अब सिया के अध्यक्ष और एक सदस्य ने दी 14 प्रोजेक्ट को हरी झंडी, SEIAA की सदस्य सचिव आर उमा महेश्वरी ने जताई असहमति

सिया ( SEIAA ) के सदस्य सचिव और चेयरमैन के बीच बढ़ते विवाद के बाद, 14 प्रोजेक्टों के पर्यावरणीय अनुमतियों को लेकर गंभीर आरोप और सवाल उठाए गए हैं। इस विवाद ने मध्यप्रदेश में सरकार और निजी क्षेत्रों के प्रोजेक्टों को प्रभावित किया है।

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Sanjay Dhiman
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SEIAA dispute

Photograph: (the sootr)

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दो महीने से चल रही खींचतान और आपसी विवादों के बीच आखिरकार सिया SEIAA (State Environment Impact Assessment Authority) ने लंबे समय से अटके 14 प्रोजेक्टों को पर्यावरणीय अनुमति प्रदान कर दी। इस बार सिया चेयरमैन शिवनारायण सिंह व सदस्य डाॅ सुनंदा सिंह रघुवंशी की स्वीकृति के बाद यह अनुमतियां दी गई हैं।

इधर इन 14 अनुमतियों को लेकर सिया की ही सदस्य सचिव आर उमा महेश्वरी ने सवाल खडे़ कर दिए है, जिससे एक नया विवाद खड़ा हो गया है। उन्होेंने एक जैसे मामलोें में अनुमतियां देने में भेदभाव का आरोप लगाते हुए अनुमतियों के इस निर्णय से असहमति जताई है। 

चेयरमैन ने कहा बहुमत से लिया गया निर्णय 

सिया सदस्य आर उमा महेश्वरी की असहमति ओर से लगाए गए आरोप को लेकर सिया चेयरमैन शिवनारायण सिंह का कहना है कि 14 प्रोजेक्ट को अनुमति देने का निर्णय बहुमत से लिया गया है। बहुमत से लिए गए निर्णय ही मान्य होते है। उन्होंने महेश्वरी की असहमति को गैरकानूनी करार दिया। 

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सदस्य सचिव महेश्वरी ने यह सवाल उठाए 

सिया की सदस्य सचिव आर उमा महेश्वरी ने पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि 7 मई की बैठक का विवरण 14 मई को चेयरमैन को भेजा गया था, जिसे 18 दिन पुरानी तारीख में दर्ज कर वापस भेज दिया गया।

सदस्य सचिव द्वारा 2 जून को फिर कार्रवाई विवरण अध्यक्ष के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा, लेकिन इसबार विवरण पर हस्ताक्षर न करते हुए नया विवरण तैेयार कर 3 जून को लौटाया गया। उन्होंने कहा कि एक जैसे प्रकरणों में अलग-अलग निर्णय लिए गए, जो गलत है।

केंद्रीय मंत्रालय के अधिनियम में जोडे़ गए अन्य विषयों को सिया की बैठकों के एजेंडे़ में जोड़ने के लिए चेयरमैन की अनुमति लेने का उल्लेख नहीं है। बैठक के पहले ही कार्रवाई का विवरण चेयरमैन को प्रस्तुत किए जाने का भी नियम नहीं है। उन्होंने सिया चेयरमैन व सदस्य द्वारा 7 मई की बैठक में बहुमत से की गई कार्रवाई से भी असहमति जताई है।  

ऐसे समझें सिया में अनुमति देने और आपसी खींचतान का खेल 

सदस्य सचिव का आरोप: आर. उमा महेश्वरी ने SEIAA में पर्यावरणीय अनुमतियों को लेकर चेयरमैन शिवनारायण सिंह चौहान पर आरोप लगाया कि उन्होंने लिखित सहमति नहीं दी और नियमों का उल्लंघन किया।

7 मई की बैठक में विवाद: 7 मई को SEIAA की बैठक में 10 प्रोजेक्टों पर निर्णय होना था, लेकिन विवाद के कारण निर्णय नहीं लिया जा सका, जिसके चलते कई परियोजनाओं का काम प्रभावित हुआ।

उमंग सिंगार का आरोप: नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने आरोप लगाया कि SEIAA में अनुमतियां देने के बदले उद्योगपतियों से 3 से 5 करोड़ रुपये वसूले गए, जिससे 2-3 हजार करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ।

चेयरमैन की प्रतिक्रिया: चेयरमैन शिवनारायण सिंह चौहान ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बहुमत से लिए गए निर्णय ही मान्य होते हैं और गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

सदस्य सचिव के अन्य आरोप: सदस्य सचिव ने यह भी आरोप लगाया कि बैठक से पहले कार्रवाई विवरण तैयार करना और अन्य विषयों को बैठक के एजेंडे में जोड़ना नियमानुसार नहीं था।

