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JABALPUR। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने आदेश सुनाते हुए परिवहन विभाग के पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा की नियमित जमानत अर्जी को खारिज कर दिया। इस मामले की पिछली सुनवाई 30 जुलाई को हुई थी और अब जस्टिस प्रमोद कुमार अग्रवाल की सिंगल बेंच ने आदेश जारी करते हुए माना कि आवेदक और उसके सहयोगियों ने एक सुनियोजित तरीके से मनी लॉन्ड्रिंग का जाल बिछाया और अरबों रुपए की अवैध संपत्तियां खड़ी कीं, इसलिए उसे जमानत देना उचित नहीं है।
जांच में सामने आई थी सौरभ की अकूत संपत्ति
सौरभ शर्मा के खिलाफ सबसे पहले दिसंबर 2024 में लोकायुक्त पुलिस ने आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज किया था। उस समय वह परिवहन विभाग में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत था और उसकी मासिक तनख्वाह महज 28 हजार रुपए थी। इसके बावजूद उसके और परिवार के नाम पर प्लॉट, मकान, पेट्रोल पंप, स्कूल प्रोजेक्ट, फिशरीज के कॉन्ट्रैक्ट और यहां तक कि दुबई में एक विला तक मिलने का आरोप सामने आया।
लोकायुक्त की कार्रवाई में उसके घर से 3.86 करोड़ रुपए नगद व जेवरात जब्त हुए, जबकि उसके कारोबारी साझेदार चेतन सिंह गौर के ठिकाने से 1,687 करोड़ रुपए नकद और 2.11 करोड़ रुपए की चांदी बरामद की गई। इसके अलावा आयकर विभाग ने उसकी इनोवा कार से 11.60 करोड़ रुपए नकद और करीब 40 करोड़ रुपए मूल्य का सोना जब्त किया था।
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ED की जांच में सामने आया था कंपनियों का जाल
ED ने लोकायुक्त की FIR के आधार पर PMLA की धाराओं में केस दर्ज कर जांच शुरू की। जांच में पाया गया कि सौरभ शर्मा ने अविरल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, अविरल एनर्जी, राजमाता भारतमाता शिक्षा एवं समाज कल्याण समिति जैसी कई कंपनियों और संस्थाओं के जरिए अवैध धन को वैध दिखाने का काम किया।
इन कंपनियों और परिवारजनों पत्नी दिव्या तिवारी, मां उमा शर्मा, ससुराल पक्ष की रेखा तिवारी, और मित्र चेतन सिंह गौर व शरद जायसवाल के नाम पर करोड़ों की अचल संपत्ति खरीदी गई। जांच में यह भी सामने आया कि पुणे स्थित मनोडीप सहकारी संस्था से करोड़ों रुपए का लेन-देन दिखाया गया, जबकि संस्था का वास्तविक अस्तित्व ही संदिग्ध निकला।
30 जुलाई को हुई थी मामले पर बहस
जब यह मामला कोर्ट के द्वारा हर्ड रिजर्व किया गया था। उस दिन हुई बहस में सौरभ शर्मा के वकील ने दलील दी थी कि आरोपों में ठोस सबूत नहीं हैं, चार्जशीट दाखिल नहीं हुई है और ट्रायल लंबा खिंचेगा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए कहा गया कि अभियुक्त को लंबे समय तक जेल में रखने का कोई औचित्य नहीं है।
वहीं, ED ने जोरदार विरोध किया था और कहा कि यह मामला एक संगठित आर्थिक अपराध का है, जिसमें आरोपी ने अपने रिश्तेदारों और सहयोगियों के जरिए 100 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति बनाई है। कोर्ट ने भी माना कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामले सामान्य अपराधों से अलग और गंभीर माने जाते हैं तथा इनके खिलाफ कठोर रुख अपनाना ज़रूरी है। इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में फैसले को हर्ड एंड रिजर्व रखा था।
कोर्ट को निर्दोष नजर नहीं आया सौरभ शर्मा
