटों की क्या है विधानसभा लिहाज से स्थिति



आदिवासी सीट धार, रतलाम-झाबुआ व खरगोन की बात करें तो विधानसभा सीट के हिसाब से अभी धार व खरगोन में कांग्रेस आगे है, हालांकि रतलाम-झाबुआ सीट पर बीजेपी आगे हैं। वैसे लोकसभा के हिसाब से बात करें तो यह तीनों ही सीट बीजेपी (BJP) के पास ही है। 

  • धार सीट -  यहां की आठ सीट में से पांच विधानसभा सीट सरदारपुर, गंधवानी, कुक्षी, मनावर, बदनावर कांग्रेस के पास है। वहीं तीन सीट महू, धरमपुरी और धार बीजेपी (BJP) के पास है। 
  • खरगोन सीट - इस लोकसभा सीट की आठ विधासनभा सीटों में पांच कसरावद, भगवानपुरा, सेंधवा, राजपुर, बड़वानी कांग्रेस के पास है, वहीं महेशवर, पानसेमल और खरगोन बीजेपी के पास गई।
  • रतलाम - झाबुआ सीट - यहां की आठ विधानसभा सीटों में चार सीट अलीराजपुर, पेटलावद, रतलाम ग्रामीण, रतलाम सिटी बीजेपी (BJP) के पास है, तीन सीट जोबट, झाबुआ और थांदला कांग्रेस के पास है और एक सीट बाप पार्टी के कमलेशवर डोडियार के पास है। 

बडे़ फैसलों वाला मोदी कार्यकाल 3.0 चर्चा में



पीएम मोदी लोकसभा में कह चुके हैं कि बीजेपी (BJP) चुनाव में 370 सीट और एनडीए के अन्य घटक 30 सीट इस तरह कुल 400 सीट जीतेगी। हमारा तीसरा कार्यकाल बड़े फैसलों वाला होगा। यह एक नया नारा और पंच बन गया है, जो बीजेपी (BJP) में जोश भर रहा है। अब बीजेपी (BJP) 50 फीसदी वोट के नारे से भी आगे बढ़ चुकी है और अब निशाना 60 फीसदी से ज्यादा वोट प्रतिशत पाने पर है। यानि कांग्रेस का पूरी तरह से सूपड़ा साफ करना।

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कांग्रेस अभी तक असमंजस की स्थिति में ही



उधर कांग्रेस अभी तक असमंजस की स्थिति में ही है, बड़े नेता चुनाव लड़ने से इंकार कर रहे हैं। किस तरह से चुनाव लड़ेंगे और क्या नीति होगी अभी तक स्पष्ट नहीं है। उधर कांग्रेस के लिए समस्या यह भी है कि उसके जीते हुए और पुरानी खाटी नेता भी साथ जोड़कर भगवा रंग में रंग रह रहे हैं। खासकर राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद माहौल पूरी तरह बीजेपी (BJP) के पक्ष में जा चुका है और कांग्रेस इस मामले में अपनी नीति के कारण ही निशाने पर आ गई, खासकर पार्टी के हिंदू नेताओं को यह बात चुभने लगी है और वह भी मौके देखकर बीजेपी (BJP) में जाने का रास्ता बनाने में जुटे हैं।

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