खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर कोली को HC से नहीं मिली राहत

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर एसआर कोली की याचिका खारिज कर दी। कोली ने अपनी बर्खास्तगी और 118.05 लाख रुपए की रिकवरी को चुनौती दी थी, लेकिन कोर्ट ने इसे विधि सम्मत और वैध करार दिया। गबन के आरोप भी सिद्ध हुए।

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Neel Tiwari
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JABALPUR. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति विवेक जैन की एकलपीठ ने खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर एसआर कोली को बड़ी राहत देने से इनकार कर दिया।

कोली ने अपनी बर्खास्तगी और 118.05 लाख रुपए की रिकवरी आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी, लेकिन जबलपुर हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि यह आदेश विधि सम्मत और वैध है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के विरुद्ध विभागीय जांच, चार्जशीट और उसके परिणामस्वरूप जारी बर्खास्तगी पूरी तरह सही थी।

एसआर कोली पर लगे हैं गबन के आरोप 

कोली पर आरोप था कि शहडोल जिले में बोर्ड की विभिन्न योजनाओं के लिए भेजी गई राशि में 1.18 करोड़ रुपए का गबन किया गया। इस गंभीर वित्तीय अनियमितता के चलते उनके खिलाफ फरवरी 2020 में चार्जशीट जारी की गई और विभागीय जांच अधिकारी नियुक्त किया गया। 

जांच पूरी होने से पहले ही 15 दिसंबर 2020 को कोली को ‘डेड वुड’ घोषित कर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई। बाद में यह निर्णय बोर्ड की बैठक में बदल दिया गया और 8 जनवरी 2021 को उनकी बर्खास्तगी के साथ-साथ 118.05 लाख रुपए की रिकवरी का आदेश जारी हुआ।

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बर्खास्तगी आदेश को दी थी चुनौती 

याचिकाकर्ता ने दलील दी कि वे प्रथम श्रेणी अधिकारी थे और इस स्थिति में प्रबंध निदेशक को बर्खास्तगी का अधिकार नहीं था। उनका कहना था कि चार्जशीट भी बिना अधिकार जारी की गई और राज्य सरकार की स्वीकृति से दी गई अनिवार्य सेवानिवृत्ति को बोर्ड ने वापस लेकर गलत किया। कोली ने यह भी कहा कि यदि प्रारंभिक आदेश ही दोषपूर्ण था तो आगे की कार्रवाई खुद ही अवैध हो जाती है। हालांकि, कोर्ट ने इन तथ्यों को नहीं माना।

कोर्ट ने कोली के तर्कों को किया खारिज 

कोर्ट ने इन तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि गबन का आरोप विभागीय जांच में सिद्ध हुआ। जहां तक चार्जशीट और बर्खास्तगी का सवाल है, बोर्ड ने इसे संज्ञान में लेकर औपचारिक रूप से निर्णय लिया था और प्रबंध निदेशक ने केवल आदेश का क्रियान्वयन किया।

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णयों का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि चार्जशीट किसी भी नियंत्रक अधिकारी द्वारा जारी की जा सकती है और अंतिम दंडादेश यदि सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित हो तो वैध माना जाएगा। इसके अलावा, राज्य सरकार ने बाद में अनिवार्य सेवानिवृत्ति आदेश की वापसी को भी स्वीकृति दी थी, इसलिए प्रक्रिया में कोई अवैधता नहीं थी।

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हाईकोर्ट ने नहीं दी कोई भी राहत 

जस्टिस विवेक जैन ने कहा कि न तो चार्जशीट और न ही बर्खास्तगी आदेश अधिकार क्षेत्र से बाहर था। कोर्ट ने साफ कहा कि शालिगराम कोली के विरुद्ध जारी रिकवरी व बर्खास्तगी आदेश पूरी तरह वैध और न्यायसंगत है। इसके बाद कोर्ट में उनकी याचिका खारिज कर दी गई।

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