संजय गुप्ता @ INDORE. भूमाफियाओं और जमीन के जादूगरों का इंदौर में एक और घोटाला तैयार हो गया है। इसकी ईओडब्ल्यू (EOW) में शिकायत भी हुई लेकिन मामला ठंडे बस्ते में डल गया है। मामला DHL इन्फ्राबुल इंटरनेशनल कंपनी का है जिसके मुख्य कर्ताधर्ता संतोष सिंह ( Santosh Singh ) और संजीव जायसवाल ( Sanjeev Jaiswal ) है। मामला 300 करोड़ से ज्यादा का है। रेरा में भी मामला पहुंचा, कुछ प्लाटधारकों की शिकायत पर राशि ब्याज सहित वापस करने के भी आदेश हुए लेकिन मामला वहीं ठंडा हो गया। वहीं इस मामले में पिनाकल ग्रांड जैसा मुद्दा भी है, जिस तरह पिनाकल ग्रांड में शहर की कई नामी हस्तियों, अधिकारियों का पैसा लगा है, इसी तरह डीएचएल प्रोजेक्ट में कई आला अधिकारियों जिसमें प्रशासनिक व पुलिस व अन्य विभाग के अधिकारी शामिल है, का पैसा लगा हुआ है।
ईओडब्ल्यू में क्या है मामला ?
डीएचएल की इंदौर के साथ ही भोपाल, सीहोर, धार, कई जगह पर प्रोजेक्ट है। अधिकांश प्रोजेक्ट केवल दिखावे के लिए लांच किए गए। इसमें सस्ती जमीन खरीदी गई और फिर इसमें प्लाट काटकर लोगों से बुकिंग राशि ली गई। दो महीने में प्लाटधारकों से 50 फीसदी राशि ले ली गई। इसमें भी अधिकांश राशि ब्लैक में ली गई और इसकी रसीद दी गई। यह प्रोजेक्ट मुख्य तौर पर 2013 और इसके बाद लांच हुए। लेकिन इसमें विकास ही नहीं किया गया और प्लाटधारकों की पूरी राशि भर गई। जिसकी आज के समय में कीमत 300 करोड़ रुपए से ज्यादा है।
यह है इनके प्रोजेक्ट
इन कंपनी ने विदिशा रोड पर भोपाल में अक्स लैंडमार्कष सीहोर जिले में मिलेनियम लैंडमार्क व ताज द क्राउन नाम से प्रोजेक्ट लांच किए। इँदौर में गोल्ड सिटी फेस वन, टू, मिलेनियम फेस वन व टू, गोल्ड डस्क फेस वन, व टू, गेलेंट्री लैंडमार्क, इलार्डड लैंडमार्क फेस वन व फेस टू, टेक्नो, चौबीस केरेट रिजेसी, आईकॉन लेंडमार्क, देवास जिले में इम्पीरियल लैंडमार्क, धार जिले में हाईटेक सिटी और रायपुर में सिंगापुर सिटी नाम से प्रोजेक्ट लांच किए।
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स्टाम्प ड्यूटी चोरी, टैक्स चोरी की भी शिकायत
इस कंपनी का काम देखने वाले और निवेशक भी रहे दो लोगों ने कंपनी के संजीव जायसवाल व डायरेक्टरों की पोल खोली और इसकी शिकायत ईओडब्ल्यू में की। इसमें कहा गया कि सौदे रजिस्टर्ड नहीं होकर, स्टाम्प पर मात्र अनुबंध आधार पर हुए और इसमें ली गई 50 फीसदी राशि में से 35 फीसदी हिस्सा नकदी में लिया। यह राशि विकास शुल्क के नाम पर ली और इसकी रसीद दी। यह अनुबंध भी मात्र नोटरी पर थे इन्हें रजिस्टर्ड नहीं कराया गया। साथ ही इन भूखंडों को सौदा होने का बाद दूसरों को भी बेचा गया। विकास शुल्क व अन्य काम के लिए ली गई राशि का अनुबंध पत्र में जिक्र ही नहीं किया गया, यह सीधे जेब में डाल ली गई। इस तरह स्टाम्प ड्यूटी की भी चोरी हुई और ब्लैक मनी प्राप्त की गई। सौदों में फंसाने के लिए अच्छे ब्रोशर छापे गए औऱ् लोगों को ठगा गया।
शिकायतकर्ता बोले भाग जाएंगे यह रुपए लेकर
शिकायतकर्ता नितिन सिंह ने द सूत्र को बताया कि ईओडब्ल्यू में हम बयान दे चुके हैं और पांच लोगों ने भी बयान दिए थे। डीजीपी ने माना था कि यह मामला गंभीर है, लेकिन इसमें अभी कुछ भी ठोस नहीं हुआ। यह घोटाला 300 से 400 करोड़ रुपए का है और इसमें कोई बड़ी बात नहीं कि झांसेबाज देश छोड़कर निकल जाएं और फिर लकीर पीटते रहेंगे कि वह तो भाग गए। इसमें कई प्लाटधारकों का पैसा फंसा हुआ है और दस साल से ज्यादा समय हो गया है और किसी को कुछ नहीं मिला ना प्लाट मिला और ना ही यह लोग उनकी राशि लौटा रहे हैं।
संतोष सिंह और संजीव जायसवाल कौन है
संतोष सिंह इस कंपनी के चेयरमैन और संजीव उर्फ बंटी जायसवाल वाइस चेयरमैन, अनिरूद्ध देव भी है। इनके खिलाफ ईओडब्ल्यू, रेरा, पुलिस कई जगह शिकायत हो चुकी है। लोगों ने बाताय कि सपने दिखाकर निवेश कराया और फिर कुछ नहीं किया गया। ब्रोशर में बताया स्वीमिंग पुल होगा, जापानी गार्डन बनाएंगे लेकिन कुछ नहीं हुआ। संतोष के संबंध नागपुर के बडे जमीन खिलाडी जो इंदौर पुलिस से गिरफ्तार भी हो चुका है सुरेश दोईफोड़े से भी जुडा है। संतोष और बंटी की कंपनी डीएचएल भी नागपुर की ही है।
राजनीतिक पहुंच दिखा रूकवा रखी है कार्रवाई
संतोष, बंटी और अनिरूद्ध तीनों बड़े खिलाड़ी है। यह इतने शातिर है कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से लेकर तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह, बीजेपी के अभी मप्र प्रभारी महेंद्र सिंह तक के साथ इनकी फोटो है। यह इन फोटों के दम पर अपना राजनीतिक रसूख दिखाकर दबाव बनाते हैं कि इनके संबंध ऊपर तक है और कोई इनका कुछ नहीं कर सकता है। बीच में महेंद्र सिंह इंदौर आए थे, तब एयरपोर्ट पर संतोष सिंह मौजूद था। वह इन्हीं राजनीतिक संबंधों, फोटो का फायदा उठाकर कार्रवाई को रूकवाता है।