सिंधिया फैक्टर खत्म, अब नियमों के दायरे में बनेगी एमपी बीजेपी की नई टीम

मध्य प्रदेश भाजपा की नई कार्यकारिणी अब संगठन संविधान की तय सीमा में बनेगी। सिंधिया फैक्टर खत्म, पर हेमंत खंडेलवाल के लिए सियासी संतुलन साधना चुनौती बना हुआ है।

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Ravi Awasthi
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Photograph: (The Sootr)

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BHOPAL. मध्य प्रदेश भाजपा के लिए अब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों को साधने की मजबूरी नहीं रही। पार्टी नेतृत्व का मानना है कि सिंधिया समर्थक अब संगठन में पूरी तरह घुल-मिल चुके हैं। ऐसे में दिल्ली ने प्रदेश इकाई की नई कार्यकारिणी संगठन संविधान की निर्धारित सीमा के भीतर बनाने के स्पष्ट निर्देश दिए हैं।

बीते सप्ताह प्रदेशाध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल नई टीम की सूची लेकर दिल्ली गए थे। सूची में कुछ नामों को लेकर वरिष्ठ नेताओं की आपत्तियां सामने आईं, वहीं पदों की संख्या भी तय सीमा से अधिक पाई गई। इस पर शीर्ष नेतृत्व ने सूची लौटा दी और कहा कि पहले पदों की संख्या घटाकर पुनः प्रस्ताव भेजें।

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नहीं चलेगी जम्बो कार्यकारिणी

वर्तमान में प्रदेश भाजपा में अध्यक्ष सहित 38 प्रमुख पदाधिकारी हैं - जिनमें 1 संगठन महामंत्री, 5 महामंत्री, 14 उपाध्यक्ष और 14 संगठन मंत्री शामिल हैं। जबकि पार्टी संविधान के अनुसार उपाध्यक्ष और मंत्री के केवल 10-10 पद ही निर्धारित हैं। नई सूची में इन पदों की संख्या 12-12 प्रस्तावित की गई थी, जिस पर दिल्ली ने आपत्ति जताई।

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‘सिंधिया युग’ की रणनीति अब अप्रासंगिक

पार्टी की पिछली कार्यकारिणी में पदों की संख्या इसलिए बढ़ाई गई थी ताकि सिंधिया समर्थकों को एडजस्ट किया जा सके। उस समय इसे विशेष परिस्थिति मानकर मंजूरी दी गई थी। मगर अब नेतृत्व का कहना है कि ऐसी कोई बाध्यता नहीं बची है - पार्टी को संगठनात्मक अनुशासन में लौटना चाहिए।

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खंडेलवाल के लिए चुनौती भरा संतुलन

प्रदेश भाजपा में ‘मूल’ और ‘आयातित’ कार्यकर्ताओं के बीच मतभेद अब भी बने हुए हैं, खासकर बुंदेलखंड क्षेत्र में। ऐसे में शीर्ष नेतृत्व की मंशानुसार नई टीम में सियासी और सामाजिक संतुलन साधना हेमंत खंडेलवाल के लिए आसान नहीं होगा। दिल्ली से लौटी सूची के बाद उन्हें फेरबदल कर सभी गुटों को साधने की नई रणनीति बनानी पड़ रही है।

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लिस्ट में दर्ज नामों का हो चुका है विरोध

बता दें कि पार्टी प्रदेशाध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव, पार्टी के प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा के साथ गहन मंथन कर नए पदाधिकारियों की सूची तैयार की थी। इनमें पन्ना से संजय नगाइच, मुरैना से महेंद्र सिंह यादव व सांची रायसेन से प्रभुराम चौधरी के नाम भी शामिल रहे, लेकिन सूची सामने आते ही कुछ वरिष्ठ नेताओं ने इन नामों को लेकर विरोध जताया। इसके बाद, मामला पदों की संख्या पर अटक गया।

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