उज्जैन महाकाल मंदिर की गौशाला में बन रही गोबर खाद , महाकालेश्वर मंदिर समिति को हर साल फायदा

उज्जैन के महाकाल मंदिर में संचालित हो रही गौशाला से हर साल गोबर खाद निकलती है। कई ट्रॉलियां भरकर बनी यह खाद को मंदिर समिति मार्केट में बेचती है...

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Shreya Nakade
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महाकाल मंदिर में गोबर खाद

महाकाल मंदिर की गौशाला में बन रही गोबर खाद

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उज्जैन के महाकाल मंदिर में जैविक पद्धतियों का बढ़-चढ़ के उपयोग होता है। फूलों से खाद बनाने और गोबर गैस से प्रसाद बनाने के का कदम मंदिर सालों पहले ही उठा चुका था। अब यहां गोबर खाद का भी उत्पादन हो रहा है। इससे मंदिर समिति की अच्छी खासी कमाई भी होती है। 

दरअसल उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर की श्री महाकालेश्वर गौशाला में 200 गायों का पालन होता है। इन गायों के गोबर को संग्रहित करके रखा जाता है। श्री महाकालेश्वर मंदिर समिति के अंतर्गत ही यह पूरी प्रक्रिया संपन्न होती है। इस गोबर को संग्रहित कर इसकी खाद बनाई जाती है और थोक में बेचा जाता है। 

साल भर 90 ट्राली गोबर खाद 

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा गोबर खाद विक्रय की सूचना जारी की गई थी। इसके अनुसार एक साल के अंदर लगभग 80  से 90 ट्राली गोबर खाद एकत्रित कर ली गई है। इस खाद को बेचकर गौशाला कमाई करेगी। 

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गोबर खाद के फायदे

गोबर खाद का उपयोग खेती बाड़ी से लेकर घरों में लगाए जाने वाले पौधों में भी किया जाता है। जैसे-जैसे लोग जैविक खेती का महत्व समझ रहे हैं, गोबर खाद की डिमांड भी बढ़ रही है। गोबर खाद से कई प्रकार के फायदे हैं-

  • गोबर खाद के उपयोग से मिट्टी में वायु संचार बढ़ता है।
  • इससे मिट्टी को कई जरूरी पोषक तत्व मिल जाते हैं।
  • मिट्टी की पानी सोखने की क्षमता भी बढ़ती है।
  • गोबर खाद से पौधों की जड़ों का विकास होता है।
  • मिट्टी के कण एक-दूसरे से चिपकते हैं।
  • गोबर खाद से मिट्टी की संरचना का भी सुधार होता है। 

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जीरो वेस्ट मंदिर बनाने का लक्ष्य 

उज्जैन के महाकाल मंदिर को देश का प्रदेश का पहला जीरो वेस्ट मंदिर बनाने का टारगेट है। इसके अंतर्गत मंदिर में चढ़ने वाले फूलों से खाद और गोबर व अन्य खाद्य सामग्रियों से गैस बनाने का प्लान 2023 में ही बनाया गया है। इसके लिए मंदिर के आस-पास के दुकानदारों को ट्रेनिंग भी दी जा रही है। महाकाल मंदिर में गोबर खाद के अलावा ऐसी कई जैविक प्रक्रियाओं पर काम हो रहा है। 

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