तीन लोगों को नया जीवन दे गया दुर्गा शंकर, 16 वर्षीय किशोर के पिता ने लिया अंगदान का साहसिक निर्णय

राजस्थान के अजमेर के जेएलएन अस्पताल में पहली बार एक 16 वर्षीय ब्रेन डेड किशोर का अंगदान किया गया। इस प्रक्रिया के तहत दो किडनी और लिवर प्राप्त किया गया, जिससे तीन लोगों को जीवनदान मिला।

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Amit Baijnath Garg
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ajmer

Photograph: (the sootr)

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राजस्थान के अजमेर जिले स्थित जेएलएन अस्पताल में 16 वर्षीय दुर्गा शंकर के अंगों का सफलतापूर्वक दान किया गया। यह पहला मौका है, जब इस अस्पताल में अंगदान की प्रक्रिया पूरी की गई है। नवरात्रि के पहले दिन केकड़ी के रहने वाले जुवान सिंह ने अपने बेटे के अंगों का दान किया। इस प्रक्रिया के तहत दो किडनी और लिवर निकाला गया, जो तीन अलग-अलग मरीजों को जीवन देने के काम आएगा। हालांकि दुर्गा शंकर का हार्ट निकालने की योजना को अंतिम समय में रद्द कर दिया गया।

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अंगदान प्रक्रिया में हुई देरी

जेएलएन अस्पताल में अंगदान के लिए विशेष टीमों का गठन किया गया था। चेन्नई और जयपुर से विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम रविवार रात को अजमेर पहुंची। सोमवार सुबह ऑपरेशन थिएटर में प्रक्रिया शुरू हुई। शुरू में तय था कि हार्ट के अलावा दो किडनी और एक लिवर निकाला जाएगा, लेकिन चेन्नई से आई टीम ने हार्ट निकालने से मना कर दिया। चिकित्सकों ने कहा कि अजमेर से चेन्नई तक हार्ट सुरक्षित नहीं रह पाएगा और इस दूरी पर हार्ट काम करना बंद कर सकता था।

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परिवार को प्रेरित किया

दुर्गा शंकर के पिता जुवान सिंह ने बताया कि उनका बेटा सबसे छोटा था और वह 9वीं कक्षा का छात्र था। पिछले मंगलवार को सिर में दर्द होने के बाद वह बेहोश हो गया और केकड़ी के अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाद में उसे जेएलएन अस्पताल, अजमेर रेफर किया गया, जहां पता चला कि उसके मस्तिष्क में नस फट गई थी और उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। चिकित्सकों ने अंगदान के लिए परिवार को प्रेरित किया।

परिवार की हिम्मत ने किया प्रभावित

परिवार में अंगदान को लेकर गंभीर चर्चा हुई और अंत में उन्होंने अपने बेटे के अंगदान करने का निर्णय लिया। पिता जुवान सिंह भावुक होते हुए बोले कि उनका बेटा अब तीन लोगों के लिए जीवन का माध्यम बनेगा। राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने अस्पताल पहुंचकर परिवार के हौसले की सराहना की और इसे समाज के लिए एक प्रेरणा बताया।

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सामाजिक संदेश देता है अंगदान

यह घटना अंगदान के महत्व को उजागर करती है। अंगदान से न केवल जीवन मिलता है, बल्कि इससे परिवारों को मानसिक शांति भी मिलती है। इसने हमें यह सिखाया कि जीवन को बचाने के लिए समय पर फैसला लेना कितना जरूरी है।

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मुख्य बातें

  • पहली बार अंगदान प्रक्रिया
  • दुर्गा शंकर के अंगों का दान
  • चेन्नई से चिकित्सकों की टीम आई 
  • सामाजिक जिम्मेदारी और प्रेरणा
  • अंगदान का सामाजिक संदेश

FAQ

1. क्या अंगदान से मृत व्यक्ति को जीवनदान मिलता है?
नहीं, अंगदान से मृत व्यक्ति को जीवन नहीं मिलता, लेकिन उसके अंगों से दूसरों को जीवन मिलता है। जैसे कि इस केस में, दुर्गा शंकर के अंगों से तीन लोगों को जीवन मिलेगा।
2. अंगदान के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई जाती है?
अंगदान की प्रक्रिया में चिकित्सकों की टीम मरीज के अंगों को सुरक्षित रूप से निकालती है। इसमें हार्ट, किडनी, लिवर जैसे महत्वपूर्ण अंग शामिल होते हैं।
3. अंगदान का परिवार पर क्या असर पड़ता है?
अंगदान के फैसले से परिवार को दुख जरूर होता है, लेकिन यह सामाजिक दृष्टि से प्रेरणादायक होता है और परिवार को मानसिक शांति मिलती है, क्योंकि उन्होंने किसी की जान बचाई होती है।

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