INDORE NEWS: उद्योगपति ने कमाई छिपाई, कोर्ट ने IT, GST रिटर्न देखकर पत्नी के लिए भरण-पोषण भत्ते के आदेश दिए

इंदौर की जिला कोर्ट ने गुजरात के उद्योगपति को भरण-पोषण भत्ता देने का आदेश दिया। पत्नी ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने पति की आय और GST रिटर्न्स के आधार पर फैसला सुनाया है।

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Sanjay Gupta
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INDORE. गुजरात के एक उद्योगपति ने इंदौर की महिला को छोड़ दिया था। इसके बाद भरण-पोषण देने में भी आनाकानी की थी। ऐसे में महिला ने जिला कोर्ट में केस लगाया था। कोर्ट में सुनवाई के दौरना उद्योगपति ने खुद को बेचारा साबित करने की कोशिश की। उसने अपने कामकाज को घाटे में बताया।

कोर्ट ने आयकर और जीएसटी रिटर्न मांगे। इसके बाद उसकी कमाई का खुलासा हुआ। इसके चलते पत्नी को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने इसके बाद आदेश जारी किया।

मां और बेटी को मिली राहत

इंदौर जिला कोर्ट ने अहम आदेश जारी किया। इसमें इंदौर निवासी ट्वींकल उर्फ रूचि और उनकी 6 साल की बेटी का ध्यान रखा गया है। साथ ही, अंकलेश्वर सिटी, भरूच, गुजरात के उद्योगपति अमित टोलिया के खिलाफ आदेश दिया गया है।

इसमें ढाई साल का बकाया एकमुश्त 21 लाख रुपए देने का आदेश दिया है। इसके अलावा, उन्हें हर महीने 70 हजार रुपए भरण-पोषण देने का भी आदेश दिया है। यह आदेश कुटुम्ब न्यायालय ने जारी किया है।

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इस तरह हुआ विवाद

प्रकरण में प्रार्थी/पत्नी व बेटी की ओर से अधिवक्ता के.पी. माहेश्वरी ने जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2016 में गुजरात में शादी हुई थी। बेटी होने के बाद पति प्रताड़ित करने लगा था। आखिरकार पत्नी साल 2023 में इंदौर आ गई थी।

फरियादी पत्नी ने अतिरिक्त प्रधान जज धीरेन्द्रसिंह की कोर्ट में बताया कि अंकलेश्वर सिटी, गुजरात में संभव इंडस्ट्रीज का प्रतिवादी मालिक है। साथ ही, मुंबई में उसका दवाइयों का बड़ा कारोबार है और कई लक्जरी कारें, खुद का बंगला और अचल संपत्तियों का मालिक है।

इसके बाद भी वह भरण-पोषण भत्ता नहीं दे रहा है। पति ने कोर्ट में कहा कि उसका व्यवसाय घाटे में चल रहा है। उसके पास कोई गाड़ी नहीं है और पत्नी उच्च शिक्षित है।

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कोर्ट ने देखे टैक्स रिटर्न

पति ने जो शपथ पत्र और खुद के दस्तावेज पेश किए, उसे कोर्ट ने देखा। वर्ष 2020 के आई.टी.आर. में 12 लाख रुपए की आय पर टैक्स दिया गया था। जी.एस.टी. रिटर्न भी मजबूत था।

शपथ पत्र में 60 लाख रुपए का हाउसिंग और गोल्ड लोन लेने का जिक्र था। वह 50 हजार रुपए की मासिक किश्त जमा कर रहा था। इससे यह साफ होता है कि वह कम से कम 2 लाख रुपए प्रति माह कमाता है।

इसके बाद, कोर्ट ने भरण-पोषण के आदेश दिए। इस मामले में अधिवक्ता के.पी. माहेश्वरी, प्रतीक माहेश्वरी, अमृता सोनकर, पवन तिवारी, सुनिल यादव, पुनीत माहेश्वरी, दीक्षा पाटीदार, हरिओम परमार और अर्जुन प्रजापति ने पैरवी की।

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