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BHOPAL. भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के नर्सिंग कॉलेज प्रबंधन की लापरवाही से एक छात्रा की जान चली गई। छात्रा बीते 9 दिनों से बीमार थी। छात्रा को बुखार उतारने और पेट दर्द की दवाएं दी जाती रहीं जिससे हालत गंभीर होती चली गई और परिजन को ही उसे एम्स ले जाना पड़ा।
बीएससी नर्सिंग की फर्स्ट ईयर की छात्रा शुभांगिनी दशेरे की मौत के बाद सोमवार को हॉस्टल में सन्नाटा पसरा है। कई अन्य छात्राएं भी हॉस्टल प्रबंधन की लापरवाही का शिकार हुई हैं और बीमार होने की वजह से परिजन उन्हें ले गए हैं। नर्सिंग कॉलेज प्रबंधन अपनी लापरवाही छिपाने के लिए आरओ, वॉटर कूलर बदलने और पानी की टंकियों की सफाई करने में जुट गया।
महीनों से शिकायत कर रही छात्राएं
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत संचालित बीएमएचआरसी के नर्सिंग कॉलेज की बीएससी फर्स्ट ईयर की छात्रा शुभांगिनी की एम्स में उपचार के दौरान सोमवार को मौत हो गई है।
शुभांगिनी बीएमएचआरसी के नर्सिंग हॉस्टल में रह रही थी। वहां 700 टीडीएस वाला दूषित पानी और खराब गुणवत्ता के भोजन की वजह से शुभांगिनी और कुछ छात्राएं बीमार हो गई थीं।
नर्सिंग छात्राएं 6 माह से हॉस्टल की वॉर्डन रेखा, नर्सिंग कॉलेज प्राचार्य डॉ. पुनीत गांधी सहित बीएमएचआरसी की डायरेक्टर मनीषा श्रीवास्तव से कई बार पानी और भोजन की शिकायत कर रही हैं। इसके बाद भी प्रबंधन ने इसकी अनदेखी की और नतीजा छात्रा की जान चली गई।
इलाज के नाम पर खिलाते रहे गोली
छात्रा शुभांगिनी
नर्सिंग हॉस्टल में रहने के दौरान 13 सितम्बर को बालाघाट की रहने वाली छात्रा शुभांगिनी दशेरे की तबीयत बिगड़ी थी। उसे बुखार और पेटदर्द की शिकायत करने पर हॉस्टल से बीएमएचआरसी में भर्ती करा दिया गया। हॉस्टल वॉर्डन और नर्सिंग कॉलेज प्राचार्य ने ध्यान नहीं दिया। उपचार के नाम पर उसे पेट दर्द और बुखार उतरने की गोलियां दी गईं।
एक-दो दिन आराम रहने के बाद उसकी तबीयत और भी बिगड़ गई लेकिन उसे छुट्टी नहीं दी गई। उसकी तबियत की खबर लगने पर भोपाल में ही रहने वाले परिवार के सदस्य ने उसे एम्स में भर्ती कराया लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। टायफाइड बिगड़ने या डेंगू से शुभांगिनी की मौत होने की आशंका जताई जा रही है।
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खबर लगते ही लीपापोती में जुटा प्रबंधन
छात्रा शुभांगिनी की मौत की खबर लगने के बाद भी नर्सिंग कॉलेज प्रबंधन ने संवेदनशीलता नहीं दिखाई बल्कि अपनी लापरवाही को छिपाने में जुट गया। दोपहर में ही हॉस्टल में रखी पानी की टंकियों की गुपचुप सफाई शुरू करा दी गई। वहीं जिस वॉटर प्यूरीफायर की शिकायत 6 माह से की जा रही थी उसे भी बदलने का दिखावा किया गया।
प्रबंधन के इशारे पर अस्पताल के गैस्ट्रो वॉर्ड में लगे प्यूरीफायर को अब हॉस्टल के वॉटर कूलर के साथ लगाया गया है। हांलाकि इसकी हालत भी अच्छी नहीं है। नर्सिंग हॉस्टल और कॉलेज प्रबंधन के दबाव में ये नर्सिंग कॉलेज छात्राएं 700 टीडीएस वाला पानी पीने मजबूर हैं। इतने टीडीएस के कारण किसी का भी स्वाथ्य खराब होना तय है।
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जिम्मेदार पर एक्शन नहीं तो आंदोलन
इस घटना के बाद BMHRC नर्सिंग कॉलेज की छात्राओं में आक्रोश है। छात्राओं ने हॉस्टल, नर्सिंग कॉलेज और बीएमएचआरसी प्रबंधन से जवाब मांगा है। उनका कहना है शुभांगिनी की मौत के लिए जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। आखिर किस स्तर पर लापरवाही हुई है। क्यों 6 माह से मांग करने के बाद भी खराब भोजन और पानी नहीं बदले गए।
छात्राओं ने मंगलवार दोपहर 11 बजे तक प्रबंधन के स्तर पर कार्रवाई तय न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। उधर शुभांगिनी की मौत के बाद बीएमएचआरसी के नर्सिंग कॉलेज की प्राचार्य डॉ.पुनीत गांधी का कहना है वे अपने स्तर पर सुधार करा रही हैं। उच्च स्तर से भी प्रयास किए जा रहे हैं। पूरे मामले पर मंगलवार को ही कुछ कह पाएंगे।