साध्वी लक्ष्मीदास गिरफ्तार, 90 लाख रुपए की धोखाधड़ी के आरोप में थीं फरार

साध्वी लक्ष्मी दास को 90 लाख रुपये की धोखाधड़ी और अदालत को गुमराह करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है।

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Sourabh Bhatnagar
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छिंदवाड़ा पुलिस ने लंबे समय से फरार चल रही साध्वी लक्ष्मीदास (असली नाम रीना रघुवंशी) को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी नर्मदापुरम जिले के चंद्रकलां गांव से की गई, जहां साध्वी धार्मिक अनुष्ठान के बहाने छिपकर रह रही थी। जानकारी के अनुसार पुलिस को एक मुखबिर से सूचना मिली कि साध्वी गांव में मौजूद है, जिसके बाद एक विशेष टीम वहां पहुंची।

जैसे ही पुलिस टीम वहां पहुंची, साध्वी ने टॉयलेट जाने का बहाना बनाकर भागने की कोशिश की, लेकिन वह पास ही की नदी पार कर दूसरे गांव में छिप गई। पुलिस ने नाव की मदद से उसका पीछा किया और उसे चारों ओर से घेर लिया। अब उसे पुलिस हिरासत में लिया गया है और मंगलवार (आज ) को उसे अदालत में पेश किया जाएगा।

अब जानिए क्या है पूरा मामला 

छिंदवाड़ा के लोनीकला स्थित महंत कनक बिहारी दास रघुवंशी समाज के एक प्रतिष्ठित गुरु थे। उन्होंने राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा जुटाने का कार्य किया था। 17 अप्रैल 2023 को एक सड़क दुर्घटना में उनकी मौत हो गई।

इस दुखद घटना के बाद, रीना रघुवंशी ने अपने भाई हर्ष के साथ मिलकर एक बड़ा फर्जीवाड़ा किया। उन्होंने महंत के बैंक खाते से उनका मोबाइल नंबर हटाकर अपना खुद का नंबर जोड़ दिया। फिर नेट बैंकिंग के जरिए उन्होंने महंत के खाते से 90 लाख रुपए निकाल लिए। यह धोखाधड़ी का मामला तब सामने आया जब पुजारी श्याम सिंह ने चौरई में केस दर्ज कराया।

 हैरान करने वाली बात यह रही कि जिस बैंक खाते से यह बड़ी राशि निकाली गई, उसमें कोई नॉमिनी नहीं था। पुलिस जांच में यह सामने आया है कि इस धोखाधड़ी में साध्वी लक्ष्मी दास के साथ-साथ एक बैंक मैनेजर की भी संदिग्ध भूमिका हो सकती है।

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ये आरोप हैं साध्वी लक्ष्मीदास पर

  • कनकबिहारी दास के निधन के बाद, साध्वी लक्ष्मीदास (असली नाम रीना रघुवंशी) ने दस्तावेजों का उपयोग करते हुए खुद को महराज का नॉमिनी बना लिया।

  • 28 दिसंबर 2023 को दस्तावेजों की मदद से भोपाल से मोबाइल सिम अलॉट करवाया गया और मोबाइल बैंकिंग की सुविधाएं शुरू की गईं।

  • 31 दिसंबर 2023 को महराज के खाते से एक रुपए का ऑनलाइन ट्रांसफर किया गया, जिससे महराज के खाते की फैसिलिटी चेक की गई।

  • 19 जनवरी 2024 को महराज के खाते से 50 लाख रुपए किसी अन्य खाते में ट्रांसफर किए गए।

  • 31 जनवरी 2024 को महराज के खाते से 9 लाख 99 हजार 999 रुपए का ट्रांसफर किया गया।

  • उक्त महीने में कुल 89 लाख 80 हजार रुपए महराज के खाते से ट्रांसफर किए गए।

  • चौर्य थाने में इस संबंध में एफआईआर दर्ज कराई गई है।

अदालत को गुमराह करने का प्रयास

साध्वी लक्ष्मी दास ने गिरफ्तारी से बचने के लिए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, लेकिन उसे कोई राहत नहीं मिली। 19 मई को हाईकोर्ट ने उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए यह स्पष्ट किया कि उसने तथ्यों को छुपाया और अदालत को गुमराह करने का प्रयास किया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका (SLP) भी उसने खुद ही वापस ले ली थी, और तब से वह फरार थी।

