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Photograph: (THESOOTR)
JABALPUR. शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, जो भारतीय समाज में एक प्रमुख धार्मिक नेता के रूप में जाने जाते हैं, हाल ही में अपने विवादित बयानों के कारण फिर चर्चा में आए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गौ हत्यारा (Cow killer) कहा था और राष्ट्रपति के आदेशों पर भी सवाल उठाए थे।
इसके अलावा, उन्होंने जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य के खिलाफ भ्रामक जानकारी फैलाने का आरोप लगाया था। इन बयानों के बाद जबलपुर की एक अदालत ने उन्हें तलब किया है और 12 नवंबर को अदालत में पेश होने का आदेश दिया है।
अविमुक्तेश्वरानंद के खिलाफ कार्रवाई
जबलपुर जिला न्यायालय ने शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद को तलब करते हुए उन्हें 12 नवंबर को अदालत में उपस्थित होने का निर्देश दिया है। यह आदेश रिटायर्ड कर्मचारी नेता रामप्रकाश अवस्थी द्वारा दायर याचिका पर आधारित है। याचिका में शंकराचार्य द्वारा किए गए अभद्र और भ्रामक बयानों को लेकर शिकायत की गई है।
रामप्रकाश अवस्थी ने यह आरोप लगाया है कि शंकराचार्य ने पीएम मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की और राष्ट्रपति के आदेशों को चुनौती दी। इसके अलावा, उन्होंने जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य के खिलाफ भी भ्रामक जानकारी फैलाने का आरोप लगाया।
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आईटी एक्ट 66A में मामला दर्ज
इस मामले में पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 256, 399 और 302 के तहत तथा सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम की धारा 66A के तहत मामला दर्ज किया है। ये धाराएं गंभीर आरोपों की ओर इशारा करती हैं, जिनमें भ्रामक जानकारी फैलाने और सार्वजनिक व्यक्तित्वों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप शामिल हैं।
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क्या है मामला?
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने हाल ही में एक सार्वजनिक बयान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गौ हत्यारा (Cow killer) करार दिया था। इस टिप्पणी के बाद, भारतीय समाज में बवाल मच गया था, खासकर उस वर्ग में जो गौ रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। इसके बाद, शंकराचार्य ने राष्ट्रपति के आदेशों पर भी सवाल उठाए थे, जिससे विवाद और बढ़ गया।
इसके अलावा, उन्होंने जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य के खिलाफ भी कई आरोप लगाए थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि स्वामी रामभद्राचार्य ने भ्रामक जानकारी फैलाने का काम किया है, जिससे समाज में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई है।
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क्यों उठाए थे ये सवाल?
भारत में धर्म और राजनीति अक्सर एक दूसरे से जुड़े होते हैं, और किसी धार्मिक नेता के विवादित बयान पूरे समाज में व्यापक प्रभाव डालते हैं। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के बयान से एक ओर विवाद उठ खड़ा हुआ है, जिससे न केवल धार्मिक परिप्रेक्ष्य में बल्कि राजनीति में भी हलचल मची है। खासतौर पर, जब एक धार्मिक नेता प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जैसी उच्च हस्तियों पर अभद्र टिप्पणी करता है, तो यह विषय और भी संवेदनशील बन जाता है।
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केवल सच बताया: अविमुक्तेश्वरानंद
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि उनके बयान का उद्देश्य केवल सच को उजागर करना था और उन्होंने किसी भी व्यक्ति का अपमान करने का इरादा नहीं किया था। उनका यह मानना है कि उन्होंने जो कहा, वह समाज की भलाई के लिए था और उन्होंने यह भी कहा कि अगर उनके बयान से किसी को आहत हुआ है, तो वह इसके लिए खेद व्यक्त करते हैं।
वहीं, विपक्ष और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह बयान न केवल अपमानजनक था बल्कि यह समाज में घृणा और विभाजन को बढ़ावा देने का कार्य कर रहा था।
अदालत में रखेंगे पक्ष
जबलपुर कोर्ट द्वारा एक विशेष मामले में शंकराचार्य जी को हाजिर होने का निर्देश दिया गया है। इस निर्देश के बाद, शंकराचार्य जी के मीडिया प्रभारी शैलेन्द्र योगिराज सरकार ने स्पष्ट किया है कि वे पूरी तैयारी के साथ न्यायालय के समक्ष अपनी दलीलें और पक्ष प्रस्तुत करेंगे।