MP News: इंदौर नगर निगम के स्लाटर हाउस पर किए गए खुलासे के बाद मंगलवार को बवाल हो गया। विधायक देपालपुर मनोज पटेल ने मौके पर पहुंचकर जबरदस्त विरोध किया और मौके पर बुलडोजर भी आ गए। वहां खड़ी हो रही दीवारें तोड़ दी गई।
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यह बोले विधायक पटेल
बीजेपी विधायक पटेल ने कहा कि यहां खुलने वाले बूचड़खाने के काम का बंद कराया है। ग्रामीणों में काफी रोष है और उन्होंने यहां तोड़फोड़ की है। इसके पहले संघ के प्रमुख लोगों ने रैली भी निकाली और अधिकारियों को इसके विरोध में ज्ञापन दिया है। यह स्लाटर हाउस का काम 2018-19 में भी हुआ था तब इसे रोक दिया गया था, लेकिन अब पता चला कि यह फिर से खुल रहा है। यहां बड़ी-बड़ी दीवारें खड़ी कर दी गई है। हम यहां किसी भी हाल में स्लाटर हाउस नहीं खुलनें देगे।
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हिंदू संगठन ने बताया सनातन धर्म के खिलाफ
संगठनों द्वारा इस मामले में 3 जून मंगलवार को विरोध प्रदर्शन किया गया और रैली निकाली गई। बाद में कलेक्टर के नाम पर एसडीएम देपालपुर, तहसीलदार और टीआई बेटमा के नाम पर ज्ञापन दिया गया। इसमें कहा गया किया यह बूचड़खाना सनातन धर्म के खिलाफ है। इसमें पशु वध करने का काम किया जाएगा। गो वंश के अवशेष यहां-वहां फेंके जाएंगे, जिससे साम्प्रदायिक तनाव होगा। पास में ही गंभीर नदी है, जिससे जलापूर्ति होती है, इससे पानी भी प्रदूषित होगा। विरोध के बाद भी यहां यह काम किया जा रहा है और मंजूरी दी जा रही है। इसे तत्काल रोका जाए। तय समय में फैसला नहीं लिया गया तो जन आंदोलन किया जाएगा।
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एमआईसी मेंबर शुक्ला ने किया था गुपचुप दौरा
इंदौर नगर निगम एमआईसी मेंबर अश्विनी शुक्ला कुछ अन्य साथियों को लेकर जमीन देखने के लिए कुछ दिन पहले लेकर गए। इस दौरान वहां पर नगर निगम का बोर्ड लगवाया। इसमें लिखा था- मीटर प्रोसेसिंग यूनिट रन बाय इंदौर म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन। स्लाटर हाउस को नया टेक्निकल नाम दिया गया है, ताकि लोग इसे लेकर विरोध नहीं करें।
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कांग्रेस सरकार के समय टेंडर होने की बात
बताया जा रहा है कि इस स्लाटर हाउस के लिए टेंडर कांग्रेस सरकार के समय हुआ था और मंजूर खान (पूर्व पार्षद सादिख खान के भाई और इन पर 11 केस दर्ज है) ने यह काम हाथ में लिया है। इसके बाद जमीन को लेकर विवाद आया वहीं बीजेपी सरकार के समय स्लाटर हाउस को लेकर विवाद उठने की बात होने से इसे टच नहीं किया गया, लेकिन अब फिर टेंडर लेने वाले सक्रिय हुए और बीजेपी पार्षद और एमआईसी मेंबर अश्विनी शुक्ला ने इसमें तेजी से मदद की। इसके बाद काम शुरू हो गया। लेकिन 'द सूत्र' के खुलासे के बाद विरोध शुरू हो गया है।
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