व्यापमं आरक्षक भर्ती घोटाला: दोषियों को सजा सुनाने के लिए पहली बार रात 8 बजे तक चली सुनवाई

व्यापमं आरक्षक भर्ती घोटाले में पहली बार कोर्ट ने सात साल की सजा सुनाई। दोषियों को 12-12 हजार रुपए का जुर्माना भी हुआ। कोर्ट देर रात तक चली, क्योंकि आरोपी रास्ते में थे। फैसले में महज 15 मिनट लगे।

author-image
Anjali Dwivedi
New Update
COURT
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

GWALIOR : व्यापमं आरक्षक भर्ती घोटाले में पहली बार अदालत रात 8 बजे तक चली। खास बात ये रही कि सजा सुनाने के बाद ही जज कोर्ट से गए। विशेष सत्र न्यायालय ने ग्वालियर में आरक्षक भर्ती फर्जीवाड़ा मामले में दोषी हरवेंद्र चौहान उर्फ प्रवेंद्र और सॉल्वर रणवीर सिंह को 7-7 साल की सजा सुनाई है। दोनों पर 12-12 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है।

          इन 5 प्वाइंट्स से समझें पूरा मामला

  • पहली बार व्यापमं घोटाले के मामले में सात साल की कठोर सजा दी गई।

  • कोर्ट रात 8 बजे तक चली, आरोपियों के रास्ते में होने के कारण फैसला हुआ देर से।

  • दोषी हरवेन्द्र चौहान और रणवीर सिंह को 7-7 साल की सजा मिली।

  • धोखाधड़ी का मामला सुनियोजित था, कोर्ट ने इसे गंभीर अपराध माना।

  • मामला 2012 में हुआ था, और सीबीआई ने इसे हैंडल किया।

कोर्ट ने क्यों किया इंतजार?

कोर्ट का फैसला देर से हुआ, क्योंकि व्यापमं आरक्षक भर्ती घोटाला के आरोपी रास्ते में थे। उनकी पेशी का इंतजार करते हुए अदालत रात 8 बजे तक लगी। आरोपियों के वकील बार-बार कोर्ट को सूचना दे रहे थे कि वे रास्ते में हैं। करीब तीन घंटे इंतजार करने के बाद आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया और फिर सजा सुनाने में महज 15 मिनट लगे।

ये खबरें भी पढ़ें...

विधानसभा में सवालों की लंबी लिस्ट, जवाब भी तैयार... पर शादी के मौसम में बाराती बनकर निकल गए विधायक

पाकिस्तानी महिला निकिता नागदेव पीएम मोदी से लगा रही न्याय की गुहार, जानें क्या है मामला

व्यापमं के मामले में पहली बार कठोर सजा

यह पहला मामला है जब व्यापमं घोटाले से जुड़ी किसी घटना में सात साल की कठोर सजा दी गई है। इससे पहले ऐसे मामलों में अधिकतम सजा पांच साल ही होती थी। कोर्ट ने इस धोखाधड़ी को सुनियोजित अपराध बताया है। कोर्ट ने कहा कि परीक्षा में धोखाधड़ी एक गंभीर अपराध है, क्योंकि यह मान्यता प्राप्त परीक्षा थी।

कैसे हुआ खुलासा?

यह मामला 30 सितंबर 2012 आरक्षक भर्ती घोटाला एमपी से जुड़ा है। आरक्षक भर्ती परीक्षा में रणवीर सिंह की जगह हरवेन्द्र चौहान ने परीक्षा दी। एक शिक्षिका ने देखा कि परीक्षार्थी और उसके फॉर्म में फोटो और हस्ताक्षर मैच नहीं कर रहे थे। इस पर उसने केंद्राध्यक्ष को सूचना दी थी। पूछताछ के बाद मामला सामने आया और पुलिस ने कार्रवाई की।

CBI ने संभालना केस 

इसके बाद मध्य प्रदेश के मुरैना के शासकीय कन्या विद्यालय में हुई परीक्षा में हरवेन्द्र चौहान को सॉल्वर (solver) के रूप में पकड़ा गया। पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया और केस को सीबीआई (CBI) को सौंप दिया।

ये खबरें भी पढ़ें...

17 मामलों में आरोपी, दो साल से फरार खनन माफिया अमित खम्परिया नागपुर से गिरफ्तार

सीधी के प्रिंसिपल अभिमन्यु सिंह के घर साढ़े तीन करोड़ की संपत्ति, गाड़ियां और जेवरात, EOW खंगाल रही अमीरी का कनेक्शन

CBI मध्य प्रदेश ग्वालियर व्यापमं घोटाले व्यापमं आरक्षक भर्ती परीक्षा आरक्षक भर्ती घोटाला एमपी
Advertisment