उमेश शाहरा के रुचि ग्रुप पर ED के इंदौर और मुंबई में छापे, 23 लाख जब्त, 58 करोड़ के बैंक लोन का मामला

इंदौर और मुंबई में रुचि ग्रुप के ठिकानों पर ED ने छापेमारी की। इस छापेमारी में 58 करोड़ के बैंक लोन घोटाले का खुलासा हुआ। जांच में 23 लाख कैश और बैंक बैलेंस फ्रीज किए गए।

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Sanjay Gupta
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Indore. ईडी इंदौर ने रुचि ग्रुप पर छापे मारे है। रुचि ग्रुप को स्वर्गीय कैलाश चंद्र शाहरा और उमेश शाहरा ने स्थापित की थी। यह छापे 23 व 24 दिसंबर के दौरान इंदौर व मुंबई में किए गए। रुचि ग्रुप से जुड़े बैंक धोखाधड़ी मामलों की जांच की गई है। जांच के सिलसिले में इंदौर और मुंबई में कई जगहों पर PMLA, 2002 के तहत तलाशी अभियान चलाया गया। जांच के दौरान ईडी टीम उमेश शाहरा और कंपनी के सीए ईश्वर कलंत्री के ठिकानों पर भी गई। 

पांच प्वाइंट में समझें पूरा मामला

  • ईडी ने 23 और 24 दिसंबर को इंदौर और मुंबई में रुचि ग्रुप पर छापे मारे।

  • छापेमारी के दौरान 23 लाख रुपए नकद और 20 लाख से अधिक के बैंक बैलेंस जब्त किए गए।

  • 58 करोड़ रुपए के बैंक लोन धोखाधड़ी में रुचि ग्रुप की कंपनियों का नाम आया।

  • ईडी ने कई फर्जी कंपनियों का पर्दाफाश किया, जिनसे हेराफेरी की गई थी।

  • जांच अभी भी जारी है और आगे की कार्रवाई की संभावना है।

जांच में 23 लाख रुपए जब्त

तलाशी अभियान के दौरान, आरोपी और उनके परिवार के 20 लाख रुपए से ज्यादा के बैंक बैलेंस फ्रीज किए गए। इसके अलावा 23 लाख रुपए से ज्यादा नकद और डिजिटल डिवाइस जब्त किए गए। साथ ही आपत्तिजनक रिकॉर्ड भी मिले, जिसे जब्त कर लिया गया।

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58 करोड़ का बैंक लोन घोटाले में यह कंपनियां

भोपाल सीबीआई ने रुचि ग्रुप की कंपनियों पर 58 करोड़ के बैंक लोन धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था। इनमें रुचि ग्लोबल लिमिटेड (अब, एग्रोट्रेड एंटरप्राइजेज लिमिटेड), रुचि एक्रोनी इंडस्ट्रीज लिमिटेड (अब, स्टीलटेक रिसोर्सेज लिमिटेड) और आरएसएएल स्टील प्राइवेट लिमिटेड (अब, एलजीबी स्टील प्राइवेट लिमिटेड) शामिल हैं।

ईडी ने इसी कसे को मनी लाण्ड्रिंग एक्ट के तहत  जांच में लिया है। इन कंपनियों को स्वर्गीय कैलाश चंद्र शाहरा और उमेश शाहरा ने शुरू किया था। आरोप है कि इन कंपनियों ने लोन राशि का गबन किया और हेराफेरी की।

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ईडी की जांच में यह हुआ खुलासा

ईडी की जांच में इस साजिश का पर्दाफाश हुआ। इसमें कई फर्जी कंपनियां बनाकर लेन-देन में हेराफेरी की गई। डिफॉल्ट करने वाली कंपनियों और फर्जी संस्थाओं ने निजी लाभ के लिए धन का दुरुपयोग किया।

इसके अलावा, फर्जी बिक्री और खरीद दर्ज की गई। साथ ही, ऋण की राशि को हड़पने के लिए जानबूझकर नुकसान पहुंचाया गया। इस धोखाधड़ी से प्राप्त अपराध की राशि को छिपाया गया। अभी आगे की जांच जारी है।

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