MP News: मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में एक 30 वर्षीय महिला को दो वर्षों से पेट के निचले हिस्से में दर्द और बुखार की शिकायत थी। जब इलाज से आराम नहीं मिला तो डॉक्टरों ने MRI जांच की, जिसमें चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई। महिला के गर्भाशय में हड्डी के 20 टुकड़े पाए गए, जो संभवतः दो साल पहले हुए असुरक्षित गर्भपात के दौरान भीतर ही रह गए थे।
डॉक्टर वृंदा जोशी के नेतृत्व में एक टीम ने डेढ़ घंटे की सर्जरी कर ये टुकड़े निकाले और अब महिला की स्थिति स्थिर है। विशेषज्ञों के अनुसार तीन महीने से अधिक के गर्भ का गर्भपात केवल प्रशिक्षित डॉक्टरों द्वारा ही करना चाहिए, वरना इसके गंभीर दुष्परिणाम हो सकते हैं। यह घटना गर्भपात में सावधानी की अहमियत और लापरवाही के भयानक नतीजों को रेखांकित करती है।
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दो साल से झेल रही थी दर्द और बुखार
शिवपुरी के ठाकुरपुर की रहने वाली महिला लंबे समय से पेट के निचले हिस्से में दर्द और बुखार से जूझ रही थी। दो साल पहले उसने एक गर्भपात करवाया था, जिसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ती चली गई। बुखार, कमजोरी और लगातार पेट दर्द की शिकायतों के साथ वह कई बार अस्पताल में भर्ती हुई और अनेकों अल्ट्रासाउंड भी करवाए गए, लेकिन कोई स्पष्ट वजह सामने नहीं आ पाई। अंततः 13 मई को उसने अस्पताल की गायनिक ओपीडी में डॉक्टर वृंदा जोशी से परामर्श लिया।
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MRI में खुला राज
डॉ. वृंदा जोशी ने महिला की विस्तृत जांच के तहत MRI कराने का निर्णय लिया। रिपोर्ट में जो सामने आया वह अत्यंत चौंकाने वाला था। MRI में महिला के गर्भाशय में हड्डी के टुकड़े दिखाई दिए। यह देखकर डॉक्टर भी दंग रह गए। मेडिकल इतिहास में ऐसे मामले अत्यंत दुर्लभ हैं और यह घटना गर्भपात के दौरान हुई भारी लापरवाही की ओर इशारा करती है।
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डेढ़ घंटे चला ऑपरेशन
महिला की हालत को देखते हुए तुरंत सर्जरी करने का निर्णय लिया गया। डॉ. वृंदा जोशी के नेतृत्व में डॉक्टर प्रतिभा गर्ग, डॉ. बबिता दास और डॉ. ऋचा शर्मा की टीम ने लगभग डेढ़ घंटे चले ऑपरेशन में गर्भाशय से करीब 20 हड्डियों के टुकड़े निकाले। अब महिला की तबीयत स्थिर है और वह धीरे-धीरे स्वस्थ हो रही है।
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गर्भपात में लापरवाही बन सकती है जानलेवा
डॉक्टरों ने बताया कि तीन महीने से अधिक समय के भ्रूण का गर्भपात अत्यंत जटिल होता है। यह प्रक्रिया अनुभवी विशेषज्ञों की निगरानी में ही की जानी चाहिए। यदि गर्भपात के दौरान भ्रूण के हड्डी जैसे अवशेष गर्भाशय में रह जाएं तो महिला को संक्रमण, भारी दर्द, असामान्य डिस्चार्ज और बांझपन जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। लापरवाही बरतने पर मरीज की जान भी खतरे में पड़ सकती है।
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अब महिला सुरक्षित
इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि गर्भपात जैसे संवेदनशील मामलों में डॉक्टरों की विशेषज्ञता और सावधानी अत्यंत आवश्यक है। हर वर्ष सैकड़ों महिलाएं असुरक्षित गर्भपात की वजह से जटिलताओं का शिकार होती हैं, लेकिन इस तरह की घटनाएं न केवल उनके स्वास्थ्य को खतरे में डालती हैं, बल्कि जीवन के लिए भी घातक सिद्ध हो सकती हैं।
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