नगरीय प्रशासन विभाग के आदेश से घबराए दैनिक वेतनभोगी, अब भोपाल नगर निगम से राहत की आस

भोपाल नगर निगम ने दैनिक वेतनभोगियों के नियमितीकरण की तैयारी शुरू कर दी है। इससे 12 हजार से ज्यादा दैनिक वेतनभोगियों को फायदा होगा। वहीं, नगरीय प्रशासन विभाग के एक पत्र ने प्रदेश में निकायों के दैनिक वेतनभोगियों की नींद उड़ा रखी है।

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Sanjay Sharma
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Photograph: (the sootr)

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BHOPAL. एक ओर नगरीय प्रशासन विभाग के एक पत्र ने प्रदेश में निकायों के दैनिक वेतनभोगियों की नींद उड़ा दी है। दूसरी और भोपाल नगर निगम ने इनके लिए राहत का द्वार खोल दिया है। नगर निगम डेढ़ दशक या उससे पहले से सेवाएं दे रहे दैनिक वेतनभोगियों के नियमितीकरण की तैयारी कर रहा है।

ऐसे कर्मचारियों को नियमित और स्थायी के रूप में राहत देने का प्रस्ताव महापौर मालती राय की पहल पर तैयार किया जा रहा है। इस प्रस्ताव को 30 दिसम्बर को परिषद की बैठक में स्वीकृति के बाद राज्य शासन के पास भेजा जाएगा। वहां से मंजूरी मिली तो निगम के 12 हजार से ज्यादा दैनिक वेतनभोगियों को फायदा होगा। वे नियमित और स्थायी कर्मचारी की भूमिका में आ जाऐंगे

ढाई दशक पहले सरकार ने लगाई थी रोक

प्रदेश में साल 2000 में, तत्कालीन सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया था। उन्होंने नगरीय निकायों में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी की नई नियुक्ति पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी थी। यह नियम कर्मचारियों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए लाया गया था। 

हालांकि, इस आदेश पर बाद में नरमी बरती गई। नगरीय निकायों में कर्मचारियों की लगातार हो रही कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने दैनिक वेतनभोगी व्यवस्था को आगे बढ़ने दिया और नियुक्तियां होती रहीं। इस तरह, पाबंदी के बावजूद यह व्यवस्था चलती रही।

अब, कुछ महीने पहले नगरीय प्रशासन विभाग ने साल 2000 के उसी पुराने आदेश का हवाला दिया है। विभाग ने सभी निकायों से कार्यरत दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की पूरी जानकारी मांगी है।

इस आदेश के आधार पर मांगी गई जानकारी को लेकर प्रदेश के निकायों में कार्यरत हजारों दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी उलझन में हैं। वे इस जानकारी के आधार पर अपनी छंटनी की आशंका से घबराए हुए हैं। 

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डेढ़ दशक बाद होगा नियमितीकरण

जब नगरीय प्रशासन विभाग आदेश से असमंजस में फंसे हजारों कर्मियों को भोपाल नगर निगम से राहत भरी खबर मिली है। नगर निगम अपने अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी काम देने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए नगर निगम परिषद के आदेश पर अधिकारियों द्वारा मसौदा भी तैयार किया जा रहा है।

यह मसौदा अपने अंतिम रूप में पहुंच भी चुका है। बताया जा रहा है कि 30 दिसम्बर को नगर निगम परिषद की बैठक में यह प्रस्ताव रखा जाएगा। जिसके जरिए 1215 अस्थायी कर्मचारियों के नियमितीकरण की राह खुलेगी। अब तक माह में 29 दिन काम करने वाले विनियमित कर्मचारी भी अस्थायी हो पाएंगे। 

सता रही शासन से रोड़ा अटकने की चिंता

नगर निगम अध्यक्ष किशन सूयवंशी का कहना है कि 30 दिसम्बर को होने वाली बैठक काफी अहम है। अस्थायी और विनियमित कर्मियों को लेकर बैठक में उन्हें नियमित करने के प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी। महापौर मालती राय की पहल पर निगम के अधिकारी इस प्रस्ताव को अंतिम रूप दे चुके हैं। 

बैठक में चर्चा के बाद प्रस्ताव पास कराते हुए राज्य शासन को भेजा जाएगा। जहां मंजूरी मिलते ही दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी नियमित हो जाएंगे। ऐसे कर्मचारियों की संख्या 1215 से अधिक है जो बीते डेढ़ दशक से नगर निगम को सेवाएं दे रहे हैं। हांलाकि अभी भी इसमें शासन स्तर पर रोड़ा अटकने की चिंता दैनिक वेतनभोगियों को सता रही है। 

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दर्जन भर नगर निगमकर्मियों में खुशी :

भोपाल नगर निगम में नियमितीकरण के प्रस्ताव की तैयारी के बाद, अब प्रदेश के दूसरे नगरीय निकायों में भी उम्मीद जगी है। डेढ़ से दो दशकों से काम कर रहे दैनिक वेतनभोगियों की उम्मीदें बढ़ी हैं। अस्थायी, आउटसोर्स और संविदा कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष वासुदेव शर्मा का कहना है कि इस श्रेणी में हजारों कर्मचारी काम कर रहे हैं। वे नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषदों में नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं।

यह कर्मचारी जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से मिलकर अपनी मांग उठा रहे हैं। प्रदेश के बड़े नगरीय निकायों जैसे इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, उज्जैन, बुरहानपुर, खंडवा, रतलाम, सतना में भी हजारों दैनिक वेतनभोगी भोपाल नगर निगम की पहल से खुश हैं।

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