संजय गुप्ता, INDORE. बेटमा के नायब तहसीलदार शिवशंकर जारोलिया को अब ग्रामीण क्षेत्र से शहर में पदस्थ किया गया है। उन्हें अब सबसे प्रमुख क्षेत्र या क्रीम एरिया जूनी इंदौर में पदस्थ किया गया है। वैसे तो सामान्य ट्रांसफर है, लेकिन यह सवालों के घेरे में आ गया है। कारण है कि कुछ दिन पहले ही बेटमा क्षेत्र के किसानों ने सीएम लेकर कलेक्टर और देपालपुर एसडीएम तक को उनके भ्रष्टाचार की शिकायत की थी और शिकायतों के बाद उन्हें हटाकर क्रीम एरिया में बैठा दिया गया है।
नायब तहसीलदार की किसानों ने की शिकायत
शिकायत में किसानों ने साफ लिखा है कि नायब तहसीलदार द्वारा लंबे समय से राजस्व काम नामांतरण, बटांकन को रोका गया था। जब कलेक्टर द्वारा कड़ा रूख अपनाते हुए प्रकरण लंबित रहने पर एसडीएम के सात दिन के वेतन काटने के आदेश दिए गए तो फिर नायब तहसीलदार जारोलिया ने बिना गुण-दोष देखते हुए और बिना विचार किए जिसमें रुपया नहीं मिला है, ऐसे सभी केस खारिज कर प्रकरण को बंद किया जा रहा है और वाहवाही दिखाई जा रही है। हम किसान को परेशान किया जा रहा है।
किसानों ने उनके द्वारा राजस्व काम करने के बदले में ली जाने वाली रिश्वत की रेटलिस्ट तक बता दी। इसके अनुसार...
- सीमांकन काम- 5000 रुपए
- नामांतरण काम- दस हजार रुपए
- बड़ी जमीन का नामांतरण- एक से डेढ़ लाख रुपए
- मृतक नामांतरण है और जमीन अधिक तो गाइडलाइन के अनुसार रुपए मांगे जाते हैं।
व्यवहार की भी शिकायत
किसानों ने शिकायत में यह भी लिखा है कि हम लोग बात करने जाते हैं तो वह ढंग से बात नहीं करते हैं और बदतमीजी करते हैं। कोई भी काम करने के लिए अवैध रूप से मांग करते हैं, जिससे हम किसान बहुत तंग हो चुके हैं। वह हर राजस्व काम में रुपए लेने की मांग करते हैं और नहीं देने पर बार-बार चक्कर लगवाते हैं।
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मैडम बाबू की भी शिकायत
साथ ही किसानों ने लिखा है कि बाबू की पोस्ट पर मैडम आई है, वह भी तेजतर्रार है। बिना रुपए लिए फाइल आगे नहीं बढ़ाती है और कहती है कि नायब तहसीलदार साहब ने ही ऐसा बोला है। इसलिए हम सभी किसान आग्रह करते हैं कि इन्हें हटाकर हम किसानों को भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलवाएं।
इधर... तहसीलदार पर बाबू भारी
वहीं एक और किस्सा कलेक्टोरेट में हुआ है। अपर तहसीलदार ने बाबू की कार्यप्रणाली से नाराज होकर उसे हटा दिया, लेकिन उसने भी अपनी पहुंच का अहसास अपर तहसीलदार को करा दिया। एसडीएम ने न केवल अपर तहसीलदार का आदेश बदल डाला, बल्कि उन्हें बोर्ड से ही हटा दिया। इसके बाद वह तहसीलदार छुट्टी पर चले गए। मामला जूनी इंदौर एसडीएम धनराज धनगर और तहसीलदार नागेंद्र त्रिपाठी के बीच का है। त्रिपाठी ने 31 जनवरी को बाबू चौहान को प्रवाचक से हटाकर अन्य शाखा का दायित्व सौंप दिया था। नायब तहसीलदार कमलेश कुशवाह को अपर तहसीलदार बोर्ड की जिम्मेदारी सौंप दी। त्रिपाठी को नायब तहसीलदार बोर्ड का जिम्मा सौंप दिया। साथ ही बाबू चौहान को हटाए जाने का आदेश भी पलट दिया।