संजय गुप्ता, INDORE. कैंसर मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाले गैर मान्यता डिग्री (unrecognized degrees) से बने डॉक्टर हार्डिया (Hardiya) के फर्जी अस्पताल की पोल खुल गई है। कलेक्टर आशीष सिंह ने जांच के बाद देवी अहिल्या अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर को सील करने के आदेश जारी कर दिए हैं। साथ ही भवन की जांच करने, डॉक्टरों की डिग्री की जांच कर कार्रवाई करने के भी आदेश नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग को दिए हैं। आरोपी डॉक्टर अजय हार्डिया ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय स्वास्थय मंत्री मनसुख मांडविया से भी अवार्ड लिया है। वहीं अस्पताल का उद्घाटन साल 2003 में दिग्विजय सिंह, अंबिका सोनी सहित कई नेताओं से कराया गया था।
डॉ. अजय हार्डिया के अस्पताल में यह मिली खामियां
- अस्पताल के पास पंजीयन ही नहीं है, हार्डिया ने जांच कमेटी को बताया कि रिन्यू होना है हाईकोर्ट से स्टे है
- अस्पताल भवन मंजूरी निगम के दस्तावेज नहीं दिखा सका
- अस्पताल में किसी तरह के सर्टिफिकेट, फायर सेफ्टी, पाल्यूशन सर्टिफिकेट व अन्य दस्तावेज नहीं थे।
- अस्पताल पंजीयन के सभी मानकों को दरकिनार कर अस्पताल चल रहा था
- अजय हार्डिया खुद इलेक्ट्रो होम्योपैथिक है लेकिन वह खुद को डॉक्टर लिखते हैं और अंत में कैंसर स्पेशलिस्ट भी, जो उन्हें लिखने की
- मान्यता ही नहीं है और मरीजों को भ्रमित कर रहे हैं।
- अस्पताल में एमडीएस (डेंटल सर्जन) राजनंदिनी हार्डिया कैंसर मरीजों का उपचार कर रही थी।
- अस्पताल होम्योपैथी का बताया गया है, लेकिन यहां दवाएं व अन्य संसाधन, मेडिकल स्टोर्स भी एलोपैथी का संचालित है
- अस्पताल में कैंसर मरीजों से 20 हजार से लेकर 65 हजार रुपए उपचार के नाम पर लिए जा रहे हैं।
- अस्पताल में अजय हार्डिया प्रमुख है तो डॉ. मनीषा शर्मा सीईओ है, वहीं डॉक्टर आशीष हार्डिया, मोनिका हार्डिया व रागनंदिनी हार्डिया भी काम करते हैं। आशीष यहां डिप्टी डायरेक्टर है।
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यूट्यूब वीडियो और प्रचार देखकर, कैंसर मरीज आ रहे
डॉ. हार्डिया के कैंसर मरीजों के इलाज के दावों के कई यूट्यूब वीडियो है। इन्हीं को देखकर मरीज भ्रमित हो रहे हैं। वहीं इसने अपने प्रचार के कई अवार्ड के फोटो प्रचारित किए हुए, जिसके चलते कई मरीज इसमें उलझ जाते हें। जांच कमेटी में नोडल अधिकारी डॉ. अमित मालाकार, अपर तहसीलदार कमलेश कुशवाह, डिप्टी कलेक्टर प्रियंका चौरसिया, डॉ. मनीष रघुवंशी व डॉ. राकेश गुप्ता, शिवेंद्र अवस्थी, सारिका अग्रवाल, योगेश गुप्ता, डॉ. कमलेश पाटिल शामिल थे। इन्होंने अनियमितता देखते हुए अस्पताल को बंद करने की सिपारिश की थी।