SEIAA के घमासान में thesootr के सवालों पर सिया चेयरमैन एसएस चौहान ने दिए बेबाक जवाब

सिया विवाद इन दिनों काफी चर्चा में बना हुआ है। ऐसे में सिया चेयरमैन ने thesootr के मैनेजिंग एडिटर हरीश दिवेकर से बातचीत में कई अहम खुलासे किए हैं। जानें चेयरमैन ने क्या बताया...

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Amresh Kushwaha
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प्रदेश में चल रहे सिया (State Environment Impact Assessment Authority) विवाद ने पूरी प्रशासनिक मशीनरी को हिला दिया है। अब, खुद सिया चेयरमैन एसएस चौहान ने thesootr के सवालों का जवाब देते हुए कई अहम खुलासे किए हैं। क्या वाकई में अधिकारियों ने बिना किसी अनुमोदन के परियोजनाओं को हरी झंडी दी? क्या दबाव और राजनीतिक लॉबिंग के चलते कानून का उल्लंघन हुआ? यह और ऐसे ही कई सवालों के जवाब खुद चौहान साहब ने दिए हैं, जो आपको हैरान कर सकते हैं! thesootr के मैनेजिंग एडिटर हरीश दिवेकर ने चौहान से यह चर्चा की….

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जानें क्या है सिया का मतलब...

सिया चेयरमैन एसएस चौहान ने बताया कि सिया का मतलब स्टेट एनवायरनमेंट इंपैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी है। यह संस्था पर्यावरण के लिए जरूरी अनुमतियां देती है। भारत सरकार के तय नियमों के अनुसार, राज्य स्तर पर सिया को शक्तियां दी गई हैं। बड़ी परियोजनाओं के लिए मंजूरी भारत सरकार देती है (कैटेगरी ए), जबकि छोटे राज्यों के मामलों में सिया को अनुमति देने का अधिकार होता है (कैटेगरी बी)। इस प्रक्रिया में परीक्षण जरूरी है, बिना जांच के किसी भी परियोजना की अनुमति नहीं दी जा सकती।

हरीश दिवेकर: लेकिन जो हाल का विवाद उठ रहा है, उसमें आपके पत्र और 5 साल जेल का जिक्र है-आखिर मामला क्या है?

सिया चेयरमैन: देखिए, कानून के मुताबिक केवल भारत सरकार या सिया ही पर्यावरण मंजूरी दे सकते हैं। इसके अलावा कोई भी अधिकारी अनुमति देगा तो यह सीधा उल्लंघन है, जिसके लिए 5 साल जेल का प्रावधान है। हाल ही में पाया गया कि 237 मामलों में अनुमति प्रमुख सचिव नवनीत कोठारी व सदस्य सचिवों (उमा माहेश्वरी, श्रीमंत शुक्ला) ने खुद दे दी-जो अवैध है। सिया की बैठक बुलाए बिना, परीक्षण किए बिना ये काम हुआ।

हरीश दिवेकर: लेकिन ये तो पढ़े-लिखे आईएएस अफसर हैं, इन्होंने कानून क्यों तोड़ा? क्या कोई मोटिव था?

सिया चेयरमैन: इसका जवाब वही देंगे। मेरे हिसाब से-या तो जानबूझकर हुआ, या किसी दबाव या वेस्टेड इंटरेस्ट की वजह से। मेरी सारी चिट्ठियां कानून के आधार पर हैं, अगर किसी को लगता है कोई पैरा या नियम गलत बताया है तो मुझे चुनौती दे सकते हैं।

हरीश दिवेकर: सदस्य सचिव उमा माहेश्वरी का आरोप है कि आपने दबाव बनाया, मानसिक प्रताड़ना की, कई पत्र भी लिखे-इस पर जवाब?

