स्वच्छता सर्वेक्षण : जबलपुर नगर निगम का पड़ोस ही गंदा तो शहर कैसे रहेगा साफ

मध्यप्रदेश में जबलपुर नगर निगम स्वच्छता सर्वेक्षण के विज्ञापनों के लिए लाखों रुपए खर्च कर रहा है। वहीं, कागजों नगर निगम की रैंकिंग जमीन पर चेक की जाए तो 100 नंबर से भी अधिक से पिछड़ सकता है...

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Neel Tiwari
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Sanitation Survey Jabalpur Municipal Corporation Photograph: (thesootr)

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दिया तले अंधेरा यह कहावत तो आपने जरूर सुनी होगी। जबलपुर नगर निगम इस कहावत को चरितार्थ कर रहा है। स्वच्छता सर्वेक्षण के विज्ञापनों के लिए तो निगम लाखों रुपए खर्च कर रहा है। कागजों पर आ रही जबलपुर नगर निगम की रैंकिंग यदि जमीन पर चेक की जाए तो निगम 100 नंबर से भी अधिक से पिछड़ सकता है। बीते दिनों सफाई कर्मियों के भुगतान से लेकर लगातार विवादों में घिरे नगर निगम की पोल अब कांग्रेस पार्षदों ने खोल कर रख दी है। नगर निगम जबलपुर मुख्यालय के ठीक पीछे बने नॉन मोटराइज्ड ट्रैक (NMT) पर फैली हुई गंदगी देख कर तो यही समझ में आ रहा है कि जब निगम अपने आसपास ही सफाई नहीं रख पा रहा है तो शहर को स्वच्छ बनाना तो इनके लिए नामुमकिन ही है।

झाड़ियों के पीछे छुपा स्वच्छता सर्वेक्षण का संदेश देने वाला बोर्ड अपने तरीके से छिप-छिप कर अपना अंदाज ए बयां कर रहा है। किसी दुर्घटना का इंतजार करते रोशनी के खंभों के खुले तार, इधर-उधर पड़ी शराब की बोतलें और कचरे में पड़ा निगम का सफाई वाहन। ये नजारे किसी ग्रामीण क्षेत्र के नहीं बल्कि, नगर निगम के मुख्यालय से सटे हुए लाखों रुपए की लागत से बनाए नॉन मोटराइज्ड ट्रैक और उसके आसपास का है। यहां फैली गंदगी का आलम देखकर यह लग रहा है कि जबलपुर नगर निगम में सफाई सिर्फ कागजों पर हो रही है।

मुख्यालय के पीछे गंदगी का अंबार

जबलपुर नगर निगम मुख्यालय के पीछे बने नॉन मोटराइज्ड ट्रैक (NMT) की हालत नगर निगम के स्वच्छता के दावों की पोल खोल रही है। लाखों रुपए की लागत से बने इस ट्रैक के आसपास फैली झाड़ियां, खुले बिजली के तार और कचरे के ढेर निगम की लापरवाही का साफ संकेत दे रहे हैं। झाड़ियों और गंदगी के बीच स्वच्छता सर्वेक्षण का संदेश कहीं छिपा हुआ नजर आता है और निगम का कचरे में पड़ा सफाई वाहन व्यवस्था का मजाक उड़ाते दिख रहे हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि मुख्यालय के पास का यह हाल नगर निगम की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। नागरिकों ने मांग की है कि नगर निगम न केवल ट्रैक की सफाई सुनिश्चित करे, बल्कि वहां की सुरक्षा और रखरखाव पर भी ध्यान दे। यदि इस पर जल्द कदम नहीं उठाए गए, तो निगम की साख पर और गहरा असर पड़ सकता है।

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कांग्रेस पार्षदों ने खोली निगम की पोल