7 मई की बैठक और इसके बाद की घटनाएं

7 मई को सिया (SEIAA) की बैठक में 10 परियोजनाओं पर निर्णय लिया जाना था, लेकिन विवाद और मतभेदों के कारण यह निर्णय नहीं लिया जा सका। इस बैठक के बाद से अनुमतियां स्थगित रहीं और कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का काम रुक गया। यह विवाद तब और बढ़ा जब सदस्य सचिव ने कुछ विशेष तारीखों पर कार्रवाई विवरण में फेरबदल का आरोप लगाया। इसके चलते सभी निर्णयों की पारदर्शिता पर सवाल उठने लगे। 

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नेता प्रतिपक्ष ने लगाए 3 हजार करोड़ लेन-देन के आरोप

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने आरोप लगाया है कि SEIAA के भीतर अनुमतियां देने के बदले में उद्योगपतियों से 3 से 5 करोड़ रुपये वसूले गए हैं। उनका कहना है कि 400 से अधिक अनुमतियां नियमों को ताक पर रखकर दी गईं, जिससे 2 से 3 हजार करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ। उन्होंने इस मामले की जांच की मांग की और आरोप लगाया कि भाजपा सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त है।

कांग्रेस नेता उमंग सिंगार ने आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि SEIAA के निर्णयों को बायपास कर इन अनुमतियों को जारी किया गया। उनका कहना है कि यह रकम कहां गई, और क्यों SEIAA की बैठकें नहीं बुलाई गईं? जांच का विषय है, जिस पर मध्यप्रदेश भाजपा सरकार को निष्पक्षता से जांच करना चाहिए। 

चेयरमैन बोले, नियमानुसार लिए गए निर्णय 

चेयरमैन शिवनारायण सिंह चौहान ने सदस्य सचिव के आरोपों को नकारते हुए कहा कि जो निर्णय लिए गए थे, वे कानून के मुताबिक थे। उन्होंने यह भी कहा कि जिन दस्तावेजों में हेराफेरी की गई थी, उन्हें अलग से तैयार किया गया था। वे यह स्पष्ट करना चाहते थे कि कोई भी गड़बड़ी नहीं होने दी जाएगी और जो भी गड़बड़ी करेगा, उसे जेल भेजा  जाएगा। 

स्टेट एनवायरोमेंट इम्पेक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (SEIAA) क्या है?

स्टेट एनवायरोमेंट  इम्पेक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (SEIAA) भारत सरकार द्वारा स्थापित एक राज्य स्तरीय निकाय है, जिसका मुख्य कार्य राज्यों में विभिन्न विकास परियोजनाओं को पर्यावरणीय मंजूरी (Environmental Clearance - EC) देना है। इसका गठन पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 और EIA (Environmental Impact Assessment) अधिसूचना, 2006 के तहत किया गया है। 

SEIAA की संरचना

अध्यक्ष: राज्य सरकार द्वारा नामित वरिष्ठ अधिकारी।
सदस्य: पर्यावरण, वन, जलवायु, खनन, भूगोल, रसायन, सामाजिक विज्ञान आदि क्षेत्रों के विशेषज्ञ।
सदस्य सचिव: आमतौर पर राज्य सरकार का कोई वरिष्ठ अधिकारी, जो प्रशासनिक कार्य देखता है।

SEIAA के गठन में विशेषज्ञता और अनुभव को प्राथमिकता दी जाती है। विशेषज्ञ सदस्य बनने के लिए संबंधित क्षेत्र में 10-15 वर्षों का अनुभव या उन्नत डिग्री जरूरी है।

सिया के मुख्य कार्य और जिम्मेदारियां

पर्यावरणीय मंजूरी देना:

SEIAA का मुख्य कार्य राज्य के भीतर आने वाली 'Category B' परियोजनाओं (जैसे छोटे-बड़े उद्योग, खनन, निर्माण, सड़क, पावर प्लांट आदि) को पर्यावरणीय मंजूरी देना है।

SEAC से सलाह लेना:

 SEIAA के निर्णय लेने से पहले, राज्य पर्यावरण मूल्यांकन समिति (SEAC) तकनीकी मूल्यांकन करती है और अपनी सिफारिश देती है। SEIAA अंतिम मंजूरी देती है या अस्वीकार करती है।

जन सुनवाई और पारदर्शिता:

 परियोजना क्षेत्र में जन सुनवाई आयोजित कराई जाती है, जिसमें स्थानीय लोगों की आपत्तियों और सुझावों को शामिल किया जाता है।

पर्यावरणीय शर्तों की निगरानी:

 मंजूरी मिलने के बाद, परियोजना प्राधिकरण को हर छह महीने में अनुपालन रिपोर्ट देनी होती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पर्यावरणीय शर्तों का पालन हो रहा है। 

 

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