Lok Sabha उम्मीदवार को लेकर दो धड़ों में टूटी BJP,जानें कहां हुआ विरोध

मध्यप्रदेश लोकसभा चुनाव में 28 सीटों पर काबिज बीजेपी इस बार 29 का दावा कर रही है, लेकिन इस सिटिंग सांसद को टिकट मिलने के बाद विरोध की सुगबुगाहट बढ़ते ही संगठन स्थिति संभालने और विरोधियों को मनाने में जुट गया है...

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Jitendra Shrivastava
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देवास सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी का विरोध।

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संजय शर्मा, BHOPAL. मध्यप्रदेश की सभी 29 लोकसभा (Lok Sabha) सीटें जीतने के दावा कर रही बीजेपी (BJP) में देवास प्रत्याशी महेंद्र सिंह सोलंकी का विरोध शुरू हो गया है। स्थानीय नेताओं के विरोध को नजरअंदाज कर वर्तमान सांसद सोलंकी को टिकट देने से अब विरोधी मुखर होने लगे हैं। वहीं पार्टी संगठन रूठों को मनाने में जुट गया है तो विरोधी भोपाल से लेकर दिल्ली तक अभी भी टिकट बदलवाने की कोशिश कर रहे हैं। 

सरपंच से लेकर जिला पंचायत के जनप्रतिनिधियों का विरोध 

मोदी लहर और राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद बने माहौल के सहारे लोकसभा (Lok Sabha) चुनाव में बीजेपी प्रदेश की सभी 29 सीटें जीतने की तैयारी कर रही है। पहले से 28 सीटों पर काबिज बीजेपी अब कांग्रेस के कब्जे वाली छिंदवाड़ा सीट को भी छीनने का दावा कर रही है, लेकिन देवास जैसी कुछ सीटों पर पार्टी द्वारा अधिकृत किए गए उम्मीदवार का विरोध भी शुरू हो गया है। देवास के सिटिंग सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी के विरोध की सुगबुगाहट बढ़ते ही संगठन स्थिति संभालने और विरोधियों को मनाने में जुट गया है। वैसे तो कुछ और जगहों पर भी प्रत्याशियों के विरोध की बात सामने आ चुकी है, लेकिन देवास सांसद के विरोध को पार्टी के पदाधिकारी गंभीरता से ले रहे हैं।  यहां विरोध का झंडा स्थानीय संगठन के लोग और सरपंच से लेकर जिला पंचायत में बैठे जनप्रतिनिधि बुलंद कर रहे हैं। इनकी जमीनी पकड़ और मतदाताओं में गहरी पैठ को देखते हुए प्रदेश संगठन बिना कोई चांस लिए नाराज लोगों को मनाने की कोशिश कर रहा है। 

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विरोध में लिखी चिट्ठियों की अनदेखी से बढ़ी नाराजगी 

सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी पिछली बार 3 लाख से ज्यादा वोट से जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। तब स्थानीय कार्यकर्ताओं की सक्रियता के चलते उन्होंने कांग्रेस के प्रह्लाद सिंह टिपानिया को हराया था। चुनाव जीतने के बाद पूछपरख न होने से अब कार्यकर्ता ही नहीं कई सरपंच, जनपद और जिला पंचायत में बैठे जनप्रतिनिधि और पार्टी के स्थानीय संगठन के मंडल पदाधिकारी उनसे नाराज हैं। यही वजह है की लोकसभा चुनाव की रायशुमारी के दौरान भी कई जनप्रतिनिधि और पार्टी नेताओं ने सांसद की दोबारा उम्मीदवारी के लिए विरोध दर्ज कराया था और आलाकमान को चिट्ठियां भी लिखी थी, लेकिन दिल्ली दरबार पर उनके विरोध का असर नहीं हुआ और सोलंकी दूसरी बार देवास से लोकसभा का टिकट पाने में कामयाब हो गए।  

सोलंकी की उम्मीदवारी के पर दो गुटों में बंटी बीजेपी

सांसद सोलंकी से नाराज जनप्रतिनिधियों ने विरोध को मजबूती से शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाने के लिए 2 हजार से ज्यादा चिट्ठियां लिखी थीं। चिट्ठियां लिखने वाले स्थानीय नेता और जनप्रतिनिधि सोलंकी का टिकट कटना तय मान रहे थे, लेकिन पहली सूची में उनका नाम आने से अब चुप रहकर विरोध को हवा दे रहे हैं। उनकी उम्मीदवारी के बाद स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ता भी दो गुटों में बंटे दिख रहे हैं। एक गुट सांसद के पक्ष में चुनाव मैदान में उतर चुका है तो दूसरा अब भी टिकट बदलने के लिए जोर लगा रहा है। लेकिन पार्टी के अंदर दो फाड़ की स्थिति की खबर के बाद वरिष्ठ नेता डैमेज कंट्रोल के लिए सक्रिय हो गए हैं।

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