भोपाल. राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ( Rajiv Gandhi University of Technology RGVP ) कैंपस में धरना शुरू करने वाले विद्यार्थियों के आरोपों के चलते 200 करोड़ रुपए की एफडी का मामला फिर गरमा गया है। शनिवार शाम छात्रों ने मामले की जांच कर रही कमेटी को एक कमरे में बंद कर दिया। रिपोर्ट उजागर करने में की जा रही देरी से नाराज होकर कुलपति ( Vice Chancellor ) सुनील कुमार के ऑफिस की दीवार पर लगी नेम प्लेट उखाड़ दी। परिसर में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे छात्र काफी देर तक हंगामा करते रहे। खबर लगने पर पुलिस बल को यूनिवर्सिटी पहुंचकर मोर्चा संभालना पड़ा। छात्र जांच समिति के एक अधिकारी के बेरुखी से आक्रोशित छात्र अब केवल टेक्निकल एजुकेशन कमिश्नर से बात करने की जिद पर अड़ गए हैं। विद्यार्थी परिषद की अगुवाई में धरना- प्रदर्शन कर रहे स्टूडेंट जांच रिपोर्ट उजागर करने और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। हंगामे के बीच पुलिस की मध्यस्था के बाद कमरे का ताला खोला गया। वहीं जांच टीम विभागीय मंत्री के सामने पेश करने रवाना हो गई है।
यूनिवर्सिटी के 200 करोड़ बाहरी व्यक्ति के खाते में क्यों कराए जमा
200 करोड़ रुपए के जिस मामले को लेकर छात्र यूनिवर्सिटी कैंपस में धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। आइये अब हम उसके बारे में विस्तार से बताते हैं। दरअसल, आरजीपीवी में स्टूडेंट के करोड़ों रुपए की एफडी यूनिवर्सिटी के अकॉउंट में न कराते हुए एक बैंक के पूर्व मैनेजर कुमार मयंक के अकॉउंट में कर दी गई। इतनी बड़ी रकम को रजिस्ट्रार और कंट्रोलर की स्वीकृति से प्राइवेट अकॉउंट में डिपॉज़िट किया गया था। इसकी जानकारी किसी को न हो इसलिए प्राइवेट बैंक अकॉउंट आरजीपीवी का होना दर्शाया गया। बस यहीं से यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट शंका के घेरे में आ गया। यदि कहीं गड़बड़ी नहीं थी तो बैंक मैनेजर के अकॉउंट में 200 करोड़ क्यों जमा किए और फिर अकॉउंट नंबर के सामने मैनेजर की जगह आरजीपीवी क्यों लिखा गया। यानी अधिकारी इस बड़ी रकम से किसी बड़े खेल की तैयारी में थे इससे इंकार नहीं क्या जा सकता।
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टेक्निकल यूनिवर्सिटी में छात्र कल्याण के रुपए दबाने का अंदेशा
अब आरोप लगाने वाले छात्रों की शंका की बात करते हैं की आखिर वे क्यों कैंपस में धरना- प्रदर्शन कर रहे हैं। एबीवीपी की स्टूडेंट लीडर शालिनी वर्मा का कहना है टेक्निकल यूनिवर्सिटी में 200 करोड़ जैसे बड़े अमाउंट के प्राइवेट अकॉउंट में जमा करना कोई चूक नहीं हो सकती। ऐसा संभव ही नहीं की एक्सपर्ट और बड़े पदों पर बैठे अधिकारियों से यह गलती हो जाए। क्योंकि यह काम कई लोगों के बीच से होकर किया गया है। संदीप वैष्णव ने बताया की बैंक में यही छोटी राशि जमा करने के दौरान अकॉउंट नंबर के साथ होल्डर का नाम गलत लिखा हो तो तुरंत पता चल जाता है। फिर अधिकारी यूनिवर्सिटी का खाता नंबर भी भूल जाएं यह बात भी हजम करने वाली नहीं है। यानी सोची- समझी साजिश के तहत ही सरकारी रकम प्राइवेट अकॉउंट में जमा की गयी थी ,यदि इसका पता नहीं लगता तो अधिकारी उस पर मिलने वाला इंटरेस्ट निकालते रहते या खर्च दिखाकर उड़ा देते।
जांच रिपोर्ट उजागर न होने पर और गहराई शंका
छात्र नेता जसवंत सिंह का कहना है रजिस्ट्रार को हटाने के समय टेक्निकल एजुकेशन कमिश्नर ने जांच और कार्रवाई का आश्वासन दिया था लेकिन जिन्हें जांच का जिम्मा सौंपा गया था वे इसे अनदेखा कर रहे हैं। जांच रिपोर्ट में क्या सामने आया है, कौन इस मामले में जिम्मेदार है और इतनी बड़ी चूक आखिर कैसे हुई इसका पता तब ही लगेगा जब रिपोर्ट उजागर होगी। जांच रिपोर्ट उजागर और कार्रवाई न होने तक यूनिवर्सिटी कैंपस में धरना दे रहे छात्रों का कहना है पांच सालों में यूनिवर्सिटी के डेवलपमेंट और स्टूडेंट फेसिलिटी पर कितना खर्च किया गया अब इसकी भी जांच होनी जरुरी है।