शिक्षा विभाग की पहल : उमंग किशोर हेल्पलाइन पर छेड़छाड़ जैसे मामलों का समाधान

समाज में मानसिक दबाव और आत्महत्या के मामलों में बढ़ोतरी चिंता का विषय बन गई है, विशेषकर तब जब यह समस्याएँ किशोरों और युवाओं के बीच अधिक दिखाई देने लगीं। इन समस्याओं के समाधान के लिए कई प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।

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Reena Sharma Vijayvargiya
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Photograph: (The Sootr)

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भोपाल. समाज में मानसिक दबाव और आत्महत्या के मामलों में वृद्धि चिंताजनक है। यह समस्याएं खासकर किशोरों और युवाओं में बढ़ रही हैं। इसी मुद्दे को हल करने के लिए उमंग किशोर हेल्पलाइन शुरू की गई है। यह हेल्पलाइन उन युवाओं के लिए है, जो मानसिक दबाव, तनाव या छेड़छाड़ से जूझ रहे हैं। उन्हें अपनी समस्याएं साझा करने के लिए एक सुरक्षित मंच प्रदान किया जाएगा।

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हेल्पलाइन का उद्देश्य

यह हेल्पलाइन विशेष रूप से 10 से 19 वर्ष की आयु के बच्चों और किशोरों के लिए शुरू की गई है। अब तक, लगभग तीन हजार युवा इस हेल्पलाइन का लाभ उठा चुके हैं और अपनी समस्याओं को साझा कर पा रहे हैं। इस हेल्पलाइन के माध्यम से छात्रों को मानसिक दबाव कम करने के लिए काउंसलिंग और सलाह मिलती है। खासकर उन मामलों में, जहां किशोरों को आत्महत्या करने का विचार आता है या वे किसी मानसिक रूप से परेशान करने वाली स्थिति में होते हैं।

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शिकायत पेटियां: छात्रों की आवाज

इसके अलावा, छात्रों को उनके कैंपस में होने वाली किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ या परेशानियों की शिकायत करने के लिए एक और सुविधा दी गई है। कॉलेजों के बाहर शिकायत पेटियों की व्यवस्था की गई है, ताकि छात्र बिना किसी डर के अपनी समस्याओं को दर्ज करवा सकें। हालांकि, यह व्यवस्था हाल के वर्षों में कमजोर पड़ी है, क्योंकि अधिकांश शिकायत पेटियां कॉलेजों से गायब हो चुकी हैं। इस प्रणाली को फिर से सक्रिय करने की आवश्यकता है ताकि छात्र अपनी समस्याओं को स्वतंत्र रूप से व्यक्त कर सकें।

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हेल्पलाइन की सफलता और चुनौतियां

उमंग किशोर हेल्पलाइन ने पिछले चार सालों में लगभग तीन लाख कॉल्स प्राप्त किए हैं, जिसमें से अधिकांश युवाओं को काउंसलिंग से राहत मिली। कई मामलों में काउंसलर की सलाह पर बच्चों ने अपनी मानसिक स्थिति में सुधार किया। इस हेल्पलाइन का संचालन यूएनएफपीए द्वारा किया जा रहा है, और इसके तहत काउंसलर की सेवाएँ, मानसिक स्वास्थ्य पर परामर्श और अन्य उपाय किए जा रहे हैं।

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बजट की कमी और भविष्य की दिशा

हालांकि, शिक्षा विभाग ने इस हेल्पलाइन को लेकर आगे कोई बड़ा कदम नहीं बढ़ाया है। एक कारण यह है कि विभाग ने इस कार्यक्रम के लिए बजट आवंटन को लेकर निर्णय नहीं लिया है और काउंसलर की कमी भी एक अन्य चुनौती है। इस पहल के बंद होने का खतरा है, जिससे युवाओं को दी जाने वाली मानसिक सहायता में कमी आ सकती है।

संभावनाएं और समाधान

शिक्षा विभाग का कहना है कि यह पहल युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य की दिशा में एक सकारात्मक कदम है, और इसे बंद करने से पहले पूरी समीक्षा की जाएगी। इसके साथ ही, विभाग ने यह भी कहा कि यदि काउंसलर की नियुक्ति और बजट के लिए समाधान निकाला जाता है तो इस हेल्पलाइन की गतिविधियाँ फिर से शुरू की जा सकती हैं। MP News

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आत्महत्या का मामला | एमपी सीएम हेल्पलाइन 

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