BHOPAL. मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार और काली कमाई का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। RTO के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा और उनके दो अन्य सहयोगियों शरद व चेतन पर ईडी (Enforcement Directorate) और आयकर विभाग (Income Tax Department) का शिकंजा कसता जा रहा है। जांच एजेंसियों की अब तक की जांच में कई अहम तथ्य सामने आए हैं, लेकिन उन्हें अब भी कुछ ठोस सबूतों की तलाश है। लोकायुक्त पुलिस द्वारा पहले से की गई छापेमारी में 10 लाख नकद और 54 किलो सोना बरामद होने की सूचना है। लेकिन, अब तक इन संपत्तियों का सीधा लिंक सौरभ शर्मा व अन्य आरोपियों से नहीं जोड़ा जा सका है।
जांच एजेंसियों ने सौरभ शर्मा और अन्य आरोपियों की बेनामी संपत्तियों की छानबीन शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि ईडी के बाद अब आयकर विभाग कोर्ट से तीनों को रिमांड पर लेकर पूछताछ की अनुमति मांगेगा।
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लोकायुक्त पुलिस की कार्रवाई पर उठ रहे सवाल
सूत्रों के मुताबिक, लोकायुक्त पुलिस ने 18 दिसंबर को शिकायत मिलने के 24 घंटे के अंदर ही सौरभ शर्मा के ठिकानों पर छापेमारी की थी। हालांकि, लोकायुक्त पुलिस की यह कार्रवाई इसलिए संदेह के घेरे में है। लोकायुक्त पुलिस की इतनी जल्दबाजी में की गई छापेमारी को लेकर कहा जा रहा है कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि अन्य जांच एजेंसियों को पहले छापेमारी का मौका नहीं मिल सके।
अब तक की जांच में यह भी सामने आया है कि सौरभ शर्मा के खिलाफ पहले से ही ईओडब्ल्यू (EOW) में अघोषित आय की शिकायत दर्ज थी, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। ईओडब्ल्यू ने इस शिकायत को तथ्यहीन बताकर बंद कर दिया था।
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शिकायतकर्ता की भूमिका भी संदेह के घेरे में
इस मामले में यह बात भी निकल कर सामने आ रही है कि शिकायतकर्ता ने आयकर अधिकारियों को भी आय से अधिक संपत्ति मामले की जानकारी दी थी। लोकायुक्त की छापेमारी के बाद भोपाल के मेंडोरी गांव में एक कार में सोना और नकद मिलने की जानकारी सीधे आयकर विभाग तक पहुंची थी। यही कारण है कि कई जानकार कह रहे हैं कि शिकायतकर्ता पहले से ही आयकर अधिकारियों के लगातार संपर्क में था।
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जांच एजेंसियां खंगाल रही दस्तावेज
ईडी और आयकर विभाग अब आरोपियों से जुड़े अन्य दस्तावेज और संपत्ति का ब्योरा खंगाल रहे हैं। आयकर विभाग जल्द ही कोर्ट में रिमांड की अर्जी दायर करेगा ताकि मामले की तह तक पहुंचा जा सके।
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