MP News : एम्स भोपाल के फर्स्ट ईयर के छात्र उत्कर्ष हिंगने ने पुणे में आत्महत्या कर ली। उनके शव को पुणे के कॉलेज के बाथरूम में पाया गया। यह घटना उस समय घटी जब वह एक राष्ट्रीय कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पुणे गए थे, जिसमें पूरे देश के मेडिकल कॉलेजों के विद्यार्थी शामिल थे। यह घटना शिक्षा व्यवस्था में मानसिक स्वास्थ्य के बढ़ते मुद्दों को उजागर करती है, और यह चिंताजनक सवाल उठाती है कि क्या उच्च शिक्षा का दबाव विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है।
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मानसिक तनाव और दबाव
महाराष्ट्र के बीड़ में रहने वाले उत्कर्ष हिंगने का एक बड़ा दबाव उनके पिता द्वारा डाला गया था। उनके पिता, जो खुद एक डॉक्टर थे, ने उत्कर्ष को डॉक्टर बनने के लिए मजबूर किया, जबकि वह डॉक्टर नहीं बनना चाहता था। एम्स भोपाल में प्रवेश लेने के बाद भी उनका मन इस पेशे में नहीं लगता था और वह गुमसुम और तनाव में रहते थे। कुछ समय पहले ही उन्हें मानसिक वार्ड में भर्ती किया गया था, लेकिन यह मानसिक स्थिति उनके आत्महत्या तक पहुंचने की वजह बनी।
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आत्महत्या से पहले का सुसाइड नोट
उत्कर्ष ने आत्महत्या से कुछ दिन पहले अपने वाट्सऐप स्टेटस पर एक सुसाइड नोट डाला था। इसके अलावा, उन्होंने ऑनलाइन एक चाकू भी मंगाया था, जो उनकी मानसिक स्थिति और तनाव को दिखाता है।
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नीट परीक्षा में सफलता
उत्कर्ष ने नीट परीक्षा में 720 में से 710 अंक प्राप्त किए थे, जो उनकी बौद्धिक क्षमता को दर्शाता है। हालांकि, उनके पास एक उज्जवल भविष्य था, लेकिन मानसिक दबाव ने उन्हें इस दुखद कदम तक पहुंचा दिया। उनका भाई भी एमबीबीएस कर रहा था, जो और अधिक दबाव का कारण हो सकता है।
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मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना जरूरी
यह घटना उन लाखों छात्रों के लिए एक चेतावनी है, जो उच्च शिक्षा के दौरान मानसिक दबाव और तनाव का सामना करते हैं। आजकल के विद्यार्थियों के लिए मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना जरूरी है। शिक्षा संस्थाओं को विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए, जैसे कि काउंसलिंग सेवाओं की उपलब्धता, और एक ऐसा वातावरण बनाना जहां छात्र अपने भावनात्मक मुद्दों को साझा कर सकें।
एमबीबीएस छात्र आत्महत्या