विधानसभा के विशेष सत्र में उठा ‘द सूत्र’ का मामला, उपनेता प्रतिपक्ष कटारे ने पत्रकार सुरक्षा कानून पर उठाए सवाल

मध्यप्रदेश विधानसभा में ‘द सूत्र’ के पत्रकारों पर कार्रवाई का मुद्दा उठा। उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने पत्रकार सुरक्षा कानून पर सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि मीडिया स्वतंत्रता की स्थिति खराब है। पत्रकारों पर हमलों पर सरकार की निष्क्रियता पर चिंता जताई।

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Jitendra Shrivastava
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BHOPAL. मध्यप्रदेश विधानसभा के विशेष सत्र में देश के अग्रणी मीडिया हाउस ‘द सूत्र’ से जुड़ा मामला जोरदार तरीके से उठा। उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने विशेष चर्चा के दौरान पत्रकारों की सुरक्षा और उनके खिलाफ हो रही कार्रवाई पर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में पत्रकार सुरक्षा अधिनियम सिर्फ कागजों तक सीमित रह गया है, उसका सही तरीके से पालन नहीं हो रहा। 

हेमंत कटारे ने कहा, ‘द सूत्र’ के वरिष्ठ पत्रकार आनंद पांडे और हरीश दिवेकर को राजस्थान पुलिस ने परेशान किया और उनके खिलाफ झूठे प्रकरण दर्ज किए गए। उन्होंने इसे बेहद चिंताजनक बताया। कटारे ने कहा कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है और अगर मीडिया ही सुरक्षित नहीं रहेगा, तो लोकतंत्र कमजोर हो जाएगा।

मीडिया को सुरक्षा और स्वतंत्रता देना जरूरी 

उन्होंने सदन में यह भी बताया कि भारत में मीडिया की स्वतंत्रता की स्थिति अच्छी नहीं है। एक सर्वे का हवाला देते हुए कटारे ने बताया कि मीडिया स्वतंत्रता के मामले में भारत दुनिया के 180 देशों में 151वें स्थान पर है। यह आंकड़ा सोचने पर मजबूर करता है। अगर हमें विकसित मध्यप्रदेश बनाना है तो सबसे पहले चौथे स्तंभ यानी मीडिया की सुरक्षा और स्वतंत्रता को मजबूत करना होगा।

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लगातार हो रहीं ऐसी घटनाएं 

हेमंत कटारे ने विधानसभा में प्रदेश के अन्य पत्रकारों पर हुए हमलों का भी जिक्र किया। उन्होंने अन्य मीडिया हाउस से जुड़े पत्रकार कुलदीप सिंगोरिया, हेमंत शर्मा का मामला उठाया।

इसके साथ ही भिंड में तीन पत्रकारों के साथ हुई मारपीट, नरसिंहपुर में पत्रकार बृजेश दीक्षित और इंदौर में पत्रकार सागर चौकसे के मामलों को भी सदन के सामने रखा। उन्होंने कहा कि लगातार हो रही ऐसी घटनाएं बताती हैं कि पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर सरकार गंभीर नहीं है।

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हम सिर्फ भगवान से डरते हैं

एमपी विधानसभा के विशेष सत्र में इस मुद्दे का उठना ‘द सूत्र’ की सच्ची और निर्भीक पत्रकारिता की पहचान है। ‘द सूत्र’ न शोर मचाकर सुर्खियां बटोरता है और न ही सनसनी फैलाकर नाम कमाता है। ‘द सूत्र’ सच को उसी रूप में सामने रखता है, जैसा वह है। बिना डर के, बिना दबाव के और बिना किसी राजनीतिक फायदे या नुकसान की चिंता किए।

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