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भारत में शिक्षा की स्थिति को लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की एक नई रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, देश में 1 लाख 4 हजार 125 स्कूलों में केवल एक ही शिक्षक है। इन स्कूलों में 33 लाख 76 हजार 769 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं।
ऐसे में हर स्कूल में लगभग 34 छात्र होते हैं। वहीं, मध्यप्रदेश में 7 हजार 217 ऐसे स्कूल हैं, जिनमें 2 लाख 29 हजार 95 छात्र पढ़ते हैं। यहां हर स्कूल में औसतन 32 छात्र हैं।
इस आंकड़े के साथ, मध्यप्रदेश पूरे देश में एक शिक्षक वाले स्कूल में पांचवे स्थान पर है।
अन्य राज्यों की तुलना में एमपी की स्थिति
देश के बाकी राज्यों से तुलना करें तो आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा सिंगल टीचर स्कूल हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, आंध्र प्रदेश में 12 हजार 912 स्कूल हैं और उत्तर प्रदेश में 9 हजार 508 स्कूल हैं। वहीं, मध्यप्रदेश 7 हजार 217 स्कूलों के साथ पूरे देश में पांचवे नंबर पर है।
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स्कूलों में एक शिक्षक वाले राज्यों की सूची | |
राज्य | स्कूल |
आंध्र प्रदेश | 12912 |
उत्तर प्रदेश | 9508 |
झारखंड | 9172 |
महाराष्ट्र | 8152 |
मध्य प्रदेश | 7217 |
पश्चिम बंगाल | 6482 |
राजस्थान | 6117 |
छत्तीसगढ़ | 5973 |
हिमाचल | 2964 |
गुजरात | 2936 |
पंजाब | 2431 |
बिहार | 1865 |
हरियाणा | 1066 |
पहले के मुकाबले शिक्षकों की संख्या बढ़ी
इस रिपोर्ट में एक अच्छी बात यह है कि शिक्षकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, 2024-25 के शैक्षणिक सत्र (Academic year 2024-25) में शिक्षकों की संख्या 1 करोड़ 1 लाख 22 हजार 420 तक पहुंच गई है। इनमें से 51 प्रतिशत शिक्षक सरकारी स्कूलों में काम कर रहे हैं।
महिला शिक्षकों की संख्या में तेजी से बढ़ी
इसके अलावा, महिला शिक्षकों की संख्या भी काफी बढ़ी है। 2014-15 में जहां पुरुष शिक्षकों की संख्या 45 लाख 46 हजार थी और महिला शिक्षकों की संख्या 40 लाख 16 हजार थी। अब 2024-25 में यह संख्या बढ़ गई है। पुरुष शिक्षक 46 लाख 41 हजार और महिला शिक्षक के 54 लाख 81 हजार है।
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छात्रों के लिए बेहतर वातावरण
शिक्षकों की संख्या बढ़ने के साथ अब छात्रों के लिए भी बेहतर माहौल बन रहा है। दस साल पहले मिडिल स्कूल में एक शिक्षक को 26 छात्रों की जिम्मेदारी थी, अब ये घटकर 17 छात्र रह गई है। इसी तरह, सेकेंडरी स्कूल में अब एक शिक्षक के लिए छात्रों की संख्या 31 से घटकर 21 हो गई है। इससे छात्रों और शिक्षकों के बीच बातचीत भी बेहतर हो गई है।
छात्रों के ड्रॉपआउट रेट में गिरावट
साथ ही, ड्रॉपआउट रेट में भी कमी आई है। 2023-24 में सेकेंडरी स्कूल में ये रेट 10.9% था, जो 2024-25 में घटकर 8.2% हो गया है। मिडिल और प्राथमिक स्कूलों में भी ये रेट कम होकर 3.5% और 2.3% रह गया है।