जस्टिस प्रमोद कुमार अग्रवाल की सिंगल बेंच ने 27 सितंबर को जारी किए अपने 26 पन्नों के आदेश में कहा कि जमानत देने से पहले दो शर्तों का पालन करना आवश्यक है। पहली, अभियुक्त प्रथमदृष्टया निर्दोष लगे और दूसरी, वह जमानत पर रहते हुए दोबारा अपराध न करे।
सौरभ शर्मा के मामले में दोनों शर्तें पूरी नहीं होतीं। जांच में स्पष्ट रूप से सामने आया है कि आरोपी ने हवाला, बेनामी संपत्ति और शेल कंपनियों के जरिए अवैध धन को वैध रूप में बदलने का काम किया। इसी आधार पर हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि इस तरह के आर्थिक अपराध देश की अर्थव्यवस्था और समाज दोनों के लिए गंभीर खतरा हैं।
सौरभ शर्मा की अकूत संपत्ति
FIR के अनुसार सौरभ की पत्नी दिव्या तिवारी ने जियाउद्दीन से एक प्लॉट रु. 6,59,679/- में 07.09.2022 को खरीदा। उसी दिन, चेतन सिंह गौर (सह-अभियुक्त), जो सौरभ शर्मा का मित्र और व्यापारिक साझेदार हैं, ने अख्तर जिया से एक और प्लॉट रु. 5,28,255/- में खरीदा।
सौरभ शर्मा एक प्रतिष्ठित जयपुरिया स्कूल की शाखा स्थापित कर रहे थे जिसमें उन्होंने अपनी मां उषा शर्मा को अध्यक्षा और अपनी पत्नी दिव्या तिवारी को निदेशक बनाया है। सौरभ शर्मा ने अपने बेटे अविरल शर्मा के नाम पर भारी सावधि जमा (फिक्स्ड डिपॉजिट) किया है।
इसके अलावा, मेसर्स अविरल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, जिसका निगमन 2021 में हुआ था और जिसमें शरद जायसवाल और चेतन सिंह गौर निदेशक हैं तथा रोहित तिवारी (सौरभ शर्मा के साले) अतिरिक्त निदेशक हैं। इस कंपनी में, कथित तौर पर सौरभ शर्मा ने परिवहन विभाग के भीतर भ्रष्ट आचरणों के माध्यम से पर्याप्त संपत्ति अर्जित की।
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लोकायुक्त की तलाशी में सामने आई संपति
सुखी सेवनिया, भोपाल में उनकी माता उषा शर्मा और उनके मित्र तथा व्यापारिक साझेदार चेतन सिंह गौर के नाम पर एक वेयर हाउस (गोदाम) स्थित है।
पत्नी दिव्या तिवारी और उनके मित्र तथा व्यापारिक साझेदार चेतन सिंह गौर के नाम पर गोविंद सागर बांध और राजघाट बांध, उत्तर प्रदेश में करोड़ों रुपये मूल्य के मत्स्य पालन व्यवसाय (fisheries business) के ठेके हैं।
इंदौर में तीन मकान और इंदौर में देवास नाका के पास एक आवासीय परियोजना (housing project) उनकी पत्नी दिव्या तिवारी के नाम पर है। ग्वालियर नगर निगम में दिव्या तिवारी और चेतन सिंह गौर के नाम पर 18 एकड़ जमीन खरीदी गई है। एम.आर. ग्रुप बिल्डर्स के तहत दुबई में रु. 150 करोड़ की कीमत का 1 विला।
भोपाल में चार बंगले और कोलार में चल रहे एक स्कूल निर्माण परियोजना उसकी मां के नाम पर है। यह भी पाया गया कि सौरभ ने होशंगाबाद रोड और अब्दुल्लागंज में 5 एकड़ में फैले तीन पेट्रोल पंप अधिग्रहित किए हैं। भोपाल में ई7/78, अरेरा कॉलोनी में एक आलीशान निवास है, जहाँ कथित तौर पर बड़ी मात्रा में नकदी रखी जाती है।
यह भी आरोप है कि सौरभ शर्मा हवाला सौदों में शामिल है। लोकायुक्त की तलाशी के दौरान, 19.12.2024 को उसके घर ई-7/78 अरेरा कॉलोनी से कुल 3.86 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई, जिसमें रु. 1,14,53,000/- नकद, रु. 50,37,425/- मूल्य के सोने के आभूषण और अन्य कीमती सामान शामिल थे।
लोकायुक्त की तलाशी अभियान के दौरान, सह-अभियुक्त चेतन सिंह गौर के परिसर ई-7/657 अरेरा कॉलोनी, भोपाल से 19.12.2024 को रु. 1.687 करोड़ नकद और रु. 2.11 करोड़ मूल्य की चांदी जब्त की गई।