नगर निगम की सफाई व्यवस्था और प्रबंधन को लेकर कांग्रेस पार्षदों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। अमरीश मिश्रा और अयोध्या प्रसाद तिवारी का कहना है कि नगर निगम में सफाई कर्मियों के भुगतान में देरी और प्रबंधन में व्याप्त कुप्रबंधन के कारण शहर की स्वच्छता व्यवस्था पूरी तरह खराब हो गई है। पार्षदों ने नगर निगम मुख्यालय के ठीक पीछे की गंदगी का मुद्दा उठाते हुए इसे निगम की लापरवाही का स्पष्ट प्रमाण बताया। उनका कहना है कि जब नगर निगम अपने मुख्यालय के आसपास सफाई सुनिश्चित नहीं कर पा रहा है, तो पूरे शहर को स्वच्छ बनाए रखने के दावे किस हद तक सच हो सकते हैं, यह आसानी से समझा जा सकता है। पार्षदों ने बताया कि नगर निगम के मुख्यालय के आसपास की जगह एक उदाहरण मात्रा है, जबकि पूरे शहर के बड़े हिस्से का यही हाल है जो स्वच्छता अभियान के झूठे दावों की पोल खोलता है। उन्होंने नगर निगम से तत्काल कदम उठाने की मांग की है।

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खुले तार दे रहे दुर्घटना को आमंत्रण

नगर निगम मुख्यालय के पीछे बने नॉन मोटराइज्ड ट्रैक (NMT) के आसपास सुरक्षा व्यवस्था की भारी अनदेखी ने बड़ी दुर्घटना की आशंका बढ़ा दी है। बिजली के खंभों से लटकते खुले तार न केवल हादसे को न्योता दे रहे हैं, बल्कि नगर निगम की लापरवाही को भी उजागर कर रहे हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह समस्या काफी समय से बनी हुई है, लेकिन अब तक नगर निगम ने इसे लेकर कोई कदम नहीं उठाया है। शहर में जगह-जगह स्वच्छता सर्वेक्षण के संदेश गंदगी से ढके हुए हैं, जो निगम के स्वच्छता के दावों की पोल खोल रहे है। शहर में फैली गंदगी और अनदेखी हुई स्थिति साफ दर्शाती है कि नगर निगम न केवल स्वच्छता बल्कि, सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों को भी नजरअंदाज कर रहा है। बीते दिनों एक सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया था जिसमें नगर निगम की एक अन्य NMT रोड पर सुरक्षा के लिए लगाए गए सीसीटीवी कैमरा दिनदहाड़े चोरों ने चुरा लिए थे। नगर निगम की मुस्तैदी का आलम यह है कि यह वीडियो वायरल होने के बाद मजबूरी में निगम ने शिकायत दर्ज कराई थी। लेकिन शिकायत के बाद इसका परिणाम क्या हुआ यह जानने की अब तक निगम ने कोई कवायत तक नहीं की है।

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क्या इंदौर से मुकाबला संभव?

इंदौर से स्वच्छता में प्रतिस्पर्धा का सपना देखने वाला जबलपुर नगर निगम अपने मुख्यालय के आसपास भी सफाई सुनिश्चित नहीं कर पा रहा है। स्वच्छता के दावे कागजों तक सीमित हैं, जबकि धरातल पर सफाई के नाम पर हो रही खानापूर्ति नगर निगम की उदासीनता को उजागर कर रही हैं। शहरवासीयों  का कहना है कि यदि नगर निगम ने अपनी कार्यशैली में सुधार नहीं किया, तो स्वच्छता सर्वेक्षण में जबलपुर की रैंकिंग और गिर सकती है। इंदौर से मुकाबला तो दूर, नगर निगम की प्राथमिकताओं पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं। शहरवासियों ने तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने की मांग की है।

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जबलपुर निगम की साख दांव पर

जबलपुर नगर निगम की स्वच्छता व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं, और शहरवासी ठोस कदम की उम्मीद कर रहे हैं। नगर निगम की लापरवाही और कुप्रबंधन ने स्वच्छता के दावों को कमजोर कर दिया है। मुख्यालय के आसपास फैली गंदगी और सफाई की बदहाल स्थिति से साफ है कि निगम धरातल पर अपने प्रयासों को सफल नहीं बना सका है। नागरिकों का कहना है कि अगर नगर निगम ने जल्द सुधारात्मक कदम नहीं उठाए, तो इंदौर से मुकाबला करना एक दूर का सपना रहेगा। गंदगी से न केवल शहर की छवि खराब हो रही है, बल्कि नागरिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य पर भी खतरा मंडरा रहा है। कागजी दावों के बजाय, निगम को जमीनी स्तर पर ठोस कदम उठाने होंगे। अब केवल विज्ञापन और नारों से काम नहीं चलेगा; नगर निगम को अपनी साख बचाने के लिए वास्तविक सुधार करने की आवश्यकता है।

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