सिया चेयरमैन: हां, उन्होंने पत्र लिखे हैं। मेरा हमेशा यही कहना रहा-सचिव को सिया के नियमों के अनुसार चलना चाहिए। विधिवत बैठक, परीक्षण और समिति के फैसले ही मान्य हैं, न कि अकेले सदस्य का निर्णय। जहां तक व्यवहार की बात, किसी को डराने-धमकाने का सवाल ही नहीं, लेकिन गड़बड़ी होगी तो मैं चुप नहीं बैठूंगा।

हरीश दिवेकर: नवनीत कोठारी (प्रमुख सचिव/एप्को डीजी) का मानना है कि 45 दिन में निर्णय नहीं हुआ तो सदस्य सचिव अनुमोदन कर सकते हैं। क्या सिया एप्को के अधीन है?

सिया चेयरमैन: बिल्कुल नहीं। सिया स्वतंत्र संस्था है, नियुक्ति केंद्र सरकार करती है। राज्य सरकार सिर्फ सचिवालय और लॉजिस्टिक सपोर्ट देती है, निर्णयकर्ता सिया ही है, एप्को सिर्फ तकनीकी सपोर्ट/सेक्रेटेरिएट है।

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हरीश दिवेकर: चौहान साहब, आपने 50+ पत्र मुख्य सचिव अनुराग जैन, प्रमुख सचिव को भेजे, लेकिन एक्शन क्यों नहीं हुआ?

सिया चेयरमैन: ये सवाल उन्हीं से पूछिए। मैंने सभी कानूनी बिंदु उल्लंघन समेत इंगित किए, कोई कार्रवाई नहीं हुई, इसकी वजह वही बता सकते हैं।

हरीश दिवेकर: क्या डायरेक्ट आईएएस और प्रमोट आईएएस के बीच मसला है? प्रमोट आईएएस बलि चढ़ता और डायरेक्ट बच जाता, ऐसा लगता है?

सिया चेयरमैन: मैं सिर्फ यही कहूंगा-हर अधिकारी का फर्ज है, नियम-कानून के दायरे में काम करे। मौजूदा हालात में कार्रवाई न होना छवि को प्रभावित करता है, भले ही कोई भी अधिकारी हो।

हरीश दिवेकर: क्या सचमुच आपके दफ्तर का ताला लगा दिया गया था?

सिया चेयरमैन: हां, 7 जनवरी 2025 के केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन के तहत राज्य सरकार को बंगला, वाहन, दफ्तर देना चाहिए। लेकिन ताला इसलिए डाला गया, यह गलत और दुरुपयोग था। प्रमुख सचिव/राज्य सरकार की जिम्मेदारी है लॉजिस्टिक दे, न कि रोक लगाए।

हरीश दिवेकर: आपके खिलाफ कंसल्टेंट्स ने भी शिकायतें की, शिकायत/रीट लगाई गई, ब्लैकमेलिंग की कोशिश बताई जाती है-क्या आप डरते नहीं हैं?

सिया चेयरमैन: मुझे किसी से डर नहीं-ना ब्लैकमेलिंग, ना दबाव चलता है। जो भी बात है, खुलकर कानून के अनुसार करता हूं।

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हरीश दिवेकर: आपने सीबीआई जांच की मांग की थी? उसका क्या हुआ?

सिया चेयरमैन: हां, पत्र लिखा था। बैठक लंबित थी, अचानक सुगम हो गई। लेकिन इस पर गहराई से जांच होनी चाहिए।

हरीश दिवेकर: 237 लोगों को दी गई अनियमित मंजूरी की क्या वैधता है? उनके साथ क्या होगा?

सिया चेयरमैन: बिना परीक्षण के कोई भी अनुमति मान्य नहीं है। आगे क्या होगा ये नियम और जांच तय करेगी, मैं कोर्ट या अन्य जगह क्या होता है, उस पर जिम्मेदार नहीं हूं।

हरीश दिवेकर: क्या आपसे समझौते की कोई पेशकश, दबाव, लॉबिंग की कोशिश हुई अंदरखाने?

सिया चेयरमैन: मैं इस पर कुछ भी नहीं कहूंगा। बंद कमरे की बातें बाहर नहीं लाऊंगा।

हरीश दिवेकर: बहुत धन्यवाद, चौहान साहब! आपने तथ्यों के साथ कानून की अहमियत बताई। आगे भी जरूरत होगी तो फिर आपसे चर्चा करेंगे।

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