संजय गुप्ता @ INDORE
इंदौर नगर निगम ( Indore Municipal Corporation ) ने फरवरी 2023 में देश में पहली नगर निगम होने का गौरव प्राप्त किया, जिसने ग्रीन बांड जारी कर बाजार से पैसा उठाया। यह बांड एनएसई में लिस्टेड हुआ, लेकिन एक साल में इस बांड को लेकर जो ढिंढोरा पीटा गया था, उसकी सच्चाई यह है कि शेयर बाजार में इस बांड का रिटर्न 0 फीसदी है। इसी दौरान फरवरी 23 से फरवरी 24 के दौरान शेयर बाजार ने औसतन 19 फीसदी का रिटर्न दिया, लेकिन इंदौर नगर निगम का ग्रीन बांड बाजार ( Indore Municipal Corporation Green Bond Truth ) में पिट गया। हालांकि निवशेक इसलिए सुरक्षित है, क्योंकि इस पर नगर निगम ने 8.25 फीसदी और सालाना आधार पर 8.41 फीसदी ब्याज देना सुनिश्चित किया है, लेकिन शेयर बाजार में इस बांड की कीमत नहीं बढ़ी है।
यह देखिए शेयर बाजार में ग्रीन बांड के हाल
- N2 कैटेगरी- इसमें 7 (2023 से 2030 तक) साल का निवेश है- यह 250 रुपए पर लिस्टेड हुआ, अभी कीमत 251 रुपए है, यानि रिटर्न 0.40 फीसदी। यह अधिकतम 284 रुपए तक गया और निचले स्तर पर 241 रुपए तक गया था।
- N3- इसमें नौ (2023 से 2032 तक) साल के लिए निवेश है। अभी दाम 260 रुपए है, रिटर्न 4 फीसदी। यह अधिकतम 268 रुपए तक गया था और निचेल पायदान पर यह 218 तक गया।
- N1- इसमें पांच (2023 से 2028 तक) साल के लिए निवेश है। अभी दाम 249.10 रुपए, यानि 0.40 फीसदी का निगेटिव रिटर्न। यह अधिकतम 261 रुपए तक गया और निचला स्तर इसका 240 रुपए तक गया था।
- N0- इसमें तीन साल (2023 से 2026 तक) के निवेश का पीरियड है। यह अभी 250 रुपए पर ही, यानि रिटर्न 0 फीसदी। यह अधिकतम 266 रुपए तक और निचले पायदान पर 242 रुपए तक गया था।
(इस दौरान एक साल में फरवरी 2023 से फरवरी 2024 तक शेयर बाजार 60 हजार से 71 हजार के पार हो गया, यानि औसतन 19 फीसदी का रिटर्न दिया)
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नेता प्रतिपक्ष ने लगाए कमीशनखोरी के आरोप
इस मामले में निगम में नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने आरोप लगाए हैं कि बाजार में बांड लाकर 244 करोड़ रुपए जुटाए, इससे जलूद में सोलर प्लांट लगना था, इससे निगम के रुपए बचते लेकिन एक साल में वर्कआर्डर तक जारी नहीं हुए। हर महीने इन बांड के लिए 4.50 करोड़ रुपए का ब्याज चुका रहे हैं, एक साल में 54 करोड़ रुपए का ब्याज चुके हैं। अभी लोकसभा आचार संहिता के चलते चार-पांच माह तक एमआईसी नहीं होगी और वर्कआर्डर नहीं होंगे, यानि तब तक और 25 करोड़ का ब्याज दे चुके होंगे। दो साल काम में लगेंगे। परिषद में पिछली बार कंपनी टेंडर का प्रस्ताव आया लेकिन महापौर ने इसे पास नहीं कराया। सारा खेल कमशीन का है, कमीशनबाजी के चक्कर में पूरा खेल हुआ और कंपनी को वर्कआर्डर जारी नहीं किया गया।
महापौर बोले- नेता प्रतिपक्ष को नहीं पता बांड क्या होता है?
वहीं महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष चिंट चौकसे पढ़ते नहीं है, वह हताशा में हैं, कांग्रेस बेवजह आरोप लगाती है। जिस सदन मे वह खुद थे, वह प्रस्ताव पारित हो गया, आचार संहिता के पहले प्रयास कर रहे हं कि भूमिपूजन हो जाए। जनता ने पैसे दिए। उन्हें तो ब्याज देना ही होगा। पहला टेंडर आया तो अधिक दाम पर था वह निरस्त किया। फिर नए टेंडर को परिषद मंजूर कर चुकी है, सरकार से मंजूरी के बाद काम शुरू हो जाएगा। प्रक्रिया में समय लगता है और यदि बिना प्रक्रिया के काम करेंगे तो फिर आरोप लगते। हम तो पूरी प्रक्रिया कर रहे हैं।
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4 साल में बांड में 244 करोड़ में 200 करोड़ तो ब्याज में चले जाएंगे
यह बांड जलूद में 60 मेगावाट का सोलर प्लांट लगाने के काम आएगा। अभी निगम को हर साल शहर में नर्मदा का पेयजल लाने में हर महीने 16-17 करोड़ रुपए की बिजली लगती है, सोलर प्लांट लगने से हर माह 4-5 करोड़ रुपए की बचत होगी। इसलिए यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है, लेकिन इसमें इतनी देर हो चुकी है कि एक साल में ही निगम 50 करोड़ से ज्यादा ब्याज दे चुकी है। हालांकि निगम ने जनता से ली राशि को बैंक में रखकर एफडी रेट जरूर लिया है, लेकिन वह जनता को दिए जाने वाले ब्याज दर 8.41 फीसदी से काफी कम है। यानि निगम नुकसान में हैं। यदि प्रोजेक्ट बनने में तीन साल का समय और लगता है तो फिर तब तक तो निगम जनता से लिए गए 244 करोड़ में से ब्याज पर ही करीब 200 करोड़ रुपए देय कर चुकी होगी। यानि प्रोजेक्ट में जितना देरी होगी उतना ही निगम का नुकसान है।
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करीब 6 गुना तक हुआ था सब्सक्राइब
जब यह बांड आया था तब जनता ने भारी इसमें उत्साह दिखाया था। यह करीब पौने छह गुना तक सब्सक्राइब हुआ था, यदि वैल्यूशन में देखें तो 244 करोड़ के मुकाबले निगम को एक हजार करोड़ के करीब राशि के निवेश प्रस्ताव मिले थे।