सुप्रीम कोर्ट ने किया साफ MPPSC सहित सभी परीक्षाओं में फाइनल रिजल्ट नहीं बल्कि प्री से ही आरक्षण होगा, 2019 की नियुक्ति भी मान्य

  मप्र लोक सेवा आयोग (MPPSC), सिविल जज या अन्य किसी भी तरह की परीक्षा में आरक्षण सिस्टम प्री से ही लागू होगा ना कि फाइनल रिजल्ट पर इसे लागू किया जाएगा। मेरिटोरियस छात्रों से ही हर स्तर पर रिजल्ट बनेगा चाहे प्री हो, मेंस या फिर अंतिम रिजल्ट। 

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Pratibha Rana
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संजय गुप्ता, INDORE. मप्र लोक सेवा आयोग ( MPPSC ), सिविल जज या अन्य किसी भी तरह की परीक्षा में आरक्षण सिस्टम प्री से ही लागू होगा ना कि फाइनल रिजल्ट पर इसे लागू किया जाएगा। मेरिटोरियस छात्रों से ही हर स्तर पर रिजल्ट बनेगा चाहे प्री हो, मेंस या फिर अंतिम रिजल्ट। यानि यदि ओबीसी, एसटी, एसी कैटेगरी का उम्मीदवार अधिक अंक लाता है तो वह अनारक्षित कैटेगरी में शिफ्ट करेगा और ऐसा प्री, मेंस व अंतिम रिजल्ट सभी स्तर पर होगा। क्योंकि अनारक्षित कैटेगरी का मतलब ही यह है कि इसमें मेरिट के आधार पर उम्मीदवार शामिल होगा ना कि कैटेगरी के आधार पर। यह बात एमपीएससी (MP PSC ) को लेकर राज्य सेवा परीक्षा 2019 को लेकर लगी विविध याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने यह इश्यू साफ कर दिया। हालांकि अभी औपचारिक आर्डर आना बाकी है। सुनवाई जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय कुमार की कोर्ट में हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर, गौरव अग्रवालस विनायक प्रसाद शाह, समृद्धि जैन ने पैरवी की। 

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आरक्षण को लेकर यह है विवाद

7 अप्रैल 2022 के आदेश में हाईकोर्ट जस्टिस सुजॉय पाल की बेंच ने साफ कहा कि अनारक्षित वर्ग के पद मेरीटोरियस छात्रों से ही भरे जाएंगे, यानि अधिक अंक लाने वाले एसटी, एसी, ओबीसी वर्ग का उम्मदीवार इसमें आ जाएगा। यह सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित कैटेगरी नहीं है। वहीं जस्टिस शील नागू की कोर्ट ने न्याय याचिका सुनवाई में कहा कि आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को अनारक्षित वर्ग में शामिल नहीं किया जाएगा, केवल फाइनल सिलेक्शन लिस्ट में ही आरक्षण का लाभ मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस सुजाय पॉल के फैसले को सही माना। साथ ही 7 अप्रैल 2022 के फैसले के आधार पर पीएससी द्वारा बनाए रिजल्ट को मान्य किया। 

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राज्य सेवा परीक्षा 2019 का मुद्दा खत्म, नियुक्ति हो चुकी

वहीं राज्य सेवा परीक्षा 2019 को लेकर लगी विविध याचिकाओं को लेकर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह बात साफ कर दी कि नियुक्ति हो चुकी है तो वह प्रक्रिया को बैक नहीं करेंगे। यानि कि साफ है कि साल 2019 में हुई अंतिम करीब 484 पदों पर नियुक्ति पर अब कोई संशय के बादल नहीं रह गए हैं। 

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पीएससी के नार्मलाइजेशन फार्मूले से भी संतुष्ट दिखा सुप्रीम कोर्ट

पीएससी 2019 ( PSC ) के मुद्दे को लेकर जारी 7 अप्रैल 2022 के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने मान्य किया है। इसके तहत था कि 2015 के नियम को खारिज कर फिर से रिजल्ट बनाया जाए और इसके तहत प्रक्रिया की जाए। इसके तहत पीएससी ने नए सिरे से रिजल्ट जारी किया और इसमें 2721 नए उम्मीदवार पास हुए और अनारक्षित के कई बाहर हो गए। साथ ही पीएससी ने फिर से मेंस कराने का फैसला लिया, लेकिन पूर्व में पास 1918 उम्मीदवार हाईकोर्ट गए और फैसला हुआ कि केवल नए पास उम्मीदवारों की ही स्पेशल मेंस होगी सभी की नहीं। इसके बाद नार्मलाइजेशन करके रिजल्ट जारी किया जाएगा। पीएससी ने वही किया। बाहर हुए उम्मीदरों ने हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में याचिका दायर की थी। पीएससी की ओर से एक्सपर्ट भी कोर्ट पहुंचे और नार्मलाइजेशन फार्मूले की जानकारी दी गई, जिससे सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट दिखा।

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