संजय गुप्ता @ INDORE. हरियाण विधानसभा चुनाव, पश्चिम बंगाल लोकसभा चुनाव, इंदौर विधानसभा चार, इंदौर विधानसभा दो, इंदौर एक और महू । इन सभी में एक कॉमन फैक्टर है, प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ( Kailash Vijayvargiya ) इन सभी जगह उन्होंने पैर रखे और कांग्रेस ( Congress ) हो या विरोधी दल वहां से उखड़ गए। अब यही रिकार्ड बता रहा है कि इस बार कमलनाथ ( Kamal Nath ) का छिंदवाड़ा ( Chhindwara ) खतरे में हो सकता है।
देखते हैं विजयवर्गीय ने जहां पैर रखे वहां क्या हुआ?
1-इंदौर विधानसभा चार- यहां सबसे पहले 1990 में कैलाश विजयवर्गीय ने विधानसभा चुनाव लड़ा और जीते। इसके बाद वह भले ही यहां से नहीं उतरे लेकिन ऐसा गढ़ बनी कि 34 साल से कांग्रेस को जीत नसीब नहीं हुई।
2-इंदौर विधानसभा दो- इसके बाद विजयवर्गीय ने साल 1993 में इंदौर दो में कदम रखा और फिर 1998, 2003 में लगातार चुनाव जीते, इसके बाद रमेश मेंदोला लगातार जीत रहे हैं। यहां कांग्रेस को 31 साल से जीत नसीब नहीं हुई।
3-महू- विजयवर्गीय के पहले महू कांग्रेस का गढ़ थी। साल 2008 में वह यहां से उतरे। जीते और फिर 2013 में भी जीते। साल 2018 और 2023 में उषा ठाकुर जीती, अब बीजेपी का गढ़। कांग्रेस नेता भी नहीं बचा पाई। वह भी बीजेपी के हो लिए।
4-महापौर चुनाव- विजयवर्गीय इंदौर में पहल निर्वाचित महापौर थे, वह भी कांग्रेस के काल में। लेकिन 1.50 लाख वोट से जीते और इसके बाद से ही महापौर पद पर जीत के लिए कांग्रेस तरस गई।
5-हरियाणा चुनाव- बीजेपी राष्ट्रीय महासचिव रहते हुए विजयवर्गीय ने हरियाणा चुनाव को संभाला, नतीजा पहली बार वहां बीजेपी की पूर्ण बहुमत की खट्टर सरकार बनी।
6-पश्चिम बंगाल लोकसभा- पश्चिम बंगाल के लोकसभा चुनाव में भी विजयवर्गीय ने कमान संभाली और ममता बैनर्जी की तृणमूल कांग्रेस बैकफुट पर आई और बीजेपी ने ऐतिसाहिक सीट प्राप्त की। हालांकि बाद में विधानसभा चुनाव में बीजेपी जीत नहीं पाई लेकिन यहां भी सीटों की संख्या में ऐतिहासिक बढोतरी हुई।
ये रिकार्ड बता रहे हैं खतरे में हैं छिंदवाड़ा
बीजेपी ने पहले विजयवर्गीय को इंदौर-उज्जैन क्लस्टर की जिम्मेदारी सौंपी थी। लेकिन बाद में मिशन 29 के तहत उन्हें सबसे अहम छिंदवाड़ा, बालाघाट सेक्टर की जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद से ही वहां पर कांग्रेस में भगदड़ मच गई। छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र की विधानसभा अमरवाड़ा के विधायक कमलेश शाह हो या कमलनाथ से लेकर राहुल- प्रियंका गांधी के चहेते महापौर विक्रम अहाके वह भी बीजेपी में शामिल हो गए हैं। दीपक सक्सेना जो कमलनाथ के सबसे करीबी नेताओं में से थे वह भी डावांडोल है, पार्टी छोड़ चुके हैं, बीजेपी की बार्डर पर खड़े हैं। बेटा बीजेपी में जा चुका है। अकेले छिंदवाडा लोकसभा क्षेत्र के दो हजार से अधिक कांग्रेस के नेता बीजेपी के पाले में चले गए हैं। कैलाश विजयवर्गीय ने यहां दावा किया है कि यह सीट कमलनाथ परिवार से मुक्त होने वाली है और बीजेपी के बंटी साहू पांच लाख वोट सी जीतेंगे।
ये खबर भी पढ़िए...प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर CM मोहन यादव की चेतावनी, मनमानी की तो खैर नहीं
कमलनाथ लगातार दे रहे जीवन भर के काम की दुहाई
कमलनाथ भी इस खतरे को भांप रहे हैं और वह लगातार भावुक होते हुए छिंदवाड़ा की जनता को जीवन भर किए गए काम की दुहाई दे रहे हैं। उन्होंने खुद को छिंदवाडा तक सीमित कर लिया है। जो बीजेपी में जा रहे हैं, उन्हें नकुलनाथ गद्दार कह रहे हैं और जनता द्वारा सबक सिखाने की बात कह रहे हैं।
ये खबर भी पढ़िए...राज्य मंत्री पटेल के बेटे की गुंडागर्दी का केस पहुंचा मानव अधिकार आयोग