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JABALPUR. प्रमोशन में आरक्षण मामले में आज चीफ जस्टिस की डिविजनल बेंच में सरकार ने अपना पक्ष रखा। सुनवाई लगभग 2 घंटे चली। सरकार ने क्वांटिफिएबल डेटा, अनारक्षित वर्ग के प्रतिनिधित्व और सीनियरिटी पर प्रभाव सहित हर मामले में अपना पक्ष रखा।
प्रमोशन में रोक से प्रभावित हो रही नई भर्तियां
राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता की वेदनाथन ने कोर्ट को बताया की मध्यप्रदेश में लगभग 9 लाख 50 वैकेंसी हैं। इसमें से 6.45 लाख पदों पर कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। लगभग 3 लाख वैकेंसी इस कारण रुकी हैं क्योंकि वर्ग 4 और वर्ग 2 के 2 लाख 90 हजार कर्मचारियों का प्रमोशन रुका है। सरकार ने कोर्ट को बताया कि प्रमोशन पर रोक हटने से मध्य प्रदेश सरकार में नई भर्तियों का रास्ता खुल जाएगा।
याचिकाकर्ताओं पर सरकार ने खड़ा किया सवाल
एमपी सरकार की ओर से बताया गया कि मध्य प्रदेश में 54 विभागों में 1500 कैडर हैं। लेकिन याचिकाकर्ताओं में से कोई भी व्यक्ति इस प्रमोशन से प्रभावित नहीं है। कोर्ट में सरकारी अधिवक्ता की तरफ से इसके लिए 6 डिपार्टमेंट का उदाहरण भी दिया गया। कोर्ट को बताया गया कि वेटरनरी डिपार्मेंट, पब्लिक हेल्थ एंड मेडिकल एजुकेशन , फॉरेस्ट , उद्यानिकी सहित मंत्रालय में भी ऐसा कोई कर्मचारी नहीं है। प्रमोशन में आरक्षण से प्रभावित हो और उसने याचिका दायर की हो।
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सुप्रीम कोर्ट के मामलों का हवाला
राज्य सरकार की ओर से कोर्ट जरनैल सिंह 2 जैसे सुप्रीम कोर्ट के मामलों का भी हवाला दिया गया। कोर्ट को बताया गया कि आरक्षित वर्ग का प्रतिनिधित्व पूरे पदों में नहीं बल्कि कैडर के अनुसार तय किया जाना है। उदाहरण के तौर पर पूरे पदों के आधार पर प्रतिनिधित्व का डाटा निकालना आदेश की गलत व्याख्या है।
कोर्ट को बताया गया कि प्रतिनिधित्व बिना जांचे प्रमोशन में आरक्षण लागू करने के आप भी गलत है। बल्कि उदाहरण दिया गया कि कैडर वार 5 साल में पुनरीक्षण की जो व्यवस्था है। यह इसलिए सही है क्योंकि यदि अगले 2 सालों में किसी आरक्षित वर्ग के व्यक्ति का रिटायरमेंट होता है, तो अगले पुनरीक्षण तक उस पद के लिए आरक्षण नहीं दिया जाएगा।
आरक्षण पर रोक हटाने के बाद सीनियरिटी का उठा मुद्दा
हाईकोर्ट ने शासकीय अधिवक्ता से खुद से यह पूछा कि अभी जिन लोगों को साल 2016 से प्रमोशन के बाद सुप्रीम कोर्ट से प्रोटेक्शन मिला हुआ है। इस पर फैसला आने के बाद सीनियरिटी कैसे तय की जाएगी। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा ने उदाहरण देते हुए कहा कि मान लीजिए व्यक्ति A सीनियर है और व्यक्ति B जूनियर। 2016 में जूनियर व्यक्ति भी का प्रमोशन हो गया और वह स्टेज 2 पर पहुंच गया। अब व्यक्ति B को कार्य अनुभव के चलते प्रमोशन पर रोक हटते ही स्टेज 3 तक पहुंचाने का रास्ता मिल जाएगा। जबकि व्यक्ति A अब स्टेज 2 पर ही आ आएगा।
कोर्ट ने इस पर चिंता जताते हुए पूछा कि व्यक्ति A सीनियर था लेकिन उसके बाद भी इसका एक्सपीरियंस काउंट नहीं होगा। इस पर सरकार क्या करेगी। सरकार की ओर से बताया गया की 15000 कैडर में ऐसे मात्र 15 कैडर हैं जो प्रभावित होंगे। कोर्ट ने इस पर फिर सवाल किया कि क्या 14085 केडर में ऐसा एक भी मामला नहीं होगा जिसमें सीनियर का एक्सपीरियंस छीन लिया जाएगा। सरकार की ओर से यह बताया गया कि आदेश आने के बाद भी नियम किसी भी तरह से सीनियरिटी को नहीं छीनते हैं हालांकि इस बात से कोर्ट संतुष्ट नजर नहीं आया।
6 जनवरी को अगली सुनवाई
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार का पूरा पक्ष समाप्त होने के बाद पूछा कि अब इस मामले में और किसे पक्ष रखना है। इसके बाद आपत्तिकर्ता वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर के बताए द्वारा बताया गया कि उन्हें अपना पक्ष रखने में लगभग डेढ़ घंटे का समय लगेगा। अब मामले की अगली सुनवाई में आपत्तिकर्ता डेढ़ घंटे में अपना पक्ष रखेंगे। हालांकि कोर्ट ने समय का विशेष ध्यान रखने के लिए कहा है। कोर्ट नहीं अभी कहां है कि यह मामला बेहद संवेदनशील है और हजारों कर्मचारियों के प्रमोशन से जुड़ा हुआ है इसलिए ही हम वेकेशन के पहले भी इसकी सुनवाई कर रहे हैं और जल्द से जल्द निराकरण करना चाहते हैं।
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