भोपाल. अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ा रहे अभिभावकों के लिए अच्छी खबर है। जिस तरह जबलपुर में निजी स्कूलों की ओर से की जा रही वसूली के खिलाफ कार्रवाई की गई है, ठीक उसी तरह पूरे प्रदेश में एक्शन लिया जाएगा। सीएम मोहन यादव सरकार की ओर से इस संबंध में सभी जिला कलेक्टरों को ऑर्डर जारी कर दिए गए हैं।
पहले से बना है कानून
राज्य शासन की ओर से मध्यप्रदेश निजी विद्यालय ( फीस तथा संबन्धित विषयों का विनियमन ) अधिनियम 2018 एवं नियम 2020 के प्रावधानों के तहत प्रदेश के समस्त जिलों के कलेक्टर्स को आवश्यक कार्रवाई के लिए निर्देश दिए किए गए हैं।
यानी अब प्रदेश के सभी जिलों में होगी जबलपुर जैसी कार्रवाई होगी।
जबलपुर में निजी स्कूलों की फीस बढ़ाने की मनमानी ( jabalpur private school fees scam ) को लेकर पिछले दिनों कड़ी कार्रवाई हुई है। इस कार्रवाई में 11 स्कूलों के खिलाफ एक्शन लिया गया है। प्राइवेट स्कूलों ने फीस घोटाला कर विद्यार्थियों के माता-पिता से 240 करोड़ तक की वसूली कर डाली।
इस मामले में कलेक्टर के आदेश पर ताबड़तोड़ एक्शन हुआ। 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। 30 अभी भी फरार हैं। जबलपुर कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना ने बीते दिनों प्राइवेट स्कूल संचालकों के खिलाफ आम जनता से शिकायत मंगवाई थी। इन शिकायतों के बाद ही कार्रवाई की गई।
फीस बढ़ाकर वसूल लिए 240 करोड़
जबलपुर कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना ने बीते दिनों जिले की आम जनता से प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ शिकायत मंगवाई थी। सोमवार को इन शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए जिले के 11 निजी स्कूलों के खिलाफ एक्शन लिया गया। जिला प्रशासन ने जांच में पाया कि अभी तक स्कूलों ने 81 करोड़ 30 लाख रुपए अतिरिक्त फीस के तहत वसूले हैं। यह वसूली 21 हजार से ज्यादा छात्रों से हुई है। जबलपुर कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना के मुताबिक अनुमानित 1,037 निजी स्कूल में जांच की गई। इसमें 7 लाख बच्चों से करीब 240 करोड़ रुपए की अतिरिक्त फीस वसूली की गई है।
स्टेशनरी की दुकानों के साथ स्कूलों की सांठगांठ
स्कूलों पर कार्रवाई के बाद जबलपुर कलेक्टर ने निजी स्कूल की किताबों में कमीशनखोरी की पूरी तरकीब बताई। स्कुल प्रशासन हर साल किताबे बदलता है। प्रशासन की जांच में पाया गया कि इनमें से 90 प्रतिशत के करीब किताबें फर्जी होती है। स्कूल प्रशासन ने इन किताबों के नाम 25 मार्च तक पब्लिक किए। जबकि स्टेशनरी की दुकानों ने दिसंबर महीने में ही इन किताबों के ऑर्डर दे दिए थे।
इससे स्कूलों और स्टेशनरी की दुकानों में सांठगांठ साफ समझ आती है। ऐसा करके स्कूल मार्केट में किताबों की मोनोपॉली बना देते हैं। इसके अलावा स्कूल मैनेजमेंट द्वारा बदली गई किताबें ज्यादातर फर्जी होती है। इन्हें छपवाने में सिर्फ प्रिंटिंग का खर्चा होता है। ऐसे में स्टेशनरी को यह किताबें बहुत कम दामों में मिल जाती है। जबकि छात्रों को स्टेशनरी वाले किताबें महंगी कीमतों में बेचते हैं। कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना ने बताया कि स्कुल मनमाने तरीके से हर साल किताब बदल देते हैं। ऐसे में मार्केट में किसी और दुकानदार के पास स्कूल द्वारा चलाई जा रही किताबें नहीं होती।
ऑडिट रिपोर्ट में धांधली
जबलपुर स्कूल फीस घोटाला में कलेक्टर ने बताया कि स्कूल प्रबंधन के द्वारा शासन के पोर्टल पर अपनी वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट अपलोड ही नहीं की जाती। इससे उनकी आय और व्यय का खर्च पता नहीं लग पाता था। जानकारी मांगे जाने पर यह ऑडिट में दर्शाते थे कि उन्हें अपनी दूसरी ब्रांच को संचालित करने के लिए खर्च करना पड़ा है। ऐसा ही दूसरी ब्रांच के द्वारा भी किया जाता था।
हर साल नया पाठ्यक्रम और ज्यादा किताबें
स्कूल प्रबंधन अपने प्रकाशक और पुस्तक विक्रेता साथियों को मुनाफा पहुंचने के लिए हर साल अपने स्कूल का पाठ्यक्रम बदल देते थे। वहीं एक कक्षा में 10 से 15 किताबें पाठ्यक्रम में शामिल कर दी जाती थी ताकि अभिभावक ज्यादा से ज्यादा फर्जी किताबें खरीदने को मजबूर हो। जिसके कमीशन का सीधा फायदा स्कूल को होता था।
ये खबरें भी पढ़ें...
सीएम यादव को भाया जबलपुर का आइडिया
शिवराज सिंह चौहान परिवार की बहू बनेगी जैन समाज की रिद्धि
एमपी निजी स्कूलों पर कार्रवाई जबलपुर प्राइवेट स्कूल MP private schools Action Jabalpur Private School