एमपी के इस शहर में प्राइवेट स्कूलों की तानाशाही, छात्रों का रोका रिजल्ट, मचा हड़कंप

मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर के निजी स्कूलों ने फीस वसूली के लिए 20 हजार छात्रों का रिजल्ट रोक दिया है, जिससे उनके भविष्य पर संकट आ गया है। वहीं जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा, रिजल्ट रोकना अनुचित है और प्रशासन जल्द कार्रवाई करेगा।

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Sandeep Kumar
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मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में स्थित निजी स्कूलों ने हाल ही में अभिभावकों के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है। यहां के करीब 35 स्कूलों पर आरोप है कि उन्होंने छात्रों से अवैध फीस वसूली है और अब, फीस वसूली के चलते छात्रों का रिजल्ट रोक दिया है।

275 करोड़ रुपए की अवैध वसूली

शहर के स्कूलों से करीब 275 करोड़ रुपए की अवैध फीस वसूली गई है। इसके बावजूद, प्रशासन ने फीस वापसी का कोई ठोस कदम नहीं उठाया। शिक्षा समिति ने आदेश दिए थे कि अवैध फीस की वापसी की जाए, लेकिन न तो कोई पैसा लौटा और न ही समायोजन हुआ। इसके बजाय, स्कूलों ने छात्रों का रिजल्ट रोककर दबाव बनाना शुरू कर दिया है, जिससे बच्चों और उनके अभिभावकों में गहरी चिंता है।

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अभिभावकों की बढ़ती चिंता

इस पूरे मामले में सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि एक अप्रैल से नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने वाला है, लेकिन 20,000 छात्र-छात्राओं का रिजल्ट अभी तक नहीं आया है। इन बच्चों का भविष्य संकट में पड़ गया है, क्योंकि अब वे अगले सत्र में प्रवेश नहीं ले पा रहे हैं।

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अभिभावक शिक्षा विभाग और प्रशासन के पास जा रहे हैं, लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। पैरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सचिन गुप्ता ने इस मामले पर प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की है।

प्रशासन की निष्क्रियता

जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी ने कहा, “रिजल्ट रोकना अनुचित है और प्रशासन जल्द कार्रवाई करेगा।” हालांकि, सवाल यह है कि प्रशासन इस मामले में कब तक ठोस कदम उठाएगा और स्कूलों की इस मनमानी को कब तक सहन किया जाएगा।

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अब आगे क्या होगा?

फीस वापसी का मामला अभी भी विचाराधीन है, लेकिन जब तक प्रशासन किसी ठोस कदम का फैसला नहीं करता, तब तक छात्रों का भविष्य अधर में लटका रहेगा। यह सवाल उठता है कि शिक्षा का यह व्यापार कब तक छात्रों और अभिभावकों को अपनी मनमानी का शिकार बनाता रहेगा।

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5 पॉइंट्स में समझें पूरा मामला

✅ जबलपुर के करीब 35 निजी स्कूलों ने छात्रों से 275 करोड़ रुपए की अवैध फीस वसूली है। इसके बावजूद, प्रशासन ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। 

✅ स्कूलों ने अवैध फीस के कारण 20 हजार छात्रों का रिजल्ट रोक दिया है, जिससे बच्चों और उनके अभिभावकों में तनाव और चिंता बढ़ गई है। 

✅ अभिभावक शिक्षा विभाग और प्रशासन से समाधान की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है। 

✅ जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी ने रिजल्ट रोकने को अनुचित बताया है और कहा कि प्रशासन जल्द कार्रवाई करेगा। 

✅ फीस वापसी का मामला अभी भी विचाराधीन है, और जब तक प्रशासन कोई ठोस निर्णय नहीं लेता, तब तक छात्रों का भविष्य अनिश्चित बना रहेगा। 

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