JABALPUR. राज्य के ओबीसी कैंडीडेट्स को यूपीएससी में एज रिलैक्सेशन मिलेगा या नहीं इस मामले में उन्हें अब थोड़ा सा और इंतजार करना होगा। क्योंकि दोनों पक्षों की चली लंबी सुनवाई के बाद आखिरकार कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है जो जल्द ही सामने आएगा।
यूपीएससी में ओबीसी और ईडब्ल्यूएस कैंडीडेट्स को एज रिलैक्सेशन दिए जाने के मामले में कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पक्ष रखा। उन्होंने कोर्ट के सामने ही हस्ताक्षर रखा की सरकार के द्वारा केंद्र की ओबीसी लिस्ट और स्टेट की ओबीसी लिस्ट में अभ्यर्थियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। जहां सेंट्रल ओबीसी लिस्ट में अभ्यर्थियों को एज रिलैक्सेशन का लाभ मिल रहा है तो स्टेट ओबीसी लिस्ट में उन्हें इस लाभ से वंचित किया जा रहा है जो सरासर भेदभाव है और संविधान का भी उल्लंघन है।
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कोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं खुला यूपीएससी पोर्टल
इस मामले में पिछली सुनवाई के बाद सरकार को जवाब देने के लिए समय दिया गया था और सरकार की ओर से जवाब आया कि अलग कैटेगरी में रजिस्ट्रेशन के लिए कुछ तकनीकी समस्याएं हैं जिसके कारण इस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन संभव नहीं है। सरकार की ओर से तथ्य दिया गया कि इस पोर्टल में बदलाव करने के बाद उनकी समीक्षा की जाएगी और उसके बाद नई क्रांतिकारी को जोड़ा जा सकता है जिसके लिए समय लगेगा।
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UPSC की नियत पर उठाए सवाल
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि पिछले आदेश के अनुसार 18 फरवरी को यह पोर्टल खोलना चाहिए था लेकिन जानबूझकर कोर्ट को इसकी सूचना नहीं दी गई की तकनीकी कर्म के कारण इस पोर्टल को अभी नहीं खोला जा सकता। बल्कि 21 फरवरी को आवेदन देते हुए यह बताया गया कि इसमें तकनीकी समस्या है जिसमें समय लगेगा। या साफ-साफ दर्शा रहा है की लास्ट डेट निकल जाने के बाद दी गई जानकारी सिर्फ इसलिए है कि यूपीएससी चाहती ही नहीं थी कि इस कैटेगरी के लोगों को आरक्षण का लाभ मिल सके।
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कोर्ट ने किया फैसला सुरक्षित
जबलपुर हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की युगल पीठ में इस मामले में दोनों पक्षों की ओर से लंबी बहस चली। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने अपने फैसले को हर्ड एंड रिजर्व स्टेटस में रखा है और अब कोर्ट के फैसले के बाद ही यह तय हो पाएगा कि अभ्यर्थियों को एज रिलैक्सेशन और 9 अटेम्प्ट मिल सकेंगे या नहीं।
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