इंदौर में कलेक्टर ने पीएम बनने की मंशा जताने वाली छात्रा संग खिंचवाई फोटो, बोले क्या पता कल को यह सच हो जाए
कलेक्टर खुद बच्चों के बीच जमीन पर बैठ गए और उन्हें एक कहानी सुनाई। उन्होंने ऋषि कश्यप और जलोद्भव राक्षस की कहानी सुनाते हुए बताया कि 'कश्मीर' का नाम कश्यप ऋषि के नाम पर पड़ा।
इंदौर के सरकारी स्कूलों में स्कूल चलें हम अभियान के तहत मनाए जा रहे प्रवेशोत्सव के अंतर्गत भविष्य से भेंट कार्यक्रम में बुधवार को कलेक्टर आशीष सिंह मूसाखेड़ी स्थित सांदिपनी स्कूल पहुंचे। यहां पर उन्होंने बच्चों से पूछ लिया कि बड़े होकर आप क्या बनना चाहते हैं। इस दौरान बच्चों ने डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस, टीचर और प्रधानमंत्री बनने की इच्छा जाहिर की। फिर क्या था प्रधानमंत्री बनने की इच्छा रखने वाली छात्रा काव्या सिंह के साथ कलेक्टर ने फोटो भी खिंचवाई और मजाक में कहा, "फोटो ले लो, क्या पता कल यह सच हो जाए!" काव्या ने यह भी कहा कि वह प्रधानमंत्री बनकर नि:शुल्क शिक्षा देना चाहती है। वहीं, निगम कमिश्नर शिवम वर्मा से पोलोग्राउंड स्थित सांदिपनी स्कूल में छात्रा ने पूछा कि आईएएस बनने के लिए क्या करना होता है। इस पर उन्होंने बच्चों को मंच से ही पूरी प्रक्रिया समझाई।
कश्मीर का नाम कश्यप ऋषि के नाम पर पड़ा
इसके बाद कलेक्टर खुद बच्चों के बीच जमीन पर बैठ गए और उन्हें एक कहानी सुनाई। उन्होंने ऋषि कश्यप और जलोद्भव राक्षस की कहानी सुनाते हुए बताया कि 'कश्मीर' का नाम कश्यप ऋषि के नाम पर पड़ा। कलेक्टर ने यह भी बताया कि यह स्कूल जल्द ही नए भवन में शिफ्ट होगा। उन्होंने कहा, "हमने नई जमीन देख ली है और वहां जल्द ही एक बेहतर बिल्डिंग बनेगी, जिससे बच्चों को पढ़ाई में और सुविधा मिलेगी।" उन्होंने अपने बचपन को याद करते हुए कहा, "हम जब छोटे थे, तो जब कोई भाषण देने आता था, तो यही सोचते थे कि यह भाषण कब खत्म होगा। इसलिए मैंने कोई भाषण नहीं दिया, बल्कि कहानी सुनाई।"
क्लास में पहुंचे कलेक्टर आशीष सिंह
कंचे और गिल्ली-डंडा थे मेरे फेवरेट गेम
कलेक्टर ने बच्चों को मोबाइल फोन के सीमित उपयोग की सलाह दी। उन्होंने कहा, "माता-पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चे केवल जरूरत के समय ही मोबाइल का इस्तेमाल करें। बच्चों को अपने बचपन का आनंद लेना चाहिए, जो खेल उन्हें पसंद हो, वही खेलना चाहिए और जो पढ़ाई पसंद हो, वही पढ़नी चाहिए।" अपने बचपन को याद करते हुए उन्होंने कहा, "मुझे कंचे और गिल्ली-डंडा खेलना बहुत पसंद था। ये मेरे फेवरेट गेम थे।"
उन्होंने बताया कि आजकल कई तरह प्रकार के जॉब आ गए है प्राइवेट सेक्टर में भी। सिर्फ डॉक्टर, इंजीनियर, IAS या IPS ही नहीं, बल्कि प्राइवेट सेक्टर में भी कई अच्छे जॉब हैं। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उदाहरण देते हुए कहा कि इस क्षेत्र में भी कई नए अवसर हैं।
प्रतियोगी परीक्षा में पहली बार असफल होने पर उसे छोड़ें नहीं
नगर निगम कमिश्नर शिवम वर्मा पोलोग्राउंड स्थित सांदिपनी अहिल्या आश्रम स्कूल में पहुंचे तो बच्चों ने उनसे आईएएस बनने के बारे में प्रश्न किया। इस पर उन्होंने पीएससी, यूपीएससी और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के बारे में भी बताया। वे बोले कि जब एक प्रतियोगी परीक्षा में पास ना हो पाएं तो उसे छोड़ ना दें। बल्कि दूसरी व तीसरी बार भी प्रयास करें। पहली और दूसरी बार में जो गलतियां आपने की हैं उससे सबक लें और उन्हें दोबारा ना दोहराएं।
‘स्कूल चले हम अभियान’ का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारना और सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ाना है। कई बार देखा गया है कि सरकारी स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति कम होती है और निजी स्कूलों की तुलना में वहां प्रवेश लेने वाले छात्रों की संख्या कम होती है। ऐसे में यह पहल सरकारी स्कूलों को अधिक प्रभावी बनाने और शिक्षा के प्रति अभिभावकों को जागरूक करने के लिए की जा रही है।