/sootr/media/media_files/2025/08/04/vivek-tankha-kashmir-peace-issue-pundits-exile-2025-08-04-20-33-54.jpg)
Photograph: (The Sootr)
JABALPUR. राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा ने कश्मीर में शांति की वास्तविक स्थिति पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा है कि जब से कश्मीरी पंडितों को उनके घरों से निर्वासित किया गया है, तभी से कश्मीर अशांत है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि कोई भी युद्ध या ऑपरेशन कश्मीर में वास्तविक शांति नहीं ला सकता।
दरअसल कश्मीरी पंडितों की स्थिति और उनसे जुड़े बिल को लेकर Global KP Diaspora पर ऑनलाइन चर्चाएं और टाउन हॉल मीटिंग हो रही हैं। इसी में भाग लेते हुए विवेक तन्खा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट किया कि "कश्मीर में शांति कोई भी युद्ध या ऑपरेशन कश्मीर में वास्तविक शांति नहीं ला सकता है। कश्मीर में शांति तभी आएगी जब परिस्थितियाँ पंडितों को उनके अपने देश में 35 साल के लंबे निर्वासन को समाप्त करने की अनुमति देंगी।"
ये भी पढ़ें... मध्यप्रदेश में डकैत खत्म, लेकिन कानून जिंदा... पुलिस ने 3 साल में दर्ज कर लीं 922 एफआईआर
वीडियो में बताया कश्मीर में शांति का हल
No war or operation can bring real peace in Kashmir !! Peace in Kashmiri will come only when conditions permit Pandits to end their 35 year old exile in their own country !! @kp_global #PeaceInKashmir#kashmiriPanditspic.twitter.com/RDItO7fnDR
— Vivek Tankha (@VTankha) August 4, 2025
कश्मीरी पंडितों पर एक टाउन हॉल मीटिंग अरेंज की गई थी जिसमें राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने भाग लिया था। इसमें दिए गए विचारों का उन्होंने एक वीडियो बयान भी जारी किया, जिसमें उन्होंने विस्तार से कहा कि “जिस दिन से कश्मीरी पंडितों को कश्मीर से निर्वासित किया गया, तब से ही कश्मीर अशांत है और कश्मीर की शांति तभी वापस आएगी, जिस दिन कश्मीरी पंडित कश्मीर में वापस आएगा।”
किसी वॉर ऑपरेशन से कश्मीर में शांति नहीं आएगी बल्कि कश्मीर तब शांत होगा जब कश्मीरी पंडित कश्मीर का अंग बनेगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह हम सभी की जिम्मेदारी है और सरकार की भी जिम्मेदारी है, क्योंकि यह एक पूरी कम्युनिटी के साथ अत्याचार था और उन्हें निर्वासित कर दिया गया था।
विवेक तन्खा ने इस बात पर जोर दिया कि अब 35 साल हो चुके हैं और यह सुनिश्चित करना होगा कि जो लोग कश्मीर छोड़ चुके हैं और अब भी कश्मीर से जुड़े हुए हैं, उन्हें वापस आने का मौका मिले। आखिर में उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि “कश्मीर के लिए वह जो हो सके वह करने के लिए हमेशा तैयार हैं।”
ये भी पढ़ें... जबलपुर की हाई सिक्योरिटी व्हीकल फैक्ट्री में दस्तावेज चोरी, 4 प्राइवेट कर्मचारियों पर FIR
1990 में हुआ था कश्मीरी पंडितों का पलायन
कश्मीरी पंडित, कश्मीर घाटी के मूल निवासी एक हिंदू समुदाय हैं, जिनका इस क्षेत्र से गहरा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध रहा है. सदियों से वे कश्मीर की अनूठी मिश्रित संस्कृति का अभिन्न अंग रहे हैं, जिसमें हिंदू, मुस्लिम और बौद्ध परंपराओं का संगम देखने को मिलता है।
हालांकि, 1990 के दशक की शुरुआत में उन्हें बड़े पैमाने पर पलायन का सामना करना पड़ा. उग्रवाद और सुरक्षा चिंताओं के कारण, हजारों कश्मीरी पंडितों को अपने ancestral homes को छोड़कर भारत के विभिन्न हिस्सों में विस्थापित होना पड़ा। इस घटना ने समुदाय पर गहरा प्रभाव डाला है, जिससे उनकी सांस्कृतिक पहचान, परंपराओं और भाषा को संरक्षित करने की चुनौती बढ़ गई है।
अपनी जड़ों से दूर होने के बावजूद, कश्मीरी पंडित समुदाय अपनी विरासत को जीवित रखने और अपनी संस्कृति को अगली पीढ़ियों तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत है। उनकी वापसी और घाटी में सामान्य स्थिति की बहाली हमेशा से एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है, जिस पर विभिन्न स्तरों पर चर्चा जारी है।
ये भी पढ़ें... सोहबत खान के खुलासे के बाद एटीएस की बड़ी कार्रवाई, कोलकाता से पकड़कर जबलपुर लाया गया एक और अफगानी
thesootr links
- मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- राजस्थान की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक
- जॉब्स और एजुकेशन की खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें
- निशुल्क वैवाहिक विज्ञापन और क्लासिफाइड देखने के लिए क्लिक करें
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃🤝💬👩👦👨👩👧👧👩