27% OBC आरक्षण के विरोध में उतरे यह संगठन, कर दी बड़ी मांग, सरकार को दी ये चेतावनी

मध्यप्रदेश में 27% OBC आरक्षण के खिलाफ परशुराम सेवा संगठन और श्री राजपूत करणी सेना ने विरोध जताया है। इनका मानना है कि यह अनारक्षित वर्ग के अधिकारों का उल्लंघन है और मेरिट आधारित व्यवस्था को कमजोर कर रहा है।

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Sanjay Dhiman
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Photograph: (the sootr)

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मध्यप्रदेश में 27% OBC (ओबीसी) आरक्षण की बढ़ी हुई सीमा के खिलाफ परशुराम सेवा संगठन और श्री राजपूत करणी सेना ने आवाज उठाई है। इन संगठनों का मानना है कि इस बढ़ोतरी से अनारक्षित वर्ग (General Category) के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। यह देश में न्यायपूर्ण मेरिट आधारित व्यवस्था को नष्ट कर रहा है।

इन दोनों संगठनों ने एक मंच पर आकर यह साफ किया कि वे हर स्तर पर संघर्ष करेंगे ताकि अनारक्षित वर्ग के अधिकारों की रक्षा की जा सके और एक उचित और न्यायपूर्ण मेरिट प्रणाली स्थापित की जा सके।

27% OBC आरक्षण के विरोध का कारण

यह विरोध इस कारण उठ रहा है क्योंकि संविधान की मूल भावना समान अवसर (Equal Opportunity) और योग्यता (Merit) आधारित चयन पर आधारित है। हालांकि, राजनीतिक दबाव और वोटबैंक की राजनीति के कारण आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 27% कर दी गई है। इस फैसले से अनारक्षित वर्ग के मेधावी छात्रों और उम्मीदवारों के लिए कठिनाइयां बढ़ गई हैं, क्योंकि अब उनकी स्थिति कमजोर हो गई है। 

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अनारक्षित वर्ग के अधिकारों की रक्षा

संगठनों के नेताओं का कहना है कि आरक्षण की सीमा बढ़ने से अनारक्षित वर्ग के मेधावी छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ अन्याय हो रहा है। जब आरक्षण की संख्या इतनी अधिक होती है, तो योग्य और टैलेंटेड छात्रों को अपने कौशल और मेहनत के बावजूद अवसर नहीं मिल पाते, जो कि पूरी तरह से गलत है।

इन संगठनों ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाते हुए घोषणा की कि वे इसे एक विधिक और जनांदोलन (Legal and Mass Movement) के रूप में लडेंगे। उनका यह भी कहना है कि बिना मेरिट के चयन, ना तो समाज के लिए हितकारी है, और ना ही यह दीर्घकालिक समाधान है।

समाज को तोड़ रही आरक्षण की असीमित दौड़ 

संगठन के प्रतिनिधियों ने कहा कि आरक्षण की असीमित दौड़ समाज को तोड़ने का काम कर रही है। इसके कारण, जो लोग अपनी योग्यता से आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं, वे केवल आरक्षण के कारण पीछे छूट जाते हैं। इससे समाज में एक अंतर पैदा होता है, जो अंततः राष्ट्र के विकास को प्रभावित करता है।

इसलिए, इन संगठनों ने आरक्षण नीति की समीक्षा की मांग की है और इसके बजाय मेरिट आधारित व्यवस्था लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।  

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  1. परशुराम सेवा संगठन और श्री राजपूत करणी सेना ने 27% OBC आरक्षण के खिलाफ विरोध जताया।
  2. दोनों संगठनों का मानना है कि आरक्षण की बढ़ी हुई सीमा से अनारक्षित वर्ग के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।
  3. यह वृद्धि मेरिट आधारित चयन प्रणाली को नष्ट कर रही है, जिससे योग्य उम्मीदवारों को अवसर नहीं मिल पा रहे हैं।
  4. संगठनों ने घोषणा की कि वे हर स्तर पर संघर्ष करेंगे ताकि अनारक्षित वर्ग के अधिकारों की रक्षा की जा सके।
  5. उन्होंने प्रदेश सरकार से 27% OBC आरक्षण नीति को निरस्त करने और मेरिट-आधारित चयन प्रणाली लागू करने की मांग की।

27% OBC आरक्षण नीति को निरस्त करने की मांग

परशुराम सेवा संगठन और श्री राजपूत करणी सेना ने राज्य सरकार से तत्काल मांग की है कि 27% OBC आरक्षण नीति को निरस्त किया जाए और इसके स्थान पर समान अवसर और मेरिट-आधारित चयन प्रक्रिया लागू की जाए। यदि सरकार उनकी मांगों को नजरअंदाज करती है, तो दोनों संगठन संपूर्ण अनारक्षित वर्ग को निर्णायक आंदोलन के लिए तैयार करने की धमकी दे रहे हैं।

क्या है मेरिट आधारित चयन का महत्व?

मेरिट आधारित चयन (Merit-based Selection) एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें उम्मीदवार की योग्यता, कौशल और प्रदर्शन के आधार पर चयन किया जाता है। यह प्रणाली एक समान अवसर प्रदान करती है, जिससे किसी भी व्यक्ति को अपनी कड़ी मेहनत और योग्यता के आधार पर सफलता प्राप्त करने का मौका मिलता है।

मेरिट आधारित चयन के लाभ:

  1. समान अवसर: यह प्रणाली सभी वर्गों को समान अवसर प्रदान करती है।

  2. योग्यता पर आधारित चयन: चयन प्रक्रिया पूरी तरह से उम्मीदवार की योग्यता पर आधारित होती है।

  3. समाज में समानता: इससे समाज में समानता का माहौल बनता है, और किसी भी वर्ग विशेष को अतिरिक्त लाभ नहीं मिलता।

  4. दीर्घकालिक समाधान: यह प्रणाली दीर्घकालिक रूप से देश के विकास में योगदान करती है, क्योंकि केवल योग्य उम्मीदवार ही विभिन्न क्षेत्रों में काम करते हैं।  

इधर 27% आरक्षण देने के लिए सरकार तैयार

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि ओबीसी वर्ग के लिए 27% आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार पूरी तरह से तैयार है। इस मुद्दे पर सभी दलों के नेताओं ने एकजुट होकर सर्वदलीय संकल्प पारित किया है ताकि न्यायपालिका और कार्यपालिका दोनों मिलकर इस मामले पर मजबूत पक्ष रखें।

यह फैसला राज्य के ओबीसी वर्ग के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है, क्योंकि इससे हजारों छात्रों और उम्मीदवारों को आरक्षण का लाभ मिलेगा। लेकिन सामान्य वर्ग के विभिन्न संगठनों ने अब इस आरक्षण के खिलाफ विरोध शुरू कर दिया है। रविवार का यह आयोजन इसी विरोध की एक कड़ी है। इन संगठनों का मानना है कि आने वाले समय में विरोध प्रदर्शन और कड़े रूप में सामने आ सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई

इधर बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण को लेकर लगातार सुनवाई हो रही है। 22 सितंबर से इस पर सुनवाई शुरू होने जा रही है, जिसमें ओबीसी वर्ग के अधिकारों के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे।

इस समय न्यायालय में विभिन्न वकील पक्ष रख रहे हैं, और उनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य के ओबीसी वर्ग को अधिकतम लाभ मिले। इस निर्णय का असर राज्य के शैक्षिक और सरकारी नियुक्तियों पर भी होगा, जिससे ओबीसी उम्मीदवारों को बेहतर अवसर प्राप्त होंगे।

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