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Photograph: (THESOOTR)
UJJAIN. सिंहस्थ 2028 के पहले उज्जैन में साधु-संतों के बीच विवाद गहरा गया है। रविवार को एक नाटकीय घटनाक्रम में शैव संप्रदाय और वैष्णव संप्रदाय के अखाड़ों में विभाजन देखा गया।
वैष्णव संप्रदाय के अखाड़ों ने मिलकर नया संगठन "रामादल अखाड़ा परिषद" बनाने का ऐलान किया। इस नये संगठन के अध्यक्ष महंत रामेश्वरदास बने। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब वे शैव अखाड़ों के साथ किसी भी मुद्दे पर बातचीत नहीं करेंगे। इस घटनाक्रम से सिंहस्थ के आयोजन में कई बदलाव हो सकते हैं।
सिंहस्थ 2028 से पहले संतों के बीच मतभेद
सिंहस्थ महाकुंभ 2028 के आयोजन से पहले उज्जैन में साधु-संतों के बीच एक बड़ा मतभेद सामने आया। रविवार को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और महामंत्री के इस्तीफे के बाद यह विवाद और भी गहरा गया। इसके बाद वैष्णव संप्रदाय ने एक नया संगठन "रामादल अखाड़ा परिषद" बनाने की घोषणा की, जिसके अध्यक्ष महंत रामेश्वरदास बने।
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स्थानीय अखाड़ा परिषद का भंग होना
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज और महामंत्री हरिगिरि महाराज ने रविवार को उज्जैन में एक आपात बैठक की। बैठक में निर्णय लिया गया कि स्थानीय अखाड़ा परिषद को तत्काल प्रभाव से भंग किया जाए। इसके बाद वैष्णव संप्रदाय के महंतों और महामंडलेश्वरों ने नया रामादल अखाड़ा परिषद बनाने का ऐलान किया।
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नए संगठन के प्रमुख पदाधिकारी
रामादल अखाड़ा परिषद का गठन होते ही इसके संरक्षक और पदाधिकारी भी तय किए गए। मुनि क्षरणदास और अर्जुनदास को संरक्षक बनाया गया, जबकि महंत रामेश्वरदास को अध्यक्ष पद सौंपा गया। महंत काशीदास और रामचंद्रदास को उपाध्यक्ष और महेशदास को कोषाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया।
रामादल अखाड़ा परिषद के पदाधिकारी...
| पद | नाम |
|---|---|
| संरक्षक | मुनि क्षरणदस, अर्जुनदास, खाकी अखाड़ा, महंत भगवानदास |
| अध्यक्ष | महंत रामेश्वरदास जी |
| उपाध्यक्ष | महंत काशीदास जी, रामचंद्रदास जी, दिगंबर अखाड़ा, हरिहर रसिक खेड़ापति |
| कोषाध्यक्ष | महेशदास, राघवेंद्र दास जी |
| मंत्री | बलरामदास महाराज जी |
| महामंत्री | चरणदास जी, महंत दिग्विजयदास जी |
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शैव अखाड़ों से नाता तोड़ने का निर्णय
रामादल अखाड़ा परिषद के संरक्षक भगवानदास ने स्पष्ट किया कि अब से उनका कोई भी संबंध शैव अखाड़ों से नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि शैव अखाड़ों के संतों को असंतुष्ट देखते हुए परिषद को भंग कर दिया गया है। अब से सभी बैठकों में केवल रामादल अखाड़ा परिषद की ओर से प्रतिनिधित्व होगा।
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सिंहस्थ पर असर
इस निर्णय से सिंहस्थ महाकुंभ में बदलाव आ सकता है। अब प्रशासन के साथ होने वाली बैठकों में केवल रामादल अखाड़ा परिषद के सदस्य भाग लेंगे। शैव अखाड़ों से अलग होने के बाद अब वैष्णव संप्रदाय के संत अपनी बात अलग तरीके से रखेंगे।
संतों के बीच इस बंटवारे ने धार्मिक समाज में हलचल मचा दी है। इस बंटवारे का असर आगामी सिंहस्थ महाकुंभ के आयोजन पर पड़ सकता है। प्रशासन के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है, क्योंकि दोनों संप्रदायों के अलग-अलग प्रतिनिधि होंगे।
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