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Photograph: (THESOOTR)
सहारा समूह अब धोखाधड़ी और वित्तीय अनियमितताओं के कारण सुर्खियों में है। मध्यप्रदेश के आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने जांच के बाद सहारा समूह के खिलाफ FIR दर्ज की। इस FIR में समूह के अधिकारियों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए 72.82 करोड़ रुपए की हेराफेरी करने का आरोप है। यह रकम उन गरीब निवेशकों की थी जिन्होंने अपनी मेहनत की कमाई सहारा समूह में जमा की थी।
संपत्ति बेचकर पैसा वापस करें: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह को निर्देशित किया था कि वह अपनी संपत्तियों को बेचकर निवेशकों को उनका पैसा वापस करें। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया था कि जो भी संपत्तियां बेची जाएं, उनसे प्राप्त राशि को SEBI-Sahara Refund Account में जमा किया जाए। हालांकि, सहारा समूह ने कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया और विक्रय से प्राप्त रकम को अन्य खातों में स्थानांतरित कर दिया।
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72.82 करोड़ रुपए का गबन
सहारा समूह ने जिन संपत्तियों को बेचा, उनमें भोपाल, सागर, जबलपुर और ग्वालियर की भूमि शामिल थी। इन विक्रयों से प्राप्त 72.82 करोड़ रुपए का एक हिस्सा SEBI के खाते में जमा नहीं किया गया। इसके बजाय, यह रकम सहारा समूह की विभिन्न सहायक कंपनियों और अन्य खातों में स्थानांतरित कर दी गई।
EOW ने की जांच
EOW द्वारा की गई जांच में यह स्पष्ट हुआ कि सहारा समूह ने जानबूझकर कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन किया और विक्रय से प्राप्त करोड़ों रुपये को गलत तरीके से स्थानांतरित किया। विशेष रूप से, भोपाल और सागर में विक्रय से प्राप्त रकम को SEBI-Sahara Refund Account में जमा नहीं किया गया।
सहारा समूह के इन अधिकारियों की भूमिका...
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सीमांतो रॉय प्रमुख, CCM (कॉर्पोरेट कंट्रोल मैनेजमेंट) : जबलपुर और कटनी की भूमि बिक्री के निर्णयों में सीधे तौर पर शामिल पाए गए।
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ओपी श्रीवास्तव (डिप्टी मैनेजिंग वर्कर) : सहारा के लैंड डिवीजन के प्रमुख होने के नाते सागर भूमि सौदे के निर्णयों में शामिल पाए गए।
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जेबी रॉय (DGM, DMW): भोपाल भूमि सौदे के वित्तीय लेन-देन और निर्णयों में इनकी सक्रिय भूमिका थी।
इन अधिकारियों ने मिलकर इस धोखाधड़ी को अंजाम दिया और निवेशकों के पैसे का दुरुपयोग किया।
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भोपाल और सागर में बेची गई जमीन
भोपाल
सहारा समूह ने मक्सी ग्राम की जमीन को 125 करोड़ रुपए के मूल्यांकन के साथ न्यायालय में प्रस्तुत किया था। यह भूमि 110 एकड़ क्षेत्रफल में फैली हुई थी। हालांकि, इस भूमि को केवल 47.73 करोड़ रुपए में बेचा गया। इस बिक्री से प्राप्त पूरी राशि को SEBI-Sahara खाते में जमा करने की बजाय, समूह ने इसे अपनी सोसाइटी 'हमारा इंडिया क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड' के खातों में ट्रांसफर कर दिया।
सागर
यहां लगभग 99.76 एकड़ जमीन 14.79 करोड़ रुपए में बेची गई। इस मामले में भी, एक भी रुपया SEBI-Sahara खाते में जमा नहीं किया गया। राशि को सहारा की सहायक कंपनियों और अन्य सोसाइटी के खातों में स्थानांतरित कर लिया गया। इस दौरान एक सेल डीड में 1.61 करोड़ रुपए का चेक बाउंस हुआ था, लेकिन इसे भुगतान हुआ बताकर रजिस्ट्री कर दी गई और वास्तविक भुगतान लगभग दो साल बाद किया गया।
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अवैध कटौतियां...
कुछ मामलों में, बिक्री से प्राप्त राशि को SEBI-Sahara खाते में जमा किया गया, लेकिन न्यायालय के निर्देशों के खिलाफ लाखों रुपए की अवैध कटौतियां की गईं-
- जबलपुर और कटनी: यहां भूमि बिक्री से 9.06 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध कटौती की गई। यह राशि भूमि विकास व्यय, कस्टमर लायबिलिटी और अन्य शासकीय करों के नाम पर काटी गई।
- ग्वालियर: यहां 1.22 करोड़ रुपए की अवैध कटौती की गई।
कुल अवैध कटौती
- इन तीन जिलों से कुल 10.29 करोड़ रुपए की राशि अवैध रूप से काटी गई। इसके अतिरिक्त, 8.81 करोड़ रुपए को विविध व्यय के नाम पर और 9.06 करोड़ रुपए को कस्टमर लायबिलिटी, भूमि विकास, TDS, GST, और अन्य फर्जी मदों में खर्च दिखाया गया।
- सहारा समूह द्वारा किए गए ये वित्तीय अनियमिततियां न केवल न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन करती हैं, बल्कि निवेशकों के पैसे का भी दुरुपयोग करती हैं।
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ऐसे किया संपत्ति बेचने और उसका दुरुपयोग...
जिला | भूमि क्षेत्रफल (एकड़ में) | विक्रय मूल्य (रुपए में) | SEBI खाते में जमा राशि (रुपए) | अन्यत्र दुरुपयोग की गई राशि (रुपए) |
---|---|---|---|---|
भोपाल | 110.10 | 47.73 करोड़ रुपए | 0 रुपए | 47.73 करोड़ रुपए |
सागर | 99.76 | 14.79 करोड़ रुपए | 0 रुपए | 14.79 करोड़ रुपए |
कटनी | 99.43 | 22.00 करोड़ रुपए | 14.85 करोड़ रुपए | 7.15 करोड़ रुपए (लगभग) |
जबलपुर | 99.44 | 20.60 करोड़ रुपए | 17.07 करोड़ रुपए | 3.53 करोड़ रुपए (लगभग) |
ग्वालियर | 99.76 | 18.60 करोड़ रुपए | आंशिक / नहीं | 1.22 करोड़ रुपए (कटौती) |
कुल अवैध रूप से दुरुपयोग की गई राशि: 72.82 करोड़ रुपए
निवेशकों का भविष्य
सहारा समूह के लाखों छोटे निवेशक, जो मजदूर, किसान और छोटे दुकानदार थे, अब अपनी मेहनत की कमाई की वापसी के लिए न्यायालय की ओर देख रहे हैं। हालांकि, यह मामला अब अदालत में लंबित है, और EOW द्वारा की गई जांच से उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
सहारा समूह के निवेशक | सहारा समूह के निदेशक
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