कैलाश विजयवर्गीय की विधानसभा वाली चुनावी रणनीति पर ही प्रचार कर रहे शंकर लालवानी

इंदौर लोकसभा सीट के लिए बीजेपी के प्रत्याशी शंकर लालवानी का चुनाव प्रचार बिना किसी शोर-शराबे के तेज होता जा रहा है। इस बार प्रचार के लिए लालवानी ने नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की रणनीति को अपनाया है....

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Sandeep Kumar
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इंदौर लोकसभा सीट

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संजय गुप्ता, INDORE. बीजेपी के प्रत्याशी शंकर लालवानी (  Shankar Lalwani ) का चुनाव प्रचार तेज होता जा रहा है, लेकिन बिना किसी शोर-शराबे के। इस बार लालवानी ने 8 लाख से जीत के महामिशन के लिए नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय (  Kailash Vijayvargiya ) की रणनीति को अपनाया है। इसी रणनीति से विजयवर्गीय पहली बार विधानसभा एक में उतरे थे और रिकार्ड तोड 57 हजार वोट से जीत हासिल की थी।

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क्या है वह रणनीति जिसने दिलाई थी रिकार्ड तोड़ जीत ?

1- विजयवर्गीय ने सबसे पहले हर वार्ड और क्षेत्र में कार्यकर्ताओं की बैठक ली, जुट जाने के लिए प्रोत्साहित किया।

2- कार्यकर्ताओं के बाद विजयवर्गीय ने फोकस किया, हर समाज पर। एक-एक समाज के कार्यक्रमों को लाइनअप किया और हर दिन तीन-चार समाज को कवर करते हुए बैठकों में हिस्सेदारी की। 

3- समाज के बाद तीसरे नंबर पर ध्यान दिया गया, हर संगठन पर, चाहे वह सामाजिक संगठन हो, व्यापारिक, आर्थिक संगठन। सभी संगठनों के पदाधिकारियों के साथ रोज एक-दो आयोजन रखे गए। 

4- इसके बाद अगला लाइनअप रहा था प्रोफेशनल्स और बुद्धिजीवी वर्ग पर। इन्हें भी अपने साथ जोड़ा गया और इनके मुद्दों को भी साथ में लिया गया। 

5- इसके साथ यह भी हर दिन किया गया कि क्षेत्र में किसी भी जगह कोई गमी या खुशी का मौका है तो उनके पास जाना और सुख-दुख में अपनी उपस्थिति दिखाना। 

6- एक और रणनीति मोदी जी गारंटी की बात हर जगह रखना और उन्होंने क्या किया है, उस पर फोकस किया गया और मप्र सरकार ने किस तरह डबल ईंजन से विकास किया है यह बताना। 

7- धार्मिक आयोजनों में लगातार शिरकत करना। किसी भी त्योहार, धार्मिक स्थल में होने वाले आयोजनों में बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी करना।

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क्या हुआ इस रणनीति से ?

बीजेपी के प्रत्याशी सुदर्शन गुप्ता साल 2018 के चुनाव में यह सीट कांग्रेस के संजय शुक्ला से करीब नौ हजार वोट से हार गए थे। शुक्ला ने इस क्षेत्र में इतने धार्मिक आयोजन व काम किए कि यह सीट उनके लिए 2023 मे भी आसान बनती दिख रही थी। लेकिन कैलाश विजयवर्गीय के प्रत्याशी बनने के बाद जब रिजल्ट आया तो इस सीट से बीजेपी को ऐतिहासिक जीत मिली और खुद विजयवर्गीय की सभी चुनावों में यह सबसे ज्यादा वोट (57 हजार) से मिलने वाली जीत साबित हुई।

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अब लालवानी किस तरह आगे बढ़ रहे हैं ?

बीजेपी के शंकर लालावनी इसी रणनीति पर आगे बढ़ रहे हैं। हर वह दिन सोशल मीडिया पर अपने दिन भर का कार्यक्रम डाल देते हैं। इसकी शुरूआत यदि कंही कोई गमी हो तो वहां से होती है। फिर हर विधानसभा में कार्यकर्ताओं की बैठक ली जा रही है और अधिक से अधिक वोटिंग के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके बाद सामाजिक, धार्मिक, व्यापारिक व अन्य संगठनों के साथ बैठक का शेड्यूल होता है। वहीं इस दौरान फाग उत्सव के जरिए लगातार सांस्कृतिक आयोजन में हिस्सेदारी कर मतदाताओं को जोड़ा जा रहा है। इसके साथ ही लगातार दो ही नारे, इस बार 400 बार करना है पीएम मोदी की गारंटी है, उन्हें फिर से पीएम बनाना है। इसी बात पर फोकस है। लगातार पीएम मोदी के उपलब्धियों को हर आयोजन में बताया जा रहा है, मतलब चुनाव में लालवानी खुद कहीं प्रत्याशी की तरह नहीं है, वह मोदी के प्रतिनिधि के रूप में ही मैदान में हैं और उन्हीं के नाम पर विकास के नाम पर वोट मांगे जा रहे हैं। 

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आखिर पाना है मिशन 8 लाख पार 

विजयवर्गीय ने इस सीट पर 8 लाख से अधिक वोट की जीत का नारा सबसे पहले दिया। इसके बाद यह इंदौर बीजेपी का ही नारा बन गया है औऱ् सभी का मिशन इसे पाना है। इसके लिए सबसे बड़ी चिंता और बाधा कांग्रेस प्रत्याशी नहीं बल्कि यह है कि ज्यादा से ज्यादा वोटिंग हो। महापौर चुनाव के समय बीजेपी इस बात को भुगत चुकी है, जब वोटिंग कम हुई थी और रिजल्ट आने तक बीजेपी खेमे में चिंता की लहर थी। 

अधिक वोटिंग में सबसे बड़ी बाधा होगी, 13 मई का तापमान

इंदौर में 13 मई को वोटिंग है, अभी मार्च अंत में ही तापमान इंदौर में 39 डिग्री को छू चुका है। अभी से संभावनाएं जताई जा रही है कि मई में तापमान 43-44 डिग्री के करीब रहेगा। यानि हालत गंभीर होगी। ऐसे में सुबह और शाम को समय में ही अधिक वोटिंग की उम्मीद होगी। ऐसे में अधिक से अधिक लोगों को बूथ तक लाना और वोट डलवाना बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनेगी।

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