पीथमपुर में यूका कचरा जलाने पर रोक संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अर्जेंट सुनवाई से किया इंकार

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 18 फरवरी को कचरा जलाने के आदेश दिए थे। इसके बाद 27 फरवरी, 4 और 10 मार्च को 10-10 मीट्रिक टन कचरा जलाकर ट्रायल रन हुआ। रिपोर्ट के बाद बाकी कचरा जलाने के आदेश हुए।

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Sanjay Gupta
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Supreme Court refuses urgent
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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश से पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा जलाने का काम जारी है। इस मामले में बुधवार को समाजसेवी चिन्मय मिश्रा की याचिका लगी, लेकिन इसमें सुप्रीम कोर्ट ने अर्जेंट सुनवाई से इंकार कर दिया। यानी यूका कचरा जलने में कोई रोक नहीं है। 

हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ लगाई है याचिका

मिश्रा ने यह याचिका हाईकोर्ट जबलपुर के आदेश के खिलाफ लगाई है, जिसमें हाईकोर्ट ने कचरा जलाने की मंजूरी दी थी। हाईकोर्ट ने ट्रायल रन 30 मीट्रिक टन की रिपोर्ट के बाद 27 मार्च 2025 को 72 दिन में पूरा कचरा जलाने के आदेश दिए थे। यह अवधि 8 जून को पूरी हो रही है। 

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पहले ही बहुत देर हो चुकी- सुप्रीम कोर्ट

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय करोल और सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने कहा कि कितने सालों से यह कचरा हटाने के लिए संघर्ष हो रहा है, लेकिन एनजीओ और सामाजिक कार्यकर्ता यह नहीं होने दे रहे हैं। यह पूरा मामला हाईकोर्ट की मॉनीटरिंग में हो रही है और विशेषज्ञों की देखरेख में हो रहा है। वहीं याचिकाकर्ताओं का कहना था कि यह मामला सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ा है और प्रतिकूल परिणाम आ सकते हैं, इसलिए हस्तक्षेप किया जाना चाहिए।  लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट में भी यही बात आपने रखी थी, लेकिन वहां इस पर विचार नहीं हुआ। फिर आप सुप्रीम कोर्ट आए हैं, लेकिन इस पर अभी विचार नहीं किया जाएगा। 

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इस बात की आशंका जता रहे हैं समाजसेवी

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 18 फरवरी को सुनवाई के दौरान कचरा जलाने के आदेश दिए थे। इसके बाद 27 फरवरी, 4 और 10 मार्च को 10-10 मीट्रिक टन कचरा जलाकर ट्रायल रन हुआ और फिर रिपोर्ट के बाद बाकी कचरा जलाने के आदेश हुए। वहीं समाजसेवियों का कहना कि इस कचरा जलने से प्रदूषण होगा. भूमिगत जल खराब होगा, पास में गंभीर नदी है, वहां पानी प्रदूषित होगा।

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यूनियन कार्बाइड का कचरा 

 

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