अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्माण से राष्ट्र का पुनरुत्थान : RSS

नागपुर में संपन्न हुई राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की प्रतिनिधि सभा में कई निर्णय लिए गए। संघ में दायित्वों का परिवर्तन भी किया गया। प्रभु श्रीराम के मंदिर की विगत 22 जनवरी को संपन्न दिव्य प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े अवसर को संघ बहुत महत्व दे रहा है। 

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Sandeep Kumar
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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ

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राजेश मूणत @ RATLAM. राष्ट्रीय स्वयं सेवक ( RSS ) संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में पारित प्रस्ताव श्रीराम मंदिर (  Shri Ram Temple ) से राष्ट्रीय पुनरुत्थान की और को संघ अब पत्रक के माध्यम से देशभर में प्रत्येक घर तक पहुंचा रहा है। विगत 15 से 17 मार्च को नागपुर (  Nagpur ) में संपन्न हुई प्रतिनिधि सभा में संघ कार्य की दृष्टि से वैसे तो कई निर्णय लिए गए। संघ में दायित्वों का परिवर्तन भी किया गया। लेकिन प्रभु श्रीराम के मंदिर की विगत 22 जनवरी को संपन्न विग्रह की भव्य दिव्य प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े अवसर को संघ बहुत महत्व दे रहा है। संघ के पत्रक में यह विशेष उल्लेख है की यह इतिहास का अलौकिक एवं स्वर्णिम पृष्ठ है। यह  संघर्षकाल के एक दीर्घ अध्याय का सुखद समाधान है। संघ ने अपने पत्रक में उल्लेख किया है की विगत 22 जनवरी को संपन्न विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपूर्ण विश्व में हिंदू चेतना के जागरण का एक ऐतिहासिक अवसर बना है। पत्रक में साधु संत समाज और शौधकर्ताओं, पुरातत्वविदों, विचारकों, विधिवेत्ताओं, संचार माध्यमों के साथ बलिदान हुए कारसेवकों और समस्त हिन्दू समाज के योगदान का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है। 

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अयोध्या में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा

विगत 22 जनवरी को विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों को अद्भुत बताते हुए पत्रक में कहा गया की इनसे समाज में एक नवीन ऊर्जा का संचार हुआ है। इस पत्रक को प्रत्येक घर तक पहुंचाने के पीछे संघ का उद्देश्य स्पष्ट है। संघ ने पत्रक में इसका उल्लेख करते हुए लिखा है की इस वक्त समाज में आई जागृति का लाभ लिया जाए। प्रभु श्रीराम के आदर्शों को आत्मसात करने के लिए समाज को तैयार किया जाए। पत्रक में कहा गया है की मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जीवन हमें हमारे सामाजिक दायित्वों का बोध कराता है। उनके जीवन चरित्र से समाज और राष्ट्र के प्रति त्याग का संकल्प दृढ़ होता है। उनकी शासन पद्धति जो की रामराज्य के नाम से इतिहास में प्रतिष्ठित है। यह ऐसी संकल्पना है जिससे इस समय की बड़ी समस्याओं में से एक जीवन मूल्यों के क्षरण और मानवीय संवेदनाओं में कमी पर नियंत्रण पाया जा सकता है। पत्रक में कहा गया है की विस्तारवाद के कारण आज संपूर्ण विश्व के सामने हिंसा और क्रूरता बड़ी चुनौती बनकर उभर गई है। इसलिए रामराज्य के आदर्श संपूर्ण विश्व के लिए आज भी प्रासंगिक और अनुकरणीय है। 

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समाज के लिए संकल्प

पत्रक में प्रतिनिधिसभा के सुविचारित मत का उल्लेख किया गया है। जिसमे संपूर्ण समाज से आग्रह किया है की बंधुत्वभाव से युक्त, कर्तव्यनिष्ठ, मुल्याधारित और सामाजिक न्याय की सुनिश्चितता करने वाले समर्थ भारत का निर्माण करने का लक्ष्य सदैव स्व हितों से ऊपर रखे। रामराज्य सर्वकल्याणकारी वैश्विक व्यवस्था का निर्माण करने की एक मजबूत शासन पद्धति है। संघ ने यह पत्रक ऐसे समय में जारी किया है। जब संपूर्ण देश राममय है। संघ का मानना है की यह सही समय है जब समाज में आई की इस जागृति से रामराज्य की संकल्पना को पूरा करने का लाभ उठाया जाए।

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