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Photograph: (THESOOTR)
INDORE. रायपुर छत्तीसगढ़ में रावतपुरा मेडिकल इंस्टीट्यूट में मान्यता के बदले सामने आए रिश्वत कांड में सीबीआई केस के बाद अब ईडी एक्शन में आया है। जानकारी के अनुसार ईडी ने देश में एक साथ 10 राज्यों के छापेमारी की है।
इन राज्यों में ईडी के छापे
ये छापेमारी दिल्ली के साथ ही उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में की गई है। बताया जा रहा है कि अकेले दिल्ली में ही 15 जगह ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की टीम गई है।
इस मामले में 30 जून को सीबीआई ने केस दर्ज किया था और इसमें 30 से ज्यादा आरोपी बनाए गए थे। आरोपियों ने मान्यता दिलाने का खेल किया था और इसमें शासकीय अधिकारियों के साथ ही निजी लोग शामिल थे।
इसमें नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) के अफसरों को मोटी रिश्वत दी गई थी। मेडिकल कॉलेजों की जांच से जुड़ी सीक्रेट जानकारी लीक करने की डील की गई थी।
इंडेक्स में भी टीम जाने की खबर
इस मामले मे आरोपी क्रमांक 25 पर इंडेक्स कॉलेज के प्रमुख सुरेश भदौरिया भी है। बताया जाता है कि एक टीम इंडेक्स भी गई थी और उनके एकाउंट सेक्शन में जांच की गई। हालांकि 'द सूत्र' ने जब भदौरिया से बात की तो उन्होंने कार्रवाई से साफ इंकार किया और कहा कि ईडी की कोई कार्रवाई नहीं हुई है, यदि होती तो वह जांच के दौरान फोन भी नहीं उठा पाते। उधर ईडी ने अभी यह खुलासा नहीं किया है कि टीम कहां-कहां पर और किनके यहां गई है।
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CBI एफआईआर में भदौरिया को लेकर यह लिखा
सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि केंद्रीय मंत्रालय के स्वास्थ्य मंत्रालय चंदन कुमार (इन्हें भी इस कांड में आरोपी बनाकर एफआईआर दर्ज हुई है) और मप्र के इंडेक्स ग्रुप के चेयरमैन सुरेश भदौरिया की जमकर सांठगांठ थी। कुमार भदौरिया को हर गोपनीय जानकारी भेजते थे। सूत्रों के अनुसार यह जानकारी मान्यता संबंधी निरीक्षण टीम, सदस्यों की जानकारी, दौरा, रिपोर्ट आदि को लेकर होती थी। इसी जानकारी के आधार पर भदौरिया डील करते थे।
रावतपुरा सरकार के साथ भदौरिया की सांठगांठ
इस पूरे कांड में रावतपुरा सरकार यानी रविशंकर महाराज मुख्य आरोपी के तौर पर सामने आए हैं। यह भिंड (लहार) के हैं। इसी एरिया के भदौरिया भी है। भदौरिया के रावतपुरा सरकार से सालों से संबंध है। भदौरिया ने रावतपुरा के साथ संपर्कों का लाभ उठाया और धीरे-धीरे सरकारी सिस्टम में पैठ बना ली।
वहीं रावतपुरा को भदौरिया के मेडिकल कॉलेजों से संपर्कों का लाभ हो रहा था। दोनों की इसी जुगलबंदी ने भदौरिया को मान्यता दिलाने में एक्सपर्ट बना दिया और इसमें कमीशन खाया। एक-एक कॉलेज की मान्यता के लिए लाखों नहीं बल्कि दो से तीन करोड़ रुपए तक की डील हुई है। इसमें कमीशन खाया गया। राशि संबंधित को हवाला के जरिए पहुंचाई जाती थी।
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भदौरिया ने घोस्ट फैकल्टी के लिए क्लोन फिंगर इंप्रेशन बनाए
भदौरिया को लेकर सीबीआई की रिपोर्ट में है कि इंडेक्स ग्रुप में चिकित्सा, दंत चिकित्सा, नर्सिंग, फार्मेसी, पैरामेडिकल साइंसेज और प्रबंधन में शिक्षा देने वाले संस्थान शामिल हैं, जो शैक्षणिक वर्ष 2015-16 से मालवांचल विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं। भदौरिया मालवांचल विश्वविद्यालय का संचालन करने वाली मूल संस्था मयंक वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष भी हैं।
भदौरिया द्वारा इंडेक्स मेडिकल कॉलेज अस्पताल और अनुसंधान केंद्र, इंदौर में डॉक्टरों और कर्मचारियों को अस्थायी आधार पर नियुक्त किया। लेकिन कॉलेज की मान्यता के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) की न्यूनतम मानक आवश्यकताओं (MSR) को पूरा करने के लिए उन्हें गलत तरीके से स्थाई फैकल्टी बताया। इसके लिए आधार सक्षम बायोमेट्री उपस्थिति प्रणाली (AEBAS) के तहत बायोमेट्रिक उपस्थिति में हेरफेर करने के लिए इन व्यक्तियों के कृत्रिम क्लोन फिंगर इंप्रेशन बनाने तक के काम किए।
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भदौरिया दे रहे हैं फर्जी पीएचडी, ग्रेजुएशन डिग्रियां
सीबीआई यहीं तक नहीं रुकी। यह भी खुलासा किया गया है कि भदौरिया अपने करीबी सहयोगियों की मदद से मालवांचल विश्वविद्यालय और उससे जुड़े संस्थानों के माध्यम से कई तरह की अवैध गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। इन गतिविधियों में अक्सर अयोग्य उम्मीदवारों को फर्जी स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी की डिग्री जारी करना शामिल है।
स्वास्थय मंत्रालय के राहुल श्रीवास्तव और चंदन कुमार सभी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार से जुड़े अधिकारी रिश्वत के बदले में विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के निरीक्षण, नवीनीकरण और अनुमोदन पत्र (10 ए) जारी करने के काम में शामिल है।
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अधिकारी कैसे कर रहे थे भदौरिया को मदद
स्वास्थ्य मंत्रालय के आरोपी अधिकारी विभाग के भीतर गोपनीय फाइलों का पता लगाकर और उन पर नज़र रखकर अपने आधिकारिक अधिकार का दुरुपयोग कर रहे थे। मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की गई आंतरिक टिप्पणियों और टिप्पणियों की अवैध रूप से तस्वीरें खींच रहे निजी व्यक्तियों और मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों के साथ साझा किया जा रहा था। इसमें भदौरिया भी शामिल है।
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