पुलिस की जांच और आगे का रुख

अब छिंदवाड़ा पुलिस की स्पेशल टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया है और मामले की आगे की जांच की जा रही है। पुलिस यह जानने की कोशिश करेगी कि वह 90 लाख रुपए की राशि कहां और कैसे खर्च की गई। इसके साथ ही बैंक अधिकारियों और अन्य संलिप्त व्यक्तियों की भी जांच की जाएगी। यह मामला अब और भी गंभीर मोड़ ले सकता है, क्योंकि मंदिर ट्रस्ट से जुड़े कई वित्तीय दस्तावेज और लेनदेन की परतें खुलने की संभावना जताई जा रही है।

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कौन है साध्वी लक्ष्मीदास

साध्वी लक्ष्मीदास का नाम पहले रीना रघुवंशी था। रीना खेजड़ा तिला गांव की रहने वाली हैं। साध्वी उर्फ रीना रघुवंशी 2022 में खेजड़ा तिला गांव से सरपंच का चुनाव भी लड़ चुकी है। रीना के माता-पिता ने बताया था कि वह घर में सबसे बड़ी है। उसकी एक बहन और एक छोटा भाई है। रीना की पढ़ाई विदिशा में हुई है। छोटी बहन की शादी भोपाल में हुई थी। 

शादीशुदा है साध्वी 

रीना के माता-पिता ने ये भी बताया था कि इंदौर में उसकी शादी हुई थी। शादी के करीब 5 महीने तक वह ससुराल में रही। उसके बाद लौटकर आई तो फिर वापस नहीं गई। हालांकि साध्वी उर्फ रीना ने इस बात को साफ तौर से नकार दिया। साध्वी ने बताया कि उसकी इंदौर में सिर्फ सगाई हुई थी शादी नहीं। साध्वी लक्ष्मीदास का ये भी कहना है कि उनका परिवार से कोई लेना-देना नहीं है।

साध्वी की शिक्षा 

साध्वी के बताए अनुसार, उन्होंने 2011 में एनएलआईयू (नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी) से एलएलबी पास की है। हालांकि एनएलआईयू में 3 साल का कोई ग्रेजुएशन कोर्स ही नहीं है। यहां क्लेट से दाखिला मिलता है। साध्वी ने आगे बताया कि वे आईआईएम कोलकाता से 2011की पास आउट है।

खास बात ये है कि इसी दौरान वह निजी इंश्योरेंस कंपनी में नौकरी भी कर रही थी। वह खुद को कंपनी का वाइस प्रेसिडेंड बताती थी लेकिन कंपनी के स्टाफ ने बताया कि वह नौकरी छोड़ने के पहले तक ब्रांच हेड के रूप में काम कर रही थी।

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2010 में ली दीक्षा 

साध्वी लक्ष्मीदास ने के अनुसार उन्होंने 2010 में ही दीक्षा ले ली थी, लेकिन घर-परिवार की जिम्मेदारी के चलते वह परिवार के साथ रह रहीं थी। फिर 2020 में उसने विधिवत अपना नाम रीना रघुवंशी से बदलकर साध्वी लक्ष्मीदास कर दिया।

महंत कनकबिहारी दास से जुड़ाव पर कहा कि मेरे पिता 2010 से उनसे जुड़े थे। महंत कनकबिहारी दास का घर आना-जाना था। मैं 2020 से ही साध्वी हो गई। महंत कनकबिहारी दास के कहने पर ही विवाह विच्छेद किया था।

कनकधाम के वरिष्ठ सदस्य चक्रपाल पटेल ने बताया कि 2022 में विदिशा के गमाकर गांव में कनकबिहारी दास महाराज यज्ञ करने पहुंचे थे, उसी दौरान लक्ष्मी उनके संपर्क में आई थी। लक्ष्मी पर आश्रम से जुड़े दूसरे लोगों को पहले से ही संदेह था।

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