OBC आरक्षण केसः सुप्रीम कोर्ट बोला-राजनीतिक कारणों से जिरह मत कीजिए, मामला जनवरी तक टला

एमपी में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण मामले की सुप्रीम कोर्ट में 4 दिसंबर को फाइनल हियरिंग होनी थी। अधिवक्ता वरूण ठाकुर के प्रस्तुतिकरण पर सुप्रीम कोर्ट नाराज हुआ। ठाकुर ने बरोदिया केस से शुरू होकर 13 फीसदी आरक्षण का मुद्दा उठाया।

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Sanjay Gupta
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INDORE. एमपी के 27 फीसदी ओबीसी केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केस 4 दिसंबर को फाइनल हियरिंग के लिए रखा गया। लेकिन अधिवक्ताओं की ओर से जो जिरह की गई, उससे सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी देखी गई। ओबीसी वेलफेयर कमेटी के अधिवक्ता वरूण ठाकुर की तरफ से जिस तरह केस को प्रेंजेट किया गया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की। मामला अब फाइनल हियरिंग के लिए जनवरी में रख दिया गया है। 

सुप्रीम कोर्ट ने यह कहकर नाराजगी जताई

सुप्रीम कोर्ट में 103 नंबर पर फाइनल हियरिंग के लिए केस था। इसमें कई केस कनेक्टेड थे। जिसमें मप्र के केस 103.20 से हरिशंकर बरोडिया केस से शुरू थे। ओबीसी वेलफेयर कमेटी के अधिवक्ता वरूण ठाकुर ने सुनवाई शुरू होते ही इस केस बरोदिया केस की बात कही।

13 फीसदी होल्ड उम्मीदवारों का केस उठाया। इस पर बेंच ने कहा कि मिस्टर ठाकुर समय बर्बाद मत कीजिए। राजनीतिक कारणों के कारण जिरह मत कीजिए, लोग आपको देख रहे हैं। कोर्ट के प्रति आपकी जिम्मेदारी है। आप लोग अपना पक्ष रख रहे या नहीं। लंबा समय हो चुका है। 

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27 फीसदी की जगह 13 फीसदी का मुद्दा उठा

अधिवक्ता ठाकुर ने 27 फीसदी आरक्षण के बजाय हरिशंकर बरोदिया केस से शुरुआत की। बरोदिया केस में 27 फीसदी आरक्षण का मुद्दा नहीं था। इसमें 13 फीसदी प्रोवीजनल कैटेगरी में सामान्य और ओबीसी को रखने पर आपत्ति थी। बरोदिया अन्य कैटेगरी से थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कहा कि मप्र के मुख्य मुद्दे पर बात रखिए।

सभी लोग सहयोग कर रहे हैं, आप क्यों चिल्ला रहे

सुप्रीम कोर्ट में बार-बार 10 मिनट का समय मांगा। अधिवक्ता ठाकुर द्वारा यह कहने पर कि 6 साल से चयनित पीड़ित हैं और परेशान हो रहे हैं। ओबीसी आरक्षण एक्ट को कहीं चैलेंज नहीं किया गया है। लीड मैटर इसमें बरोदिया केस है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप बार-बार चिल्ला (साउटिंग) क्यों रहे हैं। बाकी लोग भी है

आप के बार के सभी शांत है। इसके बाद इसमें अन्य पक्ष द्वारा जनवरी में मैटर लगाने की बात की गई। इस पर बेंच ने कहा कि जनवरी में नई बेंच आएगी। इसके बाद आदेश दिया गया कि इस केस को फाइनल हियरिंग के लिए जनवरी में नई एप्रोप्रिएट बेंच के सामने लगाया जाए।

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जो आरक्षण आदेश है वह मेंटेन रखा जाए

अनारक्षित वर्ग के अधिवक्ता ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण आदेश (अधिकतम 50 फीसदी) को बनाए रखना चाहते हैं। वहीं ओबीसी वेलफेयर कमेटी की ओर से ठाकुर ने कहा कि 27 फीसदी एक्ट को चेंलेज नहीं है। राज्य सरकार शांत है। इस पर शासन पक्ष की ओर से आपत्ति ली गई और कहा कि शासन शांत नहीं है।

पूरी तरह से कोर्ट में बात रख रहा है। इसे बेवजह मुद्दा मत बनाइए। आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने इसे जनवरी माह के लिए रख दिया। साथ ही मप्र और छग के केस को अलग-अलग रखने के आदेश दिए गए। 

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कोर इश्यू 27 फीसदी का है

27% reservation: यह पूरा मामला 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट को यह डिसाइड करना है कि मप्र में ओबीसी आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी किया गया है , जिससे आरक्षण सीमा 50 फीसदी क्रास कर गई है। 

वह उचित है या नहीं। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने विविध केस में 27 फीसदी आरक्षण देने पर स्टे दिया हुआ है। यदि 27 फीसदी आरक्षण केस डिसाइड हो जाता है तो फिर 13 फीसदी होल्ड रिजल्ट का मुद्दा खुद ही सुलझ जाएगा। 100 फीसदी पर रिजल्ट हो जाएगा। 

याचिका के दौरान गुरूवार को ओबीसी वेलफेयर कमेटी द्वारा इसमें 13 फीसदी केस उठाते हुए शुरूआत की गई। जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट नाराज हुआ। वह मूल मुद्दे पर फाइनल हियरिंग की बात कर रहा था। बरोदिया एससी कैटेगरी के उम्मीदवार है जो मांग कर रहे हैं कि जो प्रोवीजनल कैटेगरी 13-13 फीसदी (13 फीसदी जनरल उम्मीदवार और 13 फीसदी ओबीसी) के लिए उम्मीदवार होल्ड किए जा रहे हैं। इसमें जनरल में एससी, एसटी व अन्य कैटेगरी को भी लेना चहिए। इसमें 13 फीसदी केवल जनरल नहीं ले सकते हैं। हाईकोर्ट जबलपुर के बाद यह केस सुप्रीम कोर्ट आया है।

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