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Photograph: (the sootr)
राजस्थान के पाली जिले के खारड़ा गांव की 21 वर्षीय दीप्ति राज मेड़तिया ने अपने पिता को नया जीवन दिया है। दीप्ति ने अपने पिता जितेंद्र सिंह मेड़तिया को लिवर ट्रांसप्लांट करके उनकी जान बचाई। जितेंद्र सिंह को लिवर की गंभीर बीमारी थी और डॉक्टरों ने साफ-साफ कह दिया था कि उनकी जान तभी बच सकती है, जब कोई नजदीकी व्यक्ति लिवर डोनेट करें। इस कठिन समय में दीप्ति ने बिना किसी हिचकिचाहट के अपने पिता को लिवर का 60 प्रतिशत हिस्सा डोनेट किया।
15 घंटे लंबा ऑपरेशन, सफल ट्रांसप्लांट
29 अगस्त 2025 को गुरुग्राम के एक हॉस्पिटल में यह जटिल ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन करीब 15 घंटे तक चला और इसमें डॉक्टरों की एक विशेषज्ञ टीम ने दीप्ति का लिवर ट्रांसप्लांट किया। ऑपरेशन के बाद दोनों का स्वास्थ्य ठीक हो गया। दीप्ति को एक दिन ICU में और पांच दिन वार्ड में भर्ती रखा गया। इसके बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया। वहीं जितेंद्र सिंह को एक महीने तक डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाएगा।
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पिता के लिए लिवर डोनेट करने का निर्णय
दीप्ति ने कहा कि मेरे लिए पापा से बढ़कर कुछ नहीं है। मैं चाहती थी कि पापा पूरी जिंदगी मेरे साथ रहें। डॉक्टर कहते हैं कि लिवर तीन महीने में फिर से विकसित हो जाएगा, इसलिए मैंने बिना सोचे लिवर डोनेट करने का फैसला किया। शुरू में दीप्ति के दादा गणपत सिंह ने उन्हें इस जोखिम को न उठाने की सलाह दी थी, लेकिन दीप्ति की जिद और पिता के प्रति उसके गहरे प्रेम ने पूरे परिवार को मानने पर मजबूर कर दिया। डॉक्टर अरविंदर सिंह सोइन ने सभी टेस्ट करने के बाद बताया कि दीप्ति सुरक्षित रूप से 60 फीसदी लिवर दान कर सकती है।
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तीन साल से बीमारी से जूझ रहे थे जितेंद्र सिंह
जितेंद्र सिंह पिछले तीन साल से लिवर की बीमारी से जूझ रहे थे। उन्होंने उदयपुर, अहमदाबाद और जोधपुर में इलाज करवाया, लेकिन उनकी हालत लगातार बिगड़ती गई। अंततः डॉक्टर आशीष मेहता ने परिवार को बताया कि अब मरीज की जान बचाने का एक ही तरीका है लिवर ट्रांसप्लांट। जितेंद्र की पत्नी रिंकू कंवर, जो बीपी की मरीज थीं, लिवर डोनर नहीं बन सकीं। इसके अलावा, छोटे भाई का ब्लड मैच भी नहीं हुआ। इस स्थिति में दीप्ति ने आगे बढ़कर अपने पिता को जीवनदान दिया।
सामूहिक सहयोग से हुआ इलाज
ऑपरेशन से पहले जितेंद्र को 20 यूनिट ब्लड की आवश्यकता थी। इसमें करणी सेना के सदस्य मदद करने के लिए आगे आए। दीप्ति के मामा कृष्णपाल सिंह सोनगिरा और जितेंद्र सिंह सोनगिरा ने प्लेटलेट्स डोनेट की, जिससे इलाज की प्रक्रिया पूरी हो सकी।
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दीप्ति बनी एक रोल मॉडल
आज जितेंद्र सिंह और दीप्ति दोनों स्वस्थ हैं। यह घटना उनके परिवार, गांव और समाज में खुशी का कारण बन गई है। दीप्ति के दादा-दादी, जो पहले इस फैसले के खिलाफ थे, अब अपनी पोती पर गर्व कर रहे हैं। दीप्ति की मां ने कहा कि दीप्ति ने न सिर्फ अपने पिता को जीवन दिया, बल्कि अपनी छोटी बहन निधि और भाई श्रवण सिंह के लिए भी एक रोल मॉडल बन गई है। दीप्ति वर्तमान में उदयपुर में BA, LLB की पढ़ाई कर रही है।
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प्रमुख बिंदु
- दीप्ति ने पिता को लिवर डोनेट किया
- ऑपरेशन 15 घंटे तक चला
- जितेंद्र सिंह को तीन साल से लिवर की बीमारी थी
- दीप्ति के परिवार ने मदद की, करणी सेना का भी सहयोग
- दीप्ति उदयपुर से BA, LLB की पढ़ाई कर रही है