राज्य सेवा परीक्षा 2019 को अर्जेंट मैटर बता हाईकोर्ट अपील में गई PSC, लेकिन उनके वकील ही उपस्थित नहीं हुए, हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

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Pratibha Rana
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राज्य सेवा परीक्षा 2019 को अर्जेंट मैटर बता हाईकोर्ट अपील में गई PSC, लेकिन उनके वकील ही उपस्थित नहीं हुए, हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

संजय गुप्ता, INDORE. राज्य सेवा परीक्षा 2019 को लेकर मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) की लापरवाही खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। इस मामले में अंतिम रिजल्ट जारी करने के लिए पीएससी ने 16 अक्टूबर 2023 को हाईकोर्ट जबलपुर द्वारा जारी आदेश के खिलाफ रिट अपील दायर की थी, खुद ही अर्जेंट मैटर बताया और दर्जन भर वकीलों के वकालतनामा भी पेश किए। लेकिन सुनवाई के दौरान जिन्हें पीएससी की ओर से सुनवाई करना थी वह वकील नहीं आए उनकी ओर से एडजस्टमेंट (उपस्थित नहीं हो सकने को लेकर आवेदन) आया। वहीं पीएससी के एक अन्य वकील ने कहा कि इसे सोमवार को सुनवाई पर रख दिया जाए, अर्जेंट मैटर है और 13 हजार उम्मीदवारों के भविष्य का सवाल है। इसमें एजी खुद आएंगे। इस पर डबल बैंच भड़क गई और कहा कि जब अर्जेंट मैटर है, इतने वकील है, तो सुनवाई क्यों नहीं कर रहे हैं, यह सब तो आपको पहले से पता था। इसके बाद बैंच ने सुनवाई 8 सप्ताह आगे बढ़ा दी, और अब 12 फरवरी की तारीख लगी है।

हाईकोर्ट के इस आदेश के अब क्या मायने

हाईकोर्ट जबलपुर के इस आदेश के बाद इस परीक्षा के रिजल्ट अब कम से कम 12 फरवरी तक नहीं आना तो तय हो गया है। कारण है कि 16 अक्टूबर 2023 को हाईकोर्ट जबलपुर का फैसला आया था कि पीएससी द्वारा मैंस के पहले जारी रिजल्ट में पास और बाद में फेल बताए गए सभी 389 उम्मीदवारों के इंटरव्यू लीजिए। इसमें वह 34 अभ्यर्थी भी है जो पीएससी के अनुसार दूसरे रिजल्ट में प्री स्तर पर ही फेल है। इसके बाद पीएससी ने इंटरव्यू की प्रक्रिया रोक दी और हाईकोर्ट में अपील में चला गया कि इस मामले में स्थिति क्लियर हो। लेकिन उनके ही वकील कोर्ट में नहीं पहुंचे। खुद ही पीएससी कोर्ट गया तो जब तक वहां से कोई आदेश नहीं हो जाते, तब तक वह रिजल्ट जारी नहीं कर सकता है। वहीं यदि कोर्ट के आदेश के रूके बिना आगे बढ़े तो फिर उन्हें 389 उम्मीदवारों के पहले इंटरव्यू कराने होंगे जो वह कराना नहीं चाहता है।

नवंबर 2022 के कोर्ट ने छह माह में प्रक्रिया का दिया था आदेश

29 नवंबर 2022 को जबलपुर हाईकोर्ट (जस्टिस नंदिता दुबे) ने आदेश दिया था कि पीएससी दोबारा मेंस कराने की जगह स्पेशल मेंस का आयोजन कर नए पास 2721 उम्मीदवारों की परीक्षा ले और छह माह के भीतर पूरी प्रक्रिया इंटरव्यू सहित पूरी कर ले। इस आदेश को एक साल एक महीना होने को आ गया है और अभी तक पूरी प्रक्रिया संपन्न नहीं हुई है।

किस तरह से हो रहा है पूरा घालमेल

इस परीक्षा के लिए 14 नवंबर 2019 को विज्ञप्ति जारी हुई थी, 571 पदों के लिए 3.60 लाख युवाओं ने आवेदन किए थे। इसके बाद प्री हुई, फिर मप्र शासन ने परीक्षा नियम बदले, फिर मेंस हुई, परीक्षा नियम फिर बदले गए, रिजल्ट आया, 1918 उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए पास घोषित किया और फिर हाईकोर्ट ने बदले परीक्षा नियम को खारिज किया। इसके बाद आयोग ने मेंस का रिजल्ट ही जीरो कर दस अक्टूबर 2022 को नए सिरे से प्री का रिजल्ट जारी कर दोबारा मेंस कराने का फैसला लिया। इसपर फिर कोर्ट में केस गया और वहां से 29 नवंबर 2022 को आदेश आया केवल बाद में पास उम्मीदवारों की ही स्पेशल मेंस लो, सभी की नहीं, फिर स्पेशल मेंस हुई और रिजल्ट जारी कर नए सिरे से इंटरव्यू के लिए उम्मीदवारों की सूची जारी हुई। इंटरव्यू हो गए, लेकिन इसी बीच पुराने रिजल्ट में पास और बाद में फेल हुए उम्मीदवारों के इंटरव्यू के लिए 16 अक्टूबर 2022 को जबलपुर हाईकोर्ट का आदेश आ गया, कि सभी 389 के इंटरव्यू लीजिए। इसके बाद अब आयोग रिट अपील में चला गया है। उधर रिमेंस कराने की मांग के साथ कुछ याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट गए हैं, जहां एसएलपी लगी हुई है, इसमें भी 24 फरवरी को सुनवाई होना है।

एजी है जिम्मेदारी, हटाया जाए उन्हें

प्रतियोगी बच्चों की ओर से इंटरविनर बने रामेशवर ठाकुर ने द सूत्र से चर्चा में बहुत ही तल्खी के साथ कहा कि यह तो हद हो गई है, पीएससी की लापरवाही के कारण हजारों उम्मीदवार भुगत रहे हैं। इस पूरे मामले में एजी जिम्मेदार है, उन्होंने अलग-अलग मामले बताकर पूरे मामले को उलझा रखा है, मेरी मांग है कि उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। प्रतियोगी बच्चों की ओर से अधिवक्ता अंशुल तिवारी ने कहा कि सुनवाई आगे बढ़ गई, हम इसमें क्या कर सकते हैं, लंबा समय हो चुका है। प्रतियोगी आकाश पाठक ने कहा कि यह सभी पीएससी की लापरवाही है, हम इंटरविनर बने हैं और मांग है कि इस मामले को अब सुप्रीम कोर्ट को ही डिसाइड करने दिया जाए, वहां भी याचिका दायर ही है।


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