भोपाल. बसंत पंचमी पर बुधवार को धार स्थित ऐतिहासिक भोजशाला में सरस्वती की पूजा-अर्चना की गई। राजा भोज और मां सरस्वती की जय घोष के साथ शाम तक 25 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने यहां दर्शन किए और पूजा-अर्चना की। दिनभर दर्शन का सिलसिला चलता रहा।
यूपी वाले फर्जी कागजों से कर रहे थे सरकारी नौकरी, जानें कैसे पकड़े गए
तैल चित्र भोजशाला में विराजित किया गया
5 साल में 22 % बढ़े बेरोजगार, कार्यालय से एक को भी नहीं मिली नौकरी
बसंत पंचमी के उपलक्ष्य में मां सरस्वती का तैल चित्र भोजशाला में विराजित किया गया था। धार में शोभायात्रा निकाले जाने के बाद मुख्य वक्ता स्वामी शैलेशानंद गिरिजी महाराज पंच दशनाम जूना अखाड़ा शांत अद्वैत आश्रम नलखेड़ा जिला आगर ने हिंदू समाज को जागृत करने के लिए प्रेरणादायी बातें कहीं। उन्होंने कहा कि भोजशाला एक मंदिर है और इस स्थान को लेकर विशेष रूप से जनजागरण की आवश्यकता है। इसके साथ ही चार दिवसीय आयोजन की शुरुआत बुधवार से हुई, जो 17 फरवरी तक चलेगा। बसंत पंचमी पर धार में विशेष रूप से पुलिस बल तैनात किया गया था। 15 फरवरी को भोजशाला में दोपहर एक बजे मातृशक्ति संगम का आयोजन होगा।
धर्मांतरण को लेकर अब इस राज्य में भी बनने जा रहा कानून, जानिए डिटेल
सूर्यास्त तक पूजा की अनुमति
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से प्रत्येक मंगलवार और बसंत पंचमी पर सूर्योदय से सूर्यास्त तक हिंदू समाज को चावल और पुष्प ले जाकर पूजा करने की अनुमति दी गई है। शुक्रवार को मुस्लिम समाज को नमाज की अनुमति है। सप्ताह के शेष पांच दिन पर्यटकों के लिए सशुल्क प्रवेश की अनुमति रहती है।
अलर्ट! इंडिया में 66 % लोग ऑनलाइन डेटिंग स्कैम का हुए शिकार
अपने-अपने दावे
भोजशाला को लेकर हिंदू संगठन व समाज कहता है कि यह मां सरस्वती का मंदिर है। यहां राजा भोज के काल में सरस्वती सदन था और यहां मां सरस्वती की मूर्ति स्थापित की गई थी। इस मूर्ति को 1880 में भोपाल का पालिटिकल एजेंट अपने साथ लंदन ले गया था। इधर मुस्लिम समाजजन इसे मस्जिद मानते हैं। मामले में कोर्ट में हिंदू समाज की ओर से याचिका लगा रखी है, जो लंबित है। bhojshaalaa | dhaar-bhojshaalaa | Bhojshala | Bhojshala | dhar-bhojshala-controversy