आरटीओ के पूर्व करोड़पति कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा और उसके सहयोगी शरद जायसवाल और चेतन सिंह गौर भोपाल की जेल में हैं। इन तीनों को जेल में 'ब' खंड के अलग-अलग बैरकों में रखा गया है। जेल प्रशासन द्वारा उनकी सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, और प्रत्येक कदम पर निगरानी रखी जा रही है। तीनों आरोपियों को निगरानी रखने के लिए दो-दो जवान तैनात किए गए हैं।
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तीनों कैदियों की निगरानी
जेल में तीनों की सुरक्षा के मद्देनजर कुख्यात बंदियों को उनके पास से हटा दिया गया है। जेल प्रशासन ने इनकी गतिविधियों पर विशेष नजर रखने के लिए कैदियों के बीच से कुछ चुने हुए लोग नियुक्त किए हैं, जो जेल के भीतर की जानकारी अधिकारियों तक पहुंचाते हैं। यह कदम उनकी सुरक्षा और निगरानी को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। तीनों कैदियों की सेहत, खाने की आदतों और दिनचर्या पर भी कड़ी निगरानी रखी जा रही है।
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तीनों को अन्य कैदियों से अलग रखा गया
तीनों कैदियों को सामान्य जेल के नियमों का पालन करना पड़ता है, लेकिन उन्हें अन्य कैदियों से अलग रखा गया है। जेल में उन्हें लाइब्रेरी जाने या अखबार पढ़ने की अनुमति नहीं है, और वे एक निश्चित दायरे तक ही घूमने की अनुमति रखते हैं। इनकी गतिविधियों की रिपोर्ट जेल प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचाई जाती है।
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जेल के अलग-अलग बैरकों तीनों कैदी
सौरभ, शरद और चेतन को जेल में अलग-अलग बैरकों में रखा गया है, जिनमें से हर बैरक में 29 अन्य कैदी हैं। इन बैरकों में से हर एक की गतिविधि पर विशेष ध्यान रखा जाता है, ताकि जेल प्रशासन को किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना का सामना न करना पड़े। इन तीनों की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से सतर्कता बरती जा रही है, और उनके हर मूवमेंट की निगरानी की जा रही है।
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कैदियों का परिवार कर चुका मुलाकात
जेल में तीनों आरोपियों से उनकी परिवारजन मिल चुके हैं। शरद से 5 और 7 फरवरी को उसकी महिला मित्र और भतीजी पलक ने मुलाकात की थी। वहीं, सौरभ से उसकी मां उमा शर्मा ने 5 और 7 फरवरी को मुलाकात की। चेतन से उसकी पहली मुलाकात 5 फरवरी को उसके पिता प्रताप सिंह गौर और दूसरी मुलाकात बहन चित्रा सिंह गौर ने की। सभी मुलाकातें नियमानुसार हुईं और जेल प्रशासन की ओर से कड़ी निगरानी रखी गई।
क्या है पूरा मामला
सौरभ और उसके सहयोगियों की संलिप्तता (Involvement) एक सोने से लदी इनोवा कार (Innova Car) में भी सामने आई है। इस कार में 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपये की नकदी (Cash) थे। चेतन सिंह (Chetan Singh) ने बताया कि कार कागजों में उसके नाम थी, लेकिन इसका इस्तेमाल सौरभ और उसके लोग करते थे। इस कार की खरीदी में डाउन पेमेंट सौरभ ने किया था, जबकि किश्तें चेतन के बैंक खाते से कट रही